आज हम में से ना जाने कितने लोग ऐसे है जो शेयर मार्केट से आसानी से पैसे कमाने की चाहत रखते है. लेकिन पैसे डूब जाने के डर से अपनी ख्वाहिश दबा देते है. हालांकि शेयर मार्केट से पैसे कमाने की चाहत रखना आसान है, लेकिन अपने पैसे को डूबने से बचाकर अच्छी कमाई करना काफी कठीन है, लेकिन अगर रणनीति अच्छी हो तो आपका मुनाफा होना तय है. स्टॉक मार्केट के जानकार कहते है शेयर बाजार में निवेश के लिए सब्र, समझ और सही रणनीति बहुत मायने रखती है. मोटिवेशनल स्पीकर डॉ. विवेक बिंद्रा (Dr Vivek Bindra) ने स्टॉक मार्केट के कुछ ऐसे ही फार्मूले बताए है, जो पहली बार निवेश करने वाले को भी बेहद कम रिस्क में अच्छी कमाई करवा सकते है.
डॉ. विवेक बिंद्रा का स्टॉक मार्केट का यही फार्मूला कई करोड़पतियों का भी है. इसको अपनाने पर शेयर बाजार में पैसे डूबने की गुंजाईश खत्म हो जाती है, बल्कि आप निवेश की हुई रकम से पैसे कमाएंगे. डॉ. विवेक बिंद्रा कहते है कि कभी भी शेयर बाजार में पैसे डालने से पहले खुद को तैयार करें फिर अपना लक्ष्य बनाए और अंत में एक्शन यानि मैदान में उतरे. शेयर बाजार के हर निवेशक को पहले स्टडी, प्रैक्टिस फिर पैसे निवेश करने चाहिए. ऐसा करने पर निवेशक के पैसे बर्बाद नहं होते और कमाई सुनिश्चित होती है.
शेयर मार्केट के कुछ टर्म्स होते है जो निवेश से पहले समझना आवश्यक है. इसमें सबसे जरुरी फंडामेंटल और टेक्निकल है. डॉ. विवेक बिंद्रा कहते है हर किसी के लिए फंडामेंटल को समझना मुश्किल काम है. दरअसल इसमें इकॉनमी, इंडस्ट्री (FMCG, फार्मा जैसे), गवर्नमेंट पॉलिसी और मोनेटरी पॉलिसी, क्रूड आयल के दाम, डॉलर की कीमत में बदलाव, ग्लोबल मार्केट आदि फैक्टर शामिल होते है. जबकि जिस शेयर को आप खरीदना चाहते है वो कंपनी का ग्रोथ, फ्यूचर प्लान, मार्केट शेयर, टारगेट, प्रोडक्ट कैसा है. सबकुछ जानना पड़ता है. इसके विपरीत टेक्निकल में शेयर का दाम और ट्रेंड यानि की शेयर लगातार गिर रहा है या लगातार ऊपर जा रहा है समझना पड़ता है.
डॉ. विवेक बिंद्रा कहते है फंडामेंटल को केवल कारण होता है जबकि टेक्निकल रिजल्ट होता है. इसलिए टेक्निकल में आगे बढ़ना जरुरी है. इसके तहत निवेशक को उस कंपनी के शेयर का ट्रेंड देखना चाहिए, जिस पर वह पैसे लगाना चाहता है. बिंद्रा कहते है शेयर मार्केट से पैसे कमाने के साथ ही डूबने से बचाने के लिए उस शेयर का चार्ट देखों समझों और ट्रेंड को जानों. चार्ट का विश्लेषण कर निवेशक अपनी लागत यानि मूल को डूबने से बचा सकता है और उसी कैपिटल को आगे इस्तेमाल कर सकता है. ट्रेंड को मॉनिटर करने से ही पैसे कब लगाने है और कब निकालने है, इसकी सही जानकारी मिलेगी.
डॉ. विवेक बिंद्रा ने बताया स्टॉक मार्केट का सीक्रेट फार्मूला-
इसके लिए जानेमाने मोटिवेशनल स्पीकर डॉ. विवेक बिंद्रा ने एक मंत्र दिया है- Trend is your friend until it bends. यानि की शेयर मार्केट ट्रेंड ऊपर जा रहा है तो पैसे लगाओं और नीचे जाने पर अपनी पूंजी निकाल लो. उन्होंने बताया कि अप ट्रेंड (UPTrend)- इसका मतलब पिछला हाई उससे पिछले वाली हाई से हाई हो गया (Higher high Higher low) है तो शेयर खरीद लो. और इसके उलट डाउन ट्रेंड (Downtrend)- इसका मतलब पिछला लो उससे पिछले वाली लो से लो हो गया (Lower Low Lower High) है तो शेयर बेच दो. जबकि साइडवेज़ ट्रेंड (sideways Trend) होने पर निवेशक को कुछ नहीं करना चाहिए. ऐसी स्थिति में शेयर को ना खरीदना चाहिए और ना ही बेचना चाहिए. साइडवेज़ ट्रेंड यानि सबकुछ बराबर पर है. ट्रेंड ना ऊपर जा रहा है और ना नीचे जा रहा है.
ऐसे समझे ट्रेंड
डॉ. विवेक बिंद्रा ने बताया कि रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (Relative Strength Index) से प्राइस ट्रेंड डायरेक्शन समझा जा सकता है. यह फ्री में Investing.com या फिर Moneycontrol.com पर आसानी से उपलब्ध है. Relative Strength Index (RSI) अगर 40 के नीचे है तो आपका निवेश जोखिम में है और जल्द से जल्द घाटे से बचने के लिए शेयर को बेच देना चाहिए. क्योकि आपका शेयर डाउन ट्रेंड होने वाला है. जबकि RSI अगर 60 के ऊपर है तो शेयर खरीदना फायदे का सौदा हो सकता है. क्योकि शेयर अप ट्रेंड जाएगा. यदि RSI 40-60 के बीच में है तो साइडवेज़ ट्रेंड है.
डॉ. विवेक बिंद्रा ने RSI की अहमियत कुछ केस स्टडी के जरिए भी समझाई है. उन्होंने बताया कि रिलायंस का शेयर 18 अप्रैल को 1306 रुपये थी. जबकि फेसबुक और जियो की डील 22 अप्रैल को हुई और तब अपट्रेंड होने के कारण निवेशको का पैसा डबल हो गया. यानि की न्यूज़ में डील होने की जानकारी सामने आने से पहले ही ट्रेंड में सब कुछ दिखने लगता है.
कुछ ऐसा ही HFL स्कैम में भी हुआ. DHFL का शेयर 4 सितंबर 2018 को डाउन ट्रेंड होने लगा तब उसके शेयर की कीमत 650 रुपये थी. हालांकि न्यूज़ में इस स्कैम का पर्दाफाश 22 सितंबर को हुआ तब दाम 250 रुपये पहुंच गए. यानि की ट्रेंड से पहले ही आगे के हालात को समझे जा सकते है. इसके लिए कोई फाइनेंस बैकग्राउंड की भी जरुरत नहीं पड़ती है.