नई दिल्ली: भारत के उन्नत विनिर्माण क्षेत्र में एक नये चलन को स्थापित करने के लिए आईआईटी खड़गपुर ने टीसीएस के साथ संयुक्त रूप से औद्योगिक उत्पादन के दौरान सुदूर फैक्ट्री संचालन को नियंत्रित करने और वास्तविक समय के आधार पर गुणवत्ता संशोधन के लिए नोवल इंडस्ट्री 4.0 तकनीक विकसित की है.
महामारी के समय में जब स्वच्छता और सामाजिक दूरी रखने जैसे मानदंडों के चलते कर्मचारियों पर प्रतिबंध हैं, तब प्रभावी औद्योगिक संचालन को बनाए रखने में क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर, रिमोट और रियल-टाइम ऑपरेशन सिस्टम महत्वपूर्ण बन गए हैं. लेकिन आत्मनिर्भर भारत के संदर्भ में नियंत्रित संचालन के लाभों का, खास तौर पर कम लागत पर गुणवत्तापूर्ण उत्पादन करने में, एक बड़ा प्रभाव है. वर्तमान नवाचार ने फ्रिक्शन स्टर वेल्डिंग (घर्षण संक्षोप वेल्डिंग) की औद्योगिक प्रक्रिया को इंडस्ट्री 4.0 की बहु-संवेदी प्रणाली के तौर पर उन्नत कर दिया है. इसने न केवल भारतीय औद्योगिक क्षेत्र में दूर से नियंत्रित संचालनों के तरीके को तय किया है, बल्कि उत्पादन प्रक्रिया के दौरान वास्तविक समय के आधार पर गुणवत्ता जांच और सुधार को भी सक्षम बनाया है. यह औद्योगिक घरानों के लिए संपूर्ण उत्पादन प्रक्रिया में मानकीकृत गुणवत्ता के लक्ष्य प्राप्त करने और अस्वीकृति के मामलों में कटौती को भी संभव बनाएगा, जिससे उत्पादन की लागत में कमी आएगी.
‘मेक इन इंडिया’ के लक्ष्य को पाने के लिए ऐसी प्रौद्योगिकी की आवश्यकता पर जोर देते हुए निदेशक प्रो. वीरेंद्र के तिवारी ने कहा, “जब हम स्वदेशी उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देने का लक्ष्य तय कर रहे हैं, तो हमारा प्राथमिक लक्ष्य न्यूनतम बाधाओं के साथ गुणवत्तापूर्ण उत्पादन होना चाहिए. चाहे भारत में कोई उपभोक्ता हो या विदेशों में, ये हमारे औद्योगिक क्षेत्र की दो बुनियादी जरूरतें हैं, जिन्हें हमें बड़ी मात्रा में काम लेते समय इसे निश्चित तौर पर लागू करना चाहिए. आईआईटी खड़गपुर में उन्नत विनिर्माण प्रौद्योगिकी में उत्कृष्टता केंद्र में हमने इस लक्ष्य को पाने में अपने औद्योगिक क्षेत्र की मदद करने के लिए स्वदेशी तौर पर विकसित इंडस्ट्री 4.0 प्रौद्योगिकी के विकास को अपना लक्ष्य तय किया है."
टीसीएस के सहयोग से उन्नत विनिर्माण प्रौद्योगिकी में उत्कृष्टता केंद्र में इंचार्ज प्रोफेसर प्रो. सूरज्या के पाल द्वारा विकसित नवीन प्रौद्योगिकी कई सेंसर के माध्यम से वेल्डिंग प्रक्रिया की वास्तविक समय के आधार पर जानकारी प्राप्त करेगी और फ्रिक्शन स्टर वेल्डिंग मशीन के साथ क्लाउड-आधारित संचार साधन के द्वारा वेल्डिंग गुणवत्ता के ऑनलाइन नियंत्रण को भी सक्षम बनाएगी. प्रो. पाल ने कहा, “वेल्डिंग किसी भी औद्योगिक कामकाज के केंद्र में है. अगर हम खेप के उत्पादन के दौरान वास्तविक समय में वेल्ड की गुणवत्ता को सुधार सकते हैं तो हम उत्पादन के बाद की जांच में नमूनों को अस्वीकृत करने के मामलों को घटा सकते हैं.”
नई तकनीक के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, “हमारी मल्टिपल सेंसर की प्रक्रिया में बहुत सी सिग्नल प्रोसेसिंग (प्रसंस्करण) और मशीन लर्निंग प्रौद्योगिकी शामिल हैं, ताकि आपस में जोड़े जा रहे सिरों की अधिकतम खिंचाव शक्ति का अनुमान किया जा सके. यह प्रौद्योगिकी एक मानक व्यवस्था और जोड़े गए सिरों की शक्ति के अनुमान के अनुरूप एक व्यापक प्रयोगात्मक ज्ञान आधार के साथ जुड़ी है. अगर निगरानी प्रक्रिया के दौरान कोई भी कमी मिलती है तो उसे मशीन को संशोधित मानकों को भेजकर वास्तविक समय में ही सही कर लिया जाता है, जिससे प्रक्रिया की मानकीकृत गुणवत्ता सुनिश्चित रहती है.” प्रो. पाल ने आगे कहा कि इस प्रौद्योगिकी की अवधारणा को दूसरी औद्योगिक प्रक्रियाओं में वास्तविक समय के आधार पर नियंत्रण करने के लिए विकसित किया जा सकता है और बहुत जल्द केंद्र में अन्य औद्योगिक भागीदारों के साथ मिलकर ऐसे काम को किया जाएगा.
औद्योगिक भागीदार टीसीएस का मानना है कि ऐसे एक नवाचार ने देश में तकनीक आधारित परिवर्तनों को दिशा देने, खास तौर पर महामारी के चलते आई चुनौतियों से निपटने में मदद की है. कार्यकारी उपाध्यक्ष और मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी के अनंत कृष्णन ने कहा, “आईआईटी खड़गपुर में उन्नत विनिर्माण प्रौद्योगिकी में उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) द्वारा विकसित मल्टी-सेंसर फ्यूजन के जरिए रिमोट फ्रिक्शन स्टर वेल्डिंग मशीन की गुणवत्ता का नियंत्रण इसका स्पष्ट उदाहरण है.”
उनके अनुसार “एंबेडेड सिस्टम्स और रोबोटिक्स, आईओटी और टीसीएस के रिसर्च एंड इनोवेशन से आईसीएमई प्लेटफॉर्म की टीमें मापने योग्य और मजबूत प्लेटफॉर्म के जरिए वेल्ड किए गए सिरों की शक्ति का आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित पूर्वानुमान/नियंत्रण हासिल करने की दिशा में आईआईटी खड़गपुर के सीओई के साथ बहुत नजदीकी के साथ काम कर रही हैं. वैज्ञानिक दृढ़ता के साथ वास्तविक दुनिया के समाधानों को तैयार करने में अकादमिक साझेदारी टीसीएस रिसर्च और टीसीएस इनोवेशन नेटवर्क (टीसीएस क्वाइन) का एक महत्वपूर्ण अंग है.”