जो भी व्यक्ति शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करना चाहता है, उसके मन में सबसे बड़ा डर ट्रेडिंग में होने वाले नुकसान का होता है। इस नुकसान को रिस्क मैनेजमेंट के ज़रिए कम किया जा सकता है।
आइए जानते हैं रिस्क मैनेजमेंट क्या है और ये किस तरह से किया जा सकता है।
ट्रेडिंग में नुकसान से बचने के लिए रिस्क मैनेजमेंट के 6 तरीके:
- स्टॉप लॉस ऑर्डर (Stop Loss Order): स्टॉप लॉस ऑर्डर एक ऐसा तरीका है जिससे आप अपने होने वाले लॉस को पहले से ही सेट कर सकते हैं और ज्यादा लॉस होने से खुद को बचा सकते हैं। जैसे मान लीजिए आपने सौ रुपए में किसी स्टॉक को खरीदा और आप उस स्टॉक पर सिर्फ 10 रुपए तक का ही नुकसान उठाना चाहते हैं। तो ऐसे में आपको 90 रुपए पर अपना स्टॉप लॉस ऑर्डर सेट करना होगा, जैसे ही आपके स्टॉक की कीमत 90 पर पहुंचेगी, आपका ट्रेड अपने आप बंद हो जाएगा। इससे आपको उस ट्रेड पर सिर्फ उतना ही नुकसान होगा जितना आप संभाल सकते हैं।
- पोजीशन साइजिंग (Position Sizing): किसी भी ट्रेड में कितना पैसा इंवेस्ट करना है, ये पहले से तय करना बहुत ज़रूरी होता है। क्योंकि अगर आप किसी एक ही ट्रेड में अपने पैसे का बड़ा हिस्सा इंवेस्ट करेंगे, तो नुकसान भी उतना ही बड़ा हो सकता है। इसीलिए एक साधारण सा नियम ये है कि किसी भी ट्रेड में अपनी कुल पूंजी का सिर्फ 1-2 प्रतिशत ही इंवेस्ट करें और रिस्क को कम से कम रखें।
- डाइवर्सिफिकेशन (Diversification):
ट्रेडिंग में डाइवर्सिफिकेशन भी रिस्क को कम करने का एक बहुत अच्छा तरीका है। इसमें आप अपने इन्वेस्टमेंट को अलग-अलग सेक्टर्स, एसेट्स और फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स में बांट सकते हैं। इस तरह से आपका इन्वेस्टमेंट कई जगह बंट जाता है। ऐसे में अगर किसी एक एसेट में आपको नुकसान भी होता है तो दूसरे एसेट से आप अपने उस नुकसान की भरपाई भी कर सकते हैं।
जैसे अगर आपने सिर्फ स्टॉक्स में निवेश किया है और स्टॉक मार्केट गिरा, तो आप पूरी तरह से लॉस में चले जाएंगे। लेकिन अगर आपने बॉन्ड्स, गोल्ड और म्यूचुअल फंड्स में भी निवेश किया है, तो आपको एक जगह पर बड़ा नुकसान नहीं होगा।
- हेजिंग (Hedging): हेजिंग एक और तरीका है जिससे आप ट्रेडिंग में नुकसान से बच सकते हैं। इसमें आप अपने खरीदे गए स्टॉक्स के साथ एक पुट ऑप्शन भी खरीदते हैं। मान लीजिए आपने 100 रुपए का एक स्टॉक खरीदा, लेकिन आपको लगता है कि आने वाले समय में स्टॉक का दाम गिर सकता है। ऐसे में आपका खरीदा गया पुट ऑप्शन आपको उस स्टॉक को एक तय अमाउंट में बेचने का अधिकार देता है। इससे जब आपके स्टॉक की कीमत गिरती है, तो हेजिंग आपको बड़ा नुकसान होने से बचा लेती है।
- रिस्क रिवार्ड रेशियो (Risk Reward Ratio): आप किस ट्रेड में कितना फायदा या नुकसान उठा सकते हैं, इसका अनुमान रिस्क रिवार्ड रेशियो निकालकर लगा सकते हैं। आपके ट्रेड का रेशियो 1:2 या इससे बेहतर होना चाहिए। मतलब अगर आप 1 रुपया जोखिम में डाल रहे हैं, तो उस पर आपको कम से कम 2 रुपए का फायदा मिलना चाहिए।
सूझ बूझ के साथ लें ट्रेडिंग से जुड़े फैसले
डर और लालच जैसी भावनाओं पर नियंत्रण रखना भी बहुत महत्वपूर्ण है। कभी भी तनाव में आकर अपने निवेश के फैसले न लें और न ही थोड़ा फायदा देखकर लालच में आएं। अपने ट्रेडिंग गोल्स को हमेशा वास्तविकता के अनुसार सेट करें, क्योंकि ज्यादा उम्मीद रखना आपको बड़े जोखिम में डाल सकता है।
ट्रेडिंग में नुकसान से बचने के लिए आप इन 6 रिस्क मैनेजमेंट तरीकों का पालन कर सकते हैं। अपनी भावनाओं को नियंत्रित कर, सही फैसले लेते हुए आप ट्रेडिंग में बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।
आप ट्रेडिंग में किन अन्य तरीकों का इस्तेमाल करते हैं? हमें कॉमेंट्स में ज़रूर बताएं।