कोरोना वायरस महामारी के बीच एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) क्षेत्र के लिए बड़ी राहतभरी खबर आई है. वर्ल्ड बैंक ने भारत सरकार की एमएसएमई सेक्टर को दी जाने वाली मदद की पहल को समर्थन देने वाले 500 मिलियन डॉलर यानी 3600 करोड़ रुपये से ज्यादा के कार्यक्रम को मंजूरी दे दी है. नए स्टार्टअप्स के लिए गवर्नमेंट ई-मार्केट प्‍लेस है सबसे बेस्ट, हजारों MSME भी जुड़कर कमा रहे बड़ा मुनाफा

वर्ल्ड बैंक के कार्यकारी निदेशक मंडल ने एमएसएमई क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के मकसद से भारत की राष्ट्रव्यापी पहल का समर्थन करने के लिए 500 मिलियन डालर के कार्यक्रम को मंजूरी दी है. दरअसल लाखों लोगों को रोजगार देने वाला यह सेक्टर कोविड-19 संकट से बहुत अधिक प्रभावित हुआ है.

पिछले शुक्रवार को जारी एक बयान के अनुसार, इस कार्यक्रम से 555,000 एमएसएमई के प्रदर्शन में सुधार लाने का लक्ष्य है. भारत के एमएसएमई क्षेत्र की सहायता के लिए यह वर्ल्ड बैंक का दूसरा कार्यक्रम है. इससे पहले पिछले साल जुलाई में 75 करोड डॉलर के आपात कार्यक्रम को मंजूरी दी गई थी.

बयान में कहा गया है, "आज तक 5 मिलियन फर्मों ने सरकारी कार्यक्रम से वित्त प्राप्त किया है. आज अनुमोदित कार्यक्रम के साथ एमएसएमई क्षेत्र की उत्पादकता और वित्तीय व्यवहार्यता में सुधार के लिए विश्व बैंक का वित्तपोषण पिछले वर्ष की तुलना में 1.25 अरब डॉलर ज्यादा है. इस सहायता से भारत सरकार के एमएसएमई  सेक्टर में उत्पादकता और वित्तपोषण बढ़ाने के प्रयासों बल मिलेगा.”

भारत में वर्ल्ड बैंक के कंट्री डायरेक्टर जुनैद अहमद (Junaid Ahmad) ने कहा, "एमएसएमई सेक्टर भारत की अर्थव्यवस्था की नाजुक रीढ़ है, जो कोविड-19 महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुआ है." उन्होंने कहा "RAMP प्रोग्राम (राइजिंग एंड एक्सेलेरेटिंग एमएसएमई परफॉर्मेंस) एमएसएमई क्षेत्र में दीर्घकालिक उत्पादकता और नौकरियों के सृजन की नींव रखते हुए महामारी से पहले के उत्पादन और रोजगार के स्तर पर लौटने के फर्मों के प्रयासों को सपोर्ट करेगा."

विज्ञप्ति के अनुसार, एमएसएमई क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 30 प्रतिशत और निर्यात में 40 प्रतिशत का योगदान देता है. भारत में लगभग 58 मिलियन एमएसएमई में से 40 प्रतिशत से अधिक के पास वित्त के औपचारिक स्रोतों तक पहुंच नहीं है.