कार्यस्थल किसी भी एम्पलॉयी के लिए वह जगह होती है, जहाँ वह अपने दिन के महत्वपूर्ण नौ घंटे बिताता है. अपने स्किल्स से ऑर्गेनाइजेशन को ग्रोथ दिलाने में मदद करता है और कंपनी से कुछ नए स्किल्स खुद में शामिल करता है, जिनसे एम्पलॉयी की ग्रोथ होती है. लेकिन यहाँ ऑर्गेनाइजेशन के वर्क कल्चर का सबसे ज्यादा महत्व होता है. ऑर्गेनाइजेशन का वर्क कल्चर ही कंपनी और एम्पलॉयी, दोनों की सफलता भी निर्धारित करता है. डिलोएट (Deloitte) के जरिए जुटायी गई एक रिसर्च के अनुसार 94% एक्जिक्यूटिव्स और 88% एम्पलॉयी इस बात को मानते हैं कि किसी भी कंपनी का कल्चर ही उस कंपनी की सफलता के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है. चलिए आज बात इसी विषय में करते हैं कि ऑर्गेनाइजेशन किस तरह से पॉजिविट वर्क कल्चर का निर्माण करती हैं और कंपनी को इससे कितना फायदा होता है.
1. ऑर्गेनाइजेशन का सही विज़न ही बनाएगा सही कल्चर (Work On Your Vision)
विज़न चाहे किसी व्यक्ति का हो या फिर किसी ऑर्गेनाइजेशन का, जब वह प्रभावशाली होता है तो उससे हर व्यक्ति जुड़ना पसंद करता है. सही विज़न को प्रोत्साहित करना हर व्यक्ति को पसंद होता है. आपकी ऑर्गेनाइजेशन के लिए भी यही बात सटीक बैठती है. आपकी ऑर्गेनाइजेशन का क्लीयर विज़न कंपनी में स्ट्रांग और पॉजिटिव वर्क कल्चर का निर्माण करने में सबसे ज्यादा मदद करता है. अगर आपका स्टार्टअप बिजनेस (Startup Business Plan) है तो भी सबसे ज्यादा काम आपको अपने विज़न पर करना चाहिए. अपने विज़न को अपने एम्पलॉयी के साथ शेयर कर उन्हें अचीव करने के लिए प्लान बनाएं और उसकी सफलता के लिए एक टीम के तौर पर काम करें. महत्वपूर्ण बात यह भी है कि विज़न सही होने पर आप पर लोग भरोसा करते हैं और आपकी सफलता के लिए एकजुट होकर काम करते हैं.
2. अच्छी हॉयरिंग दिलाती है बड़ी मदद (Right Hiring will Help You a Lot)
ऑर्गेनाइजेशन के विज़न और वर्क कल्चर, दोनों पर ही आपके द्वारा की गई हॉयरिगं का सबसे ज्यादा असर होता है. अगर आप अच्छी हॉयरिंग करने से चूक जाते हैं तो आपके विज़न पर भी नकारात्मक असर होता है और आप कंपनी में स्ट्रांग वर्क कल्चर का निर्माण करने से भी एक कदम पीछे चले जाते हैं. इसलिए हॉयरिंग की शुरुआत में आपको इस बात का ध्यान होना चाहिए कि आपके द्वारा की गई हॉयरिंग ऑर्गेनाइजेशन के विज़न और मिशन दोनों को अच्छी तरह से समझती हों और उसके लिए बेहतर काम भी करते हों.
3. क्या एम्पलॉयी अपनी जॉब से है खुश (Employee’s Work Satisfaction)
एक खुश एम्पलॉयी की तुलना में नाखुश एम्पलॉयी की प्रोडक्टिविटी ज्यादा कम होती है. अगर एम्पलॉयी अपने काम से खुश नहीं है, लेकिन केवल काम को पूरा करने के लिए ही वह काम करता है तो उस काम की क्वालिटी में अंतर साफ नज़र आता है. वहीं अगर अपने काम से हमेशा खुश रहने वाले एम्पलॉयी की तुलना ही जाए तो उसके काम में हमेशा ही क्वालिटी मिलती है और समय पर वह अपना काम पूरा भी कर लेता है. इसलिए ही ऑर्गेनाइजेशन को एम्पलॉयी के काम पर हमेशा ही ध्यान देना चाहिए. एम्पलॉयी अपने काम से खुश हो इस बात का आप ध्यान रखें और इसकी बेहतरी के लिए लगातार काम करते रहें. अपने काम से खुश एम्पलॉयी कंपनी के कल्चर को तो बेहतर बनाता ही है, साथ ही बाकी एम्पलॉयी को मोटिवेट करने का काम भी करता है.
पॉजिटिव और स्ट्रांग कल्चर के साथ ऑर्गेनाइजेशन अपना विज़न भी अचीव करती है और इंडस्ट्री में एक बेहतर उदाहरण भी प्रस्तुत करती है. इसके अलावा अच्छे वर्क कल्चर को फोलो करने वाली कंपनी में हर एम्पलॉयी लंबे समय तक जुड़ कर काम भी करता है. क्या आपकी ऑर्गेनाइजेशन में पॉजिटिव वर्क कल्चर है? अगर नहीं है तो इन माध्यमों से आप कंपनी में स्ट्रांग और पॉजिटिव कल्चर का निर्माण कर सकते हैं.
लेख के बारे में आप अपनी टिप्पणी को कमेंट सेक्शन में कमेंट करके दर्ज करा सकते हैं. इसके अलावा आप अगर एक व्यापारी हैं और अपने व्यापार में किन्ही जटिल और मुश्किल परेशानियों का सामना कर रहे हैं. आप चाहते हैं कि बिजनेस को आगे बढ़ाने में आपको एक पर्सनल बिजनेस कोच का अच्छा मार्गदर्शन मिले तो आपको Business Coaching Program का चुनाव जरूर करना चाहिए. इसके लिए आप अपने बिजनेस में एक अच्छी हैंडहोल्डिंग पा सकते हैं और अपने बिजनेस को चार गुना बढ़ा सकते हैं.