रतन टाटा को आज किसी भी पहचान की ज़रूरत नहीं है; विरासत में मिले टाटा ग्रुप को रतन टाटा ने अपनी सोच और परिश्रम से नई ऊंचाइयों पर पहुँचाया है।

रतन टाटा एक अच्छे डिसीज़न मेकर, दूर की सोच रखने वाले और एक अच्छे लीडर हैं। यही कारण है कि आज रतन टाटा भारत के करोड़ों लोगों के प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं।

आज उनके जन्मदिन पर जानिये उनकी ज़िन्दगी के कुछ रोचक किस्से:

टाटा ग्रुप में साधारण कर्मचारी की तरह किया काम

रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को सूरत में हुआ। अपनी ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद 1975 में उन्होंने हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल से एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम की पढ़ाई की। रतन टाटा के पास आईबीएम का ऑफर था, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया और 1961 में टाटा स्टील में एक कर्मचारी के तौर पर अपने जीवन की शुरुआत की। इस तरह एक साधारण कर्मचारी के रूप में काम करने ने उन्हें कंपनी के तौर तरीकों और अहम चीज़ों को समझने में मदद की।

जगुआर लैंड रोवर को ख़रीदा

टाटा कंपनी ने 1998 में हैचबैक कार इंडिका लांच की, लेकिन शुरुआत में वो सफल नहीं हो सकी। जब टाटा ने अपनी कार डिवीज़न को बंद करने का फैसला लिया, तो अमेरिकी कंपनी फोर्ड ने इसे खरीदने का प्रस्ताव रखा। मीटिंग में कंपनी चेयरमैन बिल फोर्ड ने कहा कि हम इस डील से आपके ऊपर अहसान कर रहे हैं। इन शब्दों ने रतन टाटा को झकझोर दिया, इसके बाद उन्होंने इस पर काम शुरू कर इसे एक कामयाब ब्रांड बना दिया। 2008 में फोर्ड के दिवालिया होने पर टाटा ने उसे भी खरीद लिया।

टाटा की लखटकिया कार

रतन टाटा का यह सपना था कि वे देश के आम लोगों को कम कीमत में कार दे सकें, इसी विचार को ध्यान में रखते हुए टाटा ने 2009 में नैनो लांच की। टाटा नैनो की कीमत 1 लाख रखी गयी, जिसके कारण इसे लखटकिया कार कहा गया। भले ही बिक्री के मामले में नैनो असफल हो गयी हो, लेकिन रतन टाटा के इस आईडिया की देश में खूब तारीफ हुई।

स्टार्टअप्स में इन्वेस्टमेंट

रतन टाटा का भारत के युवाओं में विश्वास है, यही कारण है कि उन्होंने कई सारे स्टार्टअप्स में निवेश किया है। उनका मानना है कि लगातार इनोवेशन से ही कम्पनियां मार्केट में बनी रह सकती हैं। यह बात हम उनके द्वारा इन्वेस्ट किये गए स्टार्टअप्स की लिस्ट देखकर समझ सकते हैं। जिन स्टार्टअप्स में रतन टाटा ने निवेश किया है, उसमें लेंसकार्ट, ओला, पेटीएम, स्नैपडील जैसे कई बड़े नाम शामिल हैं।

मिले कई अवार्ड्स

रतन टाटा के द्वारा बिज़नेस के क्षेत्र में किये गए अपने अतुलनीय कार्यों के लिए उन्हें कई महत्वपूर्ण सम्मान से भी नवाज़ा गया है। उन्हें भारत सरकार के द्वारा 2000 में पद्म भूषण और 2008 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा उरुग्वे, सिंगापुर, ब्रिटैन, इटली, जापान, फ्रांस आदि देशों की सरकारों के द्वारा महत्वपूर्ण सम्मान भी रतन टाटा को दिए गए हैं।

टाटा ग्रुप के इतने बिज़नेस होने के बाद भी रतन टाटा कभी भी सबसे अमीर लोगों की सूची में नहीं आये हैं, इसका कारण है उनका सादगीपूर्ण जीवन और उनके द्वारा किया गया दान। रतन टाटा अपने 65 प्रतिशत शेयर्स चैरिटेबल ट्रस्ट में निवेश कर चुके हैं। कोरोना महामारी के दौरान रतन टाटा ने 1500 करोड़ रुपये सरकार को महामारी से मुकाबला करने और स्वास्थ्य सेवा के प्रबंध के लिए दान दिए थे।

रतन टाटा सही फैसले लेने में विश्वास नहीं करते, वह फैसले लेते हैं और उन्हें सही साबित करते हैं। उनका पूरा जीवन इसी आधार पर चला है, यही कारण है कि भारत के करोड़ों लोग उन्हें अपना आदर्श मानते हैं और उनके जीवन से प्रेरणा लेते हैं।


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