जानिए कभी अंडे और सब्जी की दुकान लगाने वाले मनोज कुमार कैसे बने प्रशासनिक अधिकारी? क्या है उनकी सफलता की कहानी

Success Story of Manoj Kumar Rai

महान वैज्ञानिक और भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कलाम साहब ने कहा था कि "सपना वो नहीं है जो आप नींद में देखते हो, सपना तो वो होता है जो आपको सोने ही ना दे।” कुछ ऐसा ही सपना देखा था इस शख्स ने। 

बिहार के मनोज कुमार राय की कहानी आपको काफी फिल्मी लगेगी, लेकिन यह रील लाइफ नहीं बल्कि रियल लाइफ के हीरो हैं। मनोज एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे संसाधनों का अभाव इतना की दो वक्त की रोटी तो छोड़िए सोने के लिए चारपाई भी नहीं नसीब होती थी, लेकिन ऐसी स्थिति में उन्होंने एक सपना देखा था। वह था अधिकारी बनकर परिवार की गरीबी दूर करने का सपना।

गरीबी को छोड़ने का सपना देखा, लेकिन जॉब नहीं मिली, तो सब्जी अंडे की दुकान लगाई। उसके बाद राशन डिलीवरी का काम किया। वहीं पर उनकी जिंदगी बदल गयी और उन्होंने फिर UPSC की राह पर चल पड़े। मनोज ने ना सिर्फ UPSC क्लियर की, बल्कि आज वे एक प्रशासनिक अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

जानिये मनोज कुमार राय की संघर्ष से सफलता की कहानी – 

जन्म: सुपौल, बिहार
शिक्षा: ग्रेजुएशन, दिल्ली विश्वविद्यालय
UPSC रैंक: 870वीं
वर्तमान: भारतीय आयुध निर्माणी सेवा (IOFS)

नौकरी की तलाश में पहुंचे दिल्ली:

मनोज का जन्म बिहार के सुपौल में एक गरीब परिवार में हुआ था। उनकी आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि उन्हें पढ़ाई के लिए पुरानी किताबों से ही काम चलाना पड़ता था। मनोज पढ़ाई में बचपन से ही बहुत अच्छे थे, इसलिए उनके परिवार की सारी उम्मीदें उनसे ही जुड़ी हुई थी। सरकारी स्कूल से 12वीं की पढ़ाई करके मनोज नौकरी की तलाश में 1996 में नई दिल्ली पहुंचे, लेकिन अभी उनके आगे संघर्ष और भी था।

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लगाई अंडे - सब्जी को दुकान:

दिल्ली पहुंचकर मनोज अपने लिए नौकरी की तलाश करने लगे, लेकिन उन्हें यहाँ भी सफलता हासिल नहीं हुई। अपना खर्चा चलाने के लिए उन्होंने दिल्ली में अंडे - सब्जी की दुकान लगाना शुरू किया। इससे उन्हें अपने रोजमर्रा के खर्चे चलाने में थोड़ी सहायता मिली, लेकिन उनके सपनों के आगे ये सहायता बहुत कम थी। इसके बाद मनोज ने जो फैसला लिया, उससे उनका जीवन पूरी तरह से बदलने वाला था।

जेएनयू के दोस्त से मिली UPSC की प्रेरणा:

अंडे - सब्जी की दुकान लगाने के साथ ही उन्होंने राशन की डिलीवरी का काम भी शुरू किया। वे कई बार डिलीवरी करने दिल्ली के प्रसिद्ध जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) जाते थे। 

वहीं उनकी दोस्ती उदय से हुई। दरअसल उदय भी सुपौल के ही रहने वाले हैं, मनोज ने एक इंटरव्यू में कहा है कि 'उदय ने उन्हें आगे पढ़ने की सलाह दी, जो आगे चलकर बहुत काम आयी।' उदय की सलाह मानकर मनोज ने दिल्ली विश्वविद्यालय के इवनिंग कॉलेज में दाखिला ले लिया और सन 2000 में उन्होंने अपना ग्रेजुएशन किया।

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इसके बाद उदय की सलाह पर मनोज ने UPSC की तैयारी शुरू की। उसी दौरान मनोज की मुलाकात पटना विश्वविद्यालय के भूगोल के प्रो. रासबिहारी से हुई, जिसके बाद मनोज पटना चले गए ओर भूगोल को ऑप्शन के रूप में लेकर उन्होंने तैयारी शुरू की।

2005 में मनोज ने पहली बार परीक्षा दी, लेकिन वे असफल रहे। जब उन्होंने अपनी असफलता का मूल्यांकन किया तो पाया कि अंग्रेजी उनकी असफलता में बाधा बन रही है। मनोज ने अंग्रेजी पर फोकस किया, वे लगातार 3 बार असफल रहे।  

लेकिन अपनी लगन के दम पर मनोज ने 2010 में अपने चौथे प्रयास में 870वीं रैंक के साथ UPSC की परीक्षा क्लियर कर ली। वर्तमान में मनोज भारतीय आयुध निर्माणी सेवा में कार्यरत हैं। मनोज को जिन परेशानियों का सामना करना पड़ा था, वे नहीं चाहते थे कि दूसरे बच्चे भी उन परेशानियों का सामना करे, इसलिए मनोज ने कई बच्चों की मुफ्त में UPSC की कोचिंग दी है।

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