इंसान अगर चाहे तो अपनी मेहनत से अपनी किस्मत को भी बदल सकता है। कोई भी परिस्थिति व्यक्ति के हौसलों से बड़ी नहीं होती। इस बात का प्रत्यक्ष उदाहरण हैं राजस्थान के भीलवाड़ा के रहने वाले किसान अब्दुल रज्जाक जिनके पिता की कैंसर से मौत हो गई थी। उनके पिता को रासायनिक उर्वरकों के ज़रिए उगी फल-सब्जियां खाने से कैंसर हो गया और उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ी। अब्दुल रज्जाक पिता की मौत से सदमे में आ गए। लेकिन फिर उन्होंने प्रण लिया कि वो किसी और की जान रासायनिक उर्वरकों से जाने नहीं देगें। इसी प्रण को पूरा करने के उद्देश्य से उन्होंने जैविक खेती की शुरूआत की और देखते ही देखते आज वो करोड़ों रूपये की सालाना कमाई कर रहे हैं। वह आज लोगों के लिए रोल मॉडल बन गए हैं।

लेकिन अब्दुल रज्जाक के लिए जैविक खेती करना और अपनी पहचान बनाना आसान नहीं था। तो आइए जानते हैं उनके जीवन का प्रेरक सफर

बचपन से ही करना चाहते थे खेती

राजस्थान के भीलवाड़ा के बीगोद कसबे के रहने वाले अब्‍दुल रज्‍जाक शुरू से ही खेती करना चाहते थे। इसलिए वो खेती-बाड़ी में बहुत रूचि रखते थे। उनके पिता ता हारून आजाद को खीरा, ककड़ी खाने का बड़ा शौक था। यह खीरा ककड़ी पॉलीहाउस की रसायनिक खाद और उर्वरक से पैदा होती थी। जिसके कारण उनके पिता को कैंसर हो गया। साल 2012 में कैंसर के कारण उनके पिता का देहांत हो गया। पिता की मौत ने अब्दुल रज्जाक को तोड़ कर रख दिया। इसके बाद रज्जाक ने तय किया वह रासायनिक उर्वरकों वाली खेती छोड़ जैविक खेती करेगें ताकि किसी की कैंसर की वजह से मौत ना हो।

ऐसे की जैविक खेती की शुरूआत

साल 2006 में दसवीं क्लास पास करने के बाद अब्दुल रज्जाक ने खेती करने की सोची। लेकिन उस समय वो खेती नहीं कर पाए। किंतु पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने अपनी 8 एकड़ जमीन में सब्जियों की खेती की शुरुआत की। रज्जाक ने 10 एकड़ जमीन में से 2 एकड़ में अमरूद और संतरे के पेड़ लगाए। बाकि  8 एकड़ जमीन में सब्जियों की खेती की शुरुआत की। सब्जियों में ककड़ी, टमाटर, शिमला मिर्ची और लौकी आदि को ही विशेष रूप से उन्होंने प्राथमिकता दी। वो शुरूआत में इन्हीं की खेती करने लगे। धीरे-धीरे लोग उनके द्वारा उगाई गई फलों और सब्जियों को पसंद करने लगे। अब्दुल को रसायनिक खेती के भाव पर ही जैविक खेती के लिए बाज़ार में पैसे मिलते थे लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी  और पूरे लगन से जैविक खेती करने में जुटे रहे।

आज कर रहे हैं करोड़ों की कमाई

अब्दुल रजाक जैविक तकनीक से उगाए गए फलों व सब्जियों को स्थानीय मार्केट में ही बेच रहे हैं। उनकी सबसे बड़ी खरीददार तो भीलवाड़ा उपज मंडी है। खेती के दौरान गोबर की खाद वर्मी कंपोस्ट और अन्य कीटनाशक सभी में जैविक ही प्रयोग करते हैं। फसल पर वह जीवामृत,गोमूत्र, देसी खाद और हरे पत्तों की खाद जीवाणु कल्चर के अलावा बायो पेस्टीसाइड और बायो एजेंट जैसे क्राइसोपा का प्रयोग करते हैं। इससे उनकी फसल की उपज बढ़ती है। यही कारण है कि आज वो हर साल 1 करोड़ से भी ज़्यादा की कमाई कर रहे हैं। वो अपनी फसल में तकरीबन 30 लाख रूपये लगाते हैं और 70 लाख रूपये मुनाफा के रूप में कमाते हैं।

अन्य लोगों को भी कर रहे हैं प्रेरित

आज अब्दुल रजाक अपनी खुद की जैविक प्रयोगशाला बनाकर अन्य किसानों को भी ऑर्गेनिक फार्मिंग का रास्ता दिखा रहे हैं। कृषि विभाग द्वारा राज्य, जिला व तहसील स्तर पर कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है। वो अन्‍य किसानों को भी जैविक खेती के गुर सीखा रहे हैं। वो जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए अन्य लोगों को निःशुल्क रूप से जागरूक कर रहे हैं। वो जैविक खेती करने की निःशुल्क जानकारी देते हैं। अब्दुल रज्जाक केवल दसवीं पास हीं हैं लेकिन आज वो सभी प्रकार के जैविक खाद और कीटनाशक खुद ही तैयार करते हैं।

आज अब्दुल रज्जाक लोगों के लिए मिसाल बन गए हैं। उन्होंने न केवल लोगों को स्वस्थ खान-पान के प्रति जागरूक किया है बल्कि जैविक खेती के ज़रिए अच्छी कमाई करने का नया रास्ता भी दिखाया है। वो अपने साथ-साथ 50-60 लोगों को रोज़गार भी उपलब्ध करवा रहे हैं। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से सफलता की नई कहानी लिखी है। आज वो लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।

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