एक ज़माना था जब लोग कहते थे कि पढ़ाई लिखाई करके हम ठेला थोड़ी लगाएंगे, चाय या खाना थोड़ी बेचेंगे। लेकिन आज परिस्थितियां बदल गई हैं, अब लोग ग्रेजुएशन, एमबीए करने बाद भी अपनी पहचान बनाने के लिए बिना शर्म के चाय बेच रहे हैं, फूड स्टॉल लगा रहे हैं। समाज के लोग क्या कहेंगे इसकी परवाह ना करते हुए अपना सारा फोकस अपने काम पर लगा रहे हैं और अपनी पहचान भी बना रहे हैं। इसी कड़ी में एक और नाम जुड़ गया है अविनाश का जिन्होंने ग्रेजुएट इडली वाले के नाम से अपनी पहचान बनाई है। अविनाश दिल्ली के सराय मेट्रो स्टेशन के पास दक्षिण भारतीय खाने का फूड स्टॉल अपनी बाईक पर ही लगाते हैं। अपनी शॉप खोलने का सपना देखने वाले अविनाश ग्रेजुएट हैं। इसके बाद भी उन्होंने फूड स्टॉल लगाने में बिल्कुल भी झिझक महसूस नहीं की क्योंकि वो खुद का काम करना चाहते हैं। आज कई लोग उनके इस कदम की सराहना कर रहे हैं। लेकिन उनके लिए यह सफर आसान नहीं था। आइए जानते हैं उनके प्रेरक सफर के बारे में।
शुरू से ही करना चाहते थे अपना काम
अविनाश शुरू से ही अपना काम करना चाहते थे। उनका सपना था कि वो खुद का स्टार्टअप शुरू करें। इसी कड़ी में साल 2019 में उन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने मैकडॉनल्ड्स में तीन साल तक काम किया, लेकिन नौकरी के दौरान भी खुद का स्टार्टअप खोलने का सपना उन्हें अंदर ही अंदर परेशान कर रहा था जिसके बाद उन्होंने मैकडॉनल्ड्स की नौकरी छोड़ दी।
नौकरी छोड़ शुरू किया फूड स्टॉल
मैकडॉनल्ड्स से नौकरी छोड़ने के बाद बिना लोगों की बातों की परवाह किए उन्होंने एक फूड स्टॉल खोलने का फैसला किया। इसी कड़ी में उन्होंने अपनी जीविका कमाने के लिए एक दक्षिण भारतीय फूड स्टॉल लगाने का मन बनाया लेकिन उनके पास इतने पैसे नही थे कि वो खुद की शॉप खोल सके। कहते हैं ना जब हौसला बुलंद हो तो कुछ भी किया जा सकता है। अपने काम के प्रति लगाव के कारण ही अविनाश को एक आइडिया आया कि वह बाइक से अपनी दुकान पर ही सेटअप लगा सकते हैं, फिर क्या था, उन्होंने बिना समय बर्बाद किए इडली-सांभर का बिज़नेस शुरू कर दिया। उन्होंने अपनी मोटरसाइकिल को ही अपना ठिकाना बना लिया और वो मोटरसाइकिल पर ही इडली और सांभर बेचने लगे।
दक्षिण भारतीय खाने से बने फेमस
अविनाश ने ज्यादा लंबा-चौड़ा मैन्यू बनाने के बजाय दक्षिण भारतीय खाने को ही महत्व दिया क्योंकि उनकी पत्नी दक्षिण भारत से ताल्लुक रखती हैं, और वह खाना बनाने में उनकी मदद कर सकती थी। वह जिस बाइक पर खाना बेचते हैं, वह उनके पिता ने उन्हें उपहार में तब दी थी जब वह स्कूल से पास हुए थे। इसलिए यह बाइक उनके दिल में एक विशेष स्थान रखती है। आज अविनाश के इस कदम की हर कोई तारीफ कर रहा है।
पूरे परिवार की उठाई जिम्मेदारी
अविनाश ने कंधो पर मां, पत्नी, बच्चे और दो भाई-बहनों की जिम्मेदारी है। इसलिए वो बिना किसी बात की परावह किए अपना यह फूड स्टॉल लगाते हैं। वह सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक इडली सांभर बेचते हैं। सोशल मीडिया पर हर कोई उनके इस कदम की तारीफ कर रहा है।
अविनाश आज अपने हुनर और जज्बे से लाखों लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। उन्होंने कभी हार नहीं मानी और आज वो अपनी मेहनत और लगन की बदौलत अपनी सफलता की कहानी लिख रहे हैं।