कहते हैं मंज़िल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है। हर व्यक्ति के जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं लेकिन जो व्यक्ति संघर्ष के आगे हार नहीं मानता जीत उसी की होती है। इस बात को प्रमाणित करने का काम किया है 23 साल की उम्र में आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स की ओर से डेब्यू करने वाले चेतन सकारिया ने। जिन्होंने कभी अपने विपरीत हालातों को अपने हौसलों के आगे आने नहीं दिया। निम्न वर्गीय परिवार में जन्में चेतन की आर्थिक हालत अच्छी नहीं थी, चेतन के पिता टैंपो चलाते थे। आर्थिक स्थिति अच्छी ना होने के कारण उनके पास मैच खेलने के लिए जूते तक नहीं थे। लेकिन चेतन ने अपने लक्ष्य से नज़रें नहीं हटाई और आईपीएल में बेहतरीन प्रदर्शन कर के उन्होंने अपने हुनर का लोहा मनवा लिया। चेतन सकारिया के लिए आईपीएल तक का यह सफर काफी कठिनाइयों से भरा हुआ था। तो आइए जानते हैं उनके जीवन की प्रेरणादायी कहानी।

बचपन से ही किया संघर्ष

चेतन सकारिया का जन्म 28 फरवरी 1998 को गुजरात के भावनगर के एक निम्न वर्गीय परिवार में हुआ था। चेतन के पिता टैंपो चलाते थे। चेतन के पिता का 3 बार एक्सीडेंट हो चुका था जिसके चलते चेतन के पिता थोड़ा बहुत पैसा ही कमा पाते थे। आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण कम उम्र में ही परिवार की जिम्मेदारी चेतन के कंधों पर आ गई। घर खर्च में अपने पिता का हाथ बंटाने के लिए वो अपने मामा की स्टेशनरी की दुकान पर काम करने लगे। चेतन को बचपन से ही क्रिकेट में काफी रुचि थी लेकिन घर में टीवी ना होने के कारण वे पड़ोसी के घर में ही मैच देखते थे और उसी हिसाब से अपनी प्रैक्टिस करते थे।

बचपन से ही बनना चाहते थे क्रिकेटर

पड़ोसी के घरों मे मैच देखकर ही चेतन के मन में क्रिकेटर बनने का सपना पनपने लगा। बचपन में चेतन स्कूल में अच्छा क्रिकेट खेलते थे। उनकी प्रतिभा को देखकर भावनगर के सर भावसिंह जी क्रिकेट अकेडमी के कोच राजेंद्र गोहिल की नज़र उन पर पड़ी और उन्होंने चेतन को क्रिकेट में करियर बनाने की सलाह दी, जिसको चेतन ने गंभीरता से लिया। क्रिकेट अकेडमी में चेतन बतौर बल्लेबाज़ गए थे। लेकिन कोच राजेंद्र ने उनके अंदर छिपी गेंदबाजी की कला को पहचाना और उन्हें गेंदबाजी करने की सलाह दी। चेतन फिर पूरी मेहनत से गेंदबाज़ी करने लगे और नेचुरल स्विंग की प्रेक्टिस करते हुए बल्लेबाज़ों को आसानी से आउट करने लगे।

जूते तक खरदीने के नहीं थे पैसे

मेहनत और लगन के कारण चेतन का चयन अंडर-16 की डिस्ट्रिक्ट लेवल की टीम में हो गया। लेकिन ज्यादा मेहनत के कारण उनके पीठ में दर्द होने लगा  जिसके चलते चेतन की बोलिंग स्पीड धीरे होती गयी और इसका परिणाम यह हुआ कि चेतन को 1 साल तक क्रिकेट से दूर रहना पड़ा। लेकिन उन्होंने अपने सपनों को नहीं छोड़ा। चेतन अपने जूनून से अंडर 19 की सौराष्ट्र की टीम में सेलेक्ट हो गए। लेकिन उनके पास उस समय जूते खरीदने तक के पैसे नहीं थे। सौराष्ट्र की टीम से आईपीएल में कोलकाता की टीम में सेलेक्ट हुए शेल्डन जैक्सन ने चेतन की आर्थिक स्थिति और क्रिकेट के प्रति लगाव को देखते हुए शर्त लगाई कि अगर तुम मुझे आउट करने में सफल हुए तो मैं तुम्हें नए स्पोर्ट्स जूते दूंगा। चेतन ने नेट प्रैक्टिस में शेल्डन जैक्सन को कुछ ही गेंदों में आउट कर दिया और फिर चेतन को नए स्पोर्ट्स  शूज मिले।

विपरीत परिस्थितियों से जूझकर ऐसे बनाई पहचान

चेतन सौराष्ट्र की तरफ से सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी खेल रहे थे और उसी दौरान चेतन के छोटे भाई ने अचानक आत्महत्या कर ली। यह समय चेतन और उनके परिवार के लिए काफी मुश्किल भरा था। लेकिन इन सब चीज़ों से ऊपर उठकर चेतन ने जमकर प्रैक्टिस की। जिसका परिणाम यह हुआ कि 1 महीने बाद ही चेतन आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स द्वारा 1.20 करोड़ में ख़रीदे गए। लेकिन कोरोना महामारी के कारण आईपीएल स्थगित हो गया और आईपीएल में डेब्यू करने का सपना पीछे ही रह गया। लेकिन चेतन ने कोरोना के समय में भी प्रैक्टिस करना जारी रखा।इसके बाद उनके सिर से पिता का साया भी छिन गया पर चेतन ने हार नहीं मानी और अपनी कोशिश जारी रखी।

अपने हुनर से पाई सफलता

चेतन सकारिया को अंतरास्ट्रीय क्रिकेट में श्रीलंका के खिलाफ 23 जुलाई 2021 को डेब्यू करने का मौका मिला और पहले ही मैच में चेतन ने अपनी गेंदबाज़ी और फील्डिंग से सबको प्रभावित किया। चेतन ने पहले मैच में ही किफ़ायती गेंदबाज़ी करते हुए 2 विकेट भी झटके। चेतन सकारिया ने 8 ओवर की गेंदबाज़ी में 34 रन देकर 2 विकेट लिए। चेतन ने अपनी लाइन, लेंथ और सटीक गेंदबाज़ी से भारत के लिए बांये हाथ के तेज़ गेंदबाज़ की भूमिका निभाने का दम दिखाया है। इसके बाद आईपीएल में भी राजस्थान रॉयल्स की ओर से खेलते हुए चेतन ने अपने पहले मैच में शानदार प्रदर्शन किया और तीन विकेट हासिल किए। इनका बेस्ट बोलिंग परफॉर्मेंस 11 रन देकर पांच विकेट है।

चेतन ने अपनी मेहनत और लगन से अपनी किस्मत को भी बदल कर रख दिया। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों के आगे कभी हार नहीं मानी। यही कारण है कि आज उनकी सफलता की कहानी सब कुछ बयां कर रही है। आज वो अपने जैसे कई लोगों को प्रेरित कर रहे हैं।