जिनमें कुछ कर दिखाने का जज़्बा होता है वो लाख मुश्किलों को पार करके सफलता की कहानी लिख ही लेते हैं। इस बात को सही साबित किया है महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव की रहने वाली कमल कुंभार ने। जिन्होंने कभी केवल 500 रूपये से चूड़ियों का काम शुरू किया था और आज वो 5 हजार से ज्यादा महिलाओं को रोज़गार दे रही हैं।

बिज़नेस की भाषा में बात करें तो आज वो सफल आंत्रप्रेन्योर बन गई हैं। उन्होंने ग़रीब परिवार, आर्थिक तंगी और नाक़ाम शादी जैसी कई तकलीफों का ना सिर्फ सामना किया बल्कि हर विषम परिस्थिति का डटकर सामना कर आज वो लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गयी हैं। कमल आज अलग-अलग छह बिज़नेस की मालकिन हैं जिसके कारण आज उनकी पहचान सीरियल ऑन्त्रप्रेन्यॉर के रूप में है।

आइए जानते हैं कमल कुंभार के जीवन के प्रेरक सफल के बारे में।

बचपन से ही किया संघर्ष

महाराष्ट्र की रहने वाली कमल कुंभार का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था। जिसके कारण उन्होंने बचपन से ही काफी संघर्ष किया था। उनके माता-पिता एक दिहाड़ी मजदूर थे। उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वो उन्हें शिक्षा दिला पाते। इसलिए वो पढ़ाई नहीं कर पाई। बहुत ही कम उम्र में उनकी शादी कर दी गयी । लेकिन उनके जीवन से परेशानियां जैसे कम होने का नाम ही नहीं ले रही थी। उनकी शादी भी सफल नहीं हुई और कुछ दिन बाद वो अपने घर वापस आ गई। जिसके बाद इनकी मुश्किलें और बढ़ गयी। आस पड़ोस के लोगों ने कमल को ही इस असफल शादी का जिम्मेदार ठहराया। मगर कमल इन तानों को अपनी ज़िंदगी नहीं बनाना चाहती थीं। वो अपनी पहचान बनाना चाहती थी लेकिन उनके पास न तो कोई आइडिया था, न ही पैसे।

500 रूपये से शुरू किया काम

कमल के पास ना आइडिया था ना ही कोई प्लान और ना ही पैसे, बस उन्हें पता था तो ये कि उन्हें कुछ करना है, समाज के ताने सुनकर ऐसे ही चुप नहीं बैठना है। ऐसे में उन्होंने चूड़ियां बेचने का काम करने का फैसला किया। किसी तरह से उन्होंने 500 रूपये का इंतजाम करके वो गांव-गांव जाकर चूड़ियां बेचने लगीं। जब उनके पास औरतें चूड़ियां लेने आती तो वो समझ गईं कि वो अकेली नहीं हैं, जो आत्मनिर्भर बनना चाहती हैं बल्कि उनके जैसी और भी कई औरतें हैं जो कुछ करना चाहती हैं। इसके बाद कमल ने उन औरतों के लिए कुछ करने की ठानी।

महिलाओं के लिए शुरू की कंपनी

कमल ने चूड़ियां बेचकर जो पैसे कमाए थे उसमें कुछ पैसे उधार लेकर भी जोड़े और उन पैसों से 1998 में कमल ने पॉल्ट्री ऐंड एकता प्रोड्यूसर्स कंपनी की शुरुआत की और धीरे-धीरे औरतों को उसमें रोज़गार देना शुरू किया। जब इनकी कंपनी तरक्की करने लगी तो कमल ने महिलाओं के लिए एक स्वयं सहायता समूह खोला। कमल यहीं रूकना नहीं चाहती थी अब वो अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाना चाहती थी। इसी कड़ी में उनके इलाके में रिन्यूएबल एनर्जी से जुड़ी योजना परियोजना आई तो उन्होंने ‘ऊर्जा विशेषज्ञ’ की ट्रेनिंग ली, जिससे उन्होंने गांव में महिलाओं में जागरुक किया और इसका परिणाम ये रहा कि 3,000 घरों में सोलर लैंप लग गए। साल 2012 से 2015 के बीच जिले में भीषण सूखा पड़ा। तब कमल ने कॉन्ट्रैक्ट पर ज़मीन लेकर बकरी पालन शुरू किया।

पॉल्ट्री फार्म से बनाई आंत्रप्रेन्योर के रूप में पहचान

धीरे-धीरे कमल की पॉल्ट्री फार्म से अच्छी कमाई होने लगी थी। ऐसे में कमल की कामयाबी से प्रेरित होकर इलाके के कई लोगों ने यह काम शुरू किया और सिर्फ खेती-किसानी पर निर्भर लोगों को कमाई का नया ज़रिया मिल गया। साल 2017 में यूएनडीपी, नीति आयोग ने सीरियल ऑन्त्रप्रेन्यॉर कमल कुंभार से कॉन्टैक्ट किया और बाद में फिक्की ने भी उन्हें सम्मानित किया।आज वह अपने संगठनों और कारोबारी संस्थाओं के जरिये लगभग 5,000 महिलाओं से जुड़कर उन्हें अपने पैरों पर खड़े होने में मदद कर रही हैं।

साल 2022 में उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ‘नारी शक्ति पुरस्कार’ से सम्मानित किया।

सीरियल ऑन्त्रप्रेन्यॉर कही जाने वाली कमल कुंभार न सिर्फ खुद अपने पैरों पर खड़ी हुईं बल्कि गरीबी, भुखमरी और सूखे से परेशान किसानों के लिए आशा की नई किरण लेकर आई हैं। कमल इस बात की मिसाल हैं कि देश का निर्माण या उसकी सेवा करने के लिए किसी ऊंचे ओहदे की नहीं, बस कुछ बड़ा करने के जज़्बे की ज़रूरत होती है। आज वो अपनी मेहनत के बल पर सफलता की नई कहानी लिख रही हैं साथ ही लाखों लोगों को प्रेरित कर रही हैं।