किसी ने सच ही कहा है  दुनिया मे असंभव कुछ भी नहीं है।  इसांन चाहे तो वो सब कुछ कर सकता है जो वो सोचता है।  कुछ ऐसा ही किया है – थायरोकेयर टेक्नोलॉजी (Thyrocare Technology) के संस्थापक और सीईओ अरोकियास्‍वामी वेलुमणि ने। जिन्होंने जिन्दगी के संघर्ष के आगे घुटने नहीं टेके बल्कि अपनी मेहनत और लगन की बदौलत आज थायरोकेयर जैसी करोड़ों की कंपनी खड़ी कर दी। आग में तपकर ही सोना कुंदन बनता है और अरोकियास्‍वामी वेलुमणि वो कुंदन है जिन्होंने खुद को गरीबी और संघर्ष की आग में तपाकर ही निखारा है।

अरोकियास्‍वामी वेलुमणि का जन्म तमिलनाडु के कोयंबटूर के एक गांव में हुआ था। उनका परिवार बहुत गरीब था। उनके पिता किसान थे, परिवार को भोजन भी सही से नहीं मिल पाता था। वेलुमणि अपनी पढाई के लिए स्कूल 6 किलोमीटर तक पैदल चलकर जाते थे। । अरोकियास्‍वामी वेलुमणि के परिवार के हालात इतने सही नहीं थे कि वो पढ़ाई का खर्च उठा पाते। घरवाले उन्हें पढ़ाई छोड़ने को कहते, लेकिन वेलुमणि मना कर देते क्योंकि उन्हें जिंदगी में कुछ और ही करना था।

घर में आर्थिक तंगी बहुत ज्यादा थी।  किसी तरह वेलुमणि ने कैमिस्ट्री में अपने ग्रेजुएशन की शिक्षा पूरी की। उस समय कॉलेज की ग्रुप फोटो खरीदने के लिए भी उनके पास पैसे नहीं थे। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने इंटरव्यू के लिए आवेदन करना शुरु किया। उन्होंने 60 से भी अधिक कंपनी में आवेदन दिया लेकिन हर जगह से उन्हें असफलता ही मिली।

असफलताएं भी वेलुमणि का रास्ता रोक नहीं पाईं। वेलुमणि ने हार नहीं मानी और अपने हालातों के साथ संघर्ष करने लगे। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई और एक कैप्सूल बनाने वाली कंपनी में उन्हें नौकरी मिल गई। इस कंपनी में उनकी तनख्वाह 150 रुपय थी। कुछ समय नौकरी करने के बाद वो नौकरी छोड़ कर मुंबई चले गए। मुंबई पहुंचने पर वो कई दिनों तक नौकरी के बिना रहे। आखिरकार उनका संघर्ष काम आया और वो  भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) में गजेटेड ऑफिसर के पद पर कार्यरत हो गए। इस दौरान उनकी शादी हो गई। उनकी पत्नी सरकारी बैंक में काम करती थी।

सब कुछ अच्छा था। वेलुमणि को सभी सुविधाएं भी मिल रही थी, लेकिन वो एक कंफर्ट जोन में बंधकर नहीं रहना चाहते थे। उन्होंने वहां से, निकलना ही बेहतर समझा। इसमें उनका साथ उनकी पत्नी ने भी दिया। दोनों ने अपनी नौकरी छोड़ दी।  जिसके बाद उन्होने एक गैराज किराए पर लिया और 1 लाख रुपय का निवेश कर एक रसायन लैब शुरु किया। 150 स्कावायर फुट का यह गैराज धीरे-धीरे 4 लाख स्कवायर फुट में फैल गया। जिसके बाद वेलुमणि ने अपनी कंपनी का निम थायरोकेयर टेक्‍नॉलोजी (Thyrocare Technology) के नाम से रजिस्टर करवाया। आश्चर्य की बात यह है कि रजिस्टर कराने के पहले ही दिन उनकी कंपनी ने 35 करोड़ का कारोबार किया।

वेलुमणि अपनी मेहनत और लगन के साथ अपने बिज़नेस की सफलता की कहानी (Success Story) लिखते चले गए। आज उनकी कंपनी के भारत में 1200 से ज्यादा आउटलेट है। यह कंपनी 2000 से भी ज्यादा शहरों में काम कर रही है। उनकी यह कंपनी थायराइड टेस्टिंग का काम करती है।

वेलुमणि सभी के लिए एक प्रत्यक्ष उदाहरण है। जिन्होंने अपने हालातों के आगे घुटने नहीं टेके बल्कि अपनी मेहनत और लगन से आज करोड़ो की कंपनी खड़ी कर दी। वो सभी के लिए एक प्रेरणास्त्रोत (Inspiration) है। अपने संघर्ष और असफलता को कैसे अपनी जीत और सफलता में बदला जाता है इस बात को सच कर दिखाने वाले वेलुमणि है। जो सभी के लिए एक मोटिवेशन (Motivation) है।

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