प्रिया सिंह - विपरीत परिस्थितियों में बॉडीबिल्डर बनकर जीता गोल्ड

Priya Singh won gold by becoming a bodybuilder in adverse circumstances

यदि कोई मन में कुछ करने का ठान ले और उसके लिए लगन के साथ मेहनत करे, तो वह कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना करके भी जीवन में सफलता हासिल कर सकता है। चाहे आपके पास संसाधन ना भी हो, तो भी आप अपने जज़्बे से अपना मुकाम हासिल कर सकते हो। ये साबित किया है राजस्थान की प्रिया सिंह ने। बीकानेर के श्रीडूंगरगढ़ की रहने वाली प्रिया सिंह मेघवाल ने विपरीत परिस्थितियों का सामना कर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का मान बढ़ाया है।

बचपन से ही किया संघर्ष

प्रिया एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं, जिसके चलते उनकी शादी 8 साल की उम्र में ही हो गयी थी। यहाँ भी उनका संघर्ष लगातार चलता रहा, क्योंकि उनके ससुराल में भी गरीबी का आलम था। शुरुआत में वे घर की भेड़ बकरियों को चराने का काम करती थी। घर में आर्थिक मदद करने के लिए प्रिया ने जिम में नौकरी करने का फैसला लिया। उनकी पर्सनालिटी को देखकर उन्हें जिम में नौकरी मिल गयी।

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सामाजिक तानों का भी किया सामना

जिम में ही दूसरे लोगों को ट्रेनिंग करते देखकर प्रिया के मन में बॉडी बिल्डिंग करने का ख्याल आया और उन्होंने अपनी ट्रेनिंग शुरू की। उन्होंने बहुत जल्दी ही बॉडी बिल्डिंग की तकनीकों को सीख लिया और प्रतियोगिता के लिए तैयारी करने लगी।

एक लड़की का जिम में नौकरी करना और उसके बाद बॉडी बिल्डिंग करना समाज के कई लोगों को पसंद नहीं आ रहा था। प्रिया को हर समय समाज के तानों का सामना करना पड़ता था, लेकिन प्रिया ने इसे ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया। इस दौरान  प्रिया के परिवार वालों ने उनका बहुत साथ दिया।

प्रिया ने ट्रेनिंग के दौरान ही जाना कि राजस्थान में कोई भी महिला बॉडी बिल्डर नहीं है। इस काम ने प्रिया को जीवन का एक नया उद्देश्य दिया और उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता की तैयारी शुरू कर दी।

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कई प्रतियोगिताएं जीती

प्रिया की कड़ी मेहनत जल्द ही रंग लाने लगी। अपने सामने आने वाली सभी चुनौतियों का सामना करते हुए प्रिया ने 2018, 2019 और 2020 में बॉडी बिल्डिंग में मिस राजस्थान का ख़िताब जीता। प्रिया ने थाईलैंड के पटाया में 39वीं अंतर्राष्ट्रीय महिला बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में ना सिर्फ भारत का प्रतिनिधित्व किया, बल्कि उन्होंने इस प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक भी हासिल किया। अब प्रिया सिंह का लक्ष्य ओलम्पिया और अन्य अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व करना है।

जिस प्रकार की समस्याओं का सामना प्रिया ने किया है, देश की कई महिलाओं के साथ भी ऐसा होता है। जब महिलाएं किसी क्षेत्र में आगे बढ़ने का प्रयास करती हैं, तो उन्हें सामाजिक बंधनों और रीति रिवाजों की दुहाई दी जाती है।

प्रिया ने न सिर्फ विपरीत परिस्थितियों का सामना कर अपने लक्ष्य को प्राप्त किया, बल्कि आज वे देश की करोड़ों महिलाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत भी बनी हैं। उन्होंने साबित किया है कि यदि कोई महिला ठान ले, तो असंभव से दिखने वाले लक्ष्य को भी हासिल कर अपने देश का और अपना नाम रोशन कर सकती है।

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