शादी के बाद एक औरत के लिए अपना करियर बनाना काफी मुश्किल हो जाता है और अगर वो मां बन जाए तो अपने करियर पर फोकस करना और भी ज्यादा कठिन हो जाता है। लेकिन उत्तर प्रदेश की रहने वाली पूनम गौतम ने इस बात का गलत साबित कर दिखाया है।

एक मां होने के बावजूद उन्होंने अपने करियर को प्राथमिकता दी जिसके लिए उन्हें लोगों की बातें भी सुनी लेकिन उन्होंने किसी की नकारात्मक बात की परवाह नहीं की और यूपीपीएससी परीक्षा को पास कर SDM का पद ग्रहण किया है। पूनम गौतम आज SDM के पद पर काम कर रही हैं।

पूनम वैसे तो पेशे से डॉक्टर थी लेकिन समाज के लिए कुछ करने की चाह ने उन्हें यूपीपीएससी परीक्षा की ओर मोड़ दिया और अपनी कड़ी मेहनत के दम पर उन्होंने आज समाज के सामने एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। लेकिन अपने बच्चे को छोड़कर, अपना करियर बनाना पूनम के लिए इतना आसान नहीं था।

तो आइए जानते हैं उनके जीवन का प्रेरक सफर के बारे में।

इसलिए किया SDM बनने का फैसला:

उत्तर प्रदेश की रहने वाली पूनम गौतम पूनम ने कानपुर देहात से 12वीं की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने डॉक्टर बनने के लिए साल 2011 में एमबीबीएस की पढ़ाई मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज प्रयागराज से पूरी की। इसके बाद साल 2015 में केजीएमयू से पोस्ट ग्रेजुएशन किया।

इसी बीच पूनम की शादी हो गई। शादी के कुछ समय बाद वो एक बेटी की मां बन गई। बेटी के होने से उनका पूरा परिवार खुश था। लेकिन समाज के कुछ लोग उन्हें बेटा न होने पर ताने मारते थे। समाज के बीच बेटा और बेटी के लिए खींची लकीर को मिटाने की दिशा में पूनम ने सिविल सर्विस में जाने का फैसला किया। वो समाज को दिखाना चाहती थी कि बेटियां भी आगे बढ़ सकती हैं।

बेटी से रहना पड़ा था दूर:

पूनम ने सिविल सेवा में जाने की बात अपनी सास और पति को बताई तो उन्होंने पूनम का पूरा सहयोग किया। लेकिन परीक्षा की तैयारी घर पर रहकर करना पूनम के लिए आसान नहीं था। इसलिए उन्हें अपनी बेटी को छोड़कर दूर रहना पड़ा। वो अपनी पढ़ाई में किसी तरह की बाधा नहीं चाहती थी। इसलिए यह कठोर निर्णय लेते हुए उन्होंने अपनी बेटी की जिम्मेदारी पति को सौंप दी और खुद घर से दूर रहने लगी।

लोगों के तानों के बीच बनीं SDM:

बेटी से दूर रहकर पढ़ाई करने के लिए पूनम को समाज के तानों का भी सामना करना पड़ा। लोग उन्हें तरह-तरह के तानें देने लगे। इसके अलावा पूनम हिंदी मीडियम से पढ़ी हुई थीं तो लोगों ने इसके लिए भी अलग-अलग तरीकों से उन्हें डिमोटिवेट किया कि हिंदी मीडियम से पढ़ने वालों के लिए यह एग्जाम आसान नहीं होता है। लेकिन पूनम ने इन बातों का खुद पर कोई असर नहीं होने दिया और अपनी तैयारी पर फोकस किया। पूनम ने लोगों की बातों की परवाह नहीं की और खूब मेहतन से पढ़ाई की।

पूनम मरीजों को देखने के बाद रोजाना छह से आठ घंटे की पढ़ाई करती थीं। चुंकि उनका मेडिकल बैकग्राउंड था तो तैयारी के लिए उन्होंने आप्शनल पेपर मेडिकल साइंस ही लिया था। पूनम ने पहले अपने सिलेबस के मुताबिक स्टडी मैटेरीयल इकट्ठा किया और स्ट्रेटजी बनाई और उस स्ट्रेटजी को पूरी तरह से खुद पर लागू किया। पूनम ने पॉजिटिव सोच के साथ प्री, मेन्स और इंटरव्यू की तैयारी अलग-अलग की। आखिरकार पूनम की मेहनत रंग लाई और अपने तीसरे प्रयास में पीसीएस टॉप कर उन्होंने तीसरी रैंक हासिल की। आज पूनम SDM के पद पर कार्यरत हैं।

पूनम कहती हैं कि वह सिविल सेवा में आकर बेटे और बेटियों के बीच के भेदभाव को मिटाने के लिए काम करेंगी। पूनम ने उन लोगों को यह साबित कर दिया है कि अगर आप कुछ करने की ठान लें, तो कोई भी परेशानी आपको अपनी मंजिल तक पहुंचने से नहीं रोक सकती। आज पूनम ने अपनी कड़ी मेहनत से सफलता की नई कहानी लिखी है। वो आज लाखों लोगों को प्रेरित कर रही हैं।