हर कंपनी के लिए एम्पलॉयी उसके सबसे महत्वपूर्ण एसेट्स होते हैं. लेकिन उन एसेट्स को व्यवस्थित रखना और उन्हें लगातार कंपनी के लिए भरोसेमंद बनाए रखने का काम एचआर डिपार्टमेंट बखूबी करता है. एचआर डिपार्टमेंट किसी भी कंपनी और उसके एम्पलॉयी के बीच की खास कड़ी होता है. हर बड़े फैसले इस डिपार्टमेंट की देख-रेख से होकर ही गुजरते हैं और अगर उनमें सुधार होने की गुंजाइश होती है तो वह भी यही डिपार्टमेंट करता है. इसलिए ही एचआर डिपार्टमेंट को किसी भी कंपनी की रीढ़ भी कहा जाता है. चलिए आपको आज हम इस डिपार्टमेंट की उन तीन महत्वपूर्ण खूबियों से रूबरू कराते हैं, जो एचआर डिपार्टमेंट को ऑर्गेनाइजेशन की सबसे बड़ी जरूरत बनाती हैं.
1. एम्पलॉयी सेटिसफेक्शन को बनाएं रखना (Maintain Employee Satisfaction)
एम्पलॉयी कभी भी जल्दी और आसानी से अपनी जॉब नहीं बदलता है, लेकिन बॉस या मैनेजर के बिहेवियर से तंग आकर एम्पलॉयी के मन में जॉब परिवर्तन जैसे ख्याल आते हैं. जिससे कंपनी की रेप्यूटेशन भी इंडस्ट्री में खराब होती है. स्टार्टअप बिजनेस (Startup Business) को एक ब्रांड के तौर पर स्थापित करने में कंपनी को दिक्कत आती है. लेकिन ऐसी स्थिति में एचआर डिपार्टमेंट का ही जिम्मा होता है कि वह कंपनी, मैनेजर और एम्पलॉयी के बीच की महत्वपूर्ण कड़ी बन जाए. एम्पलॉयी सर्वे से लेकर कंपनी और मैनेजर के फीडबैक सर्वे का निर्माण करें और उन्हें व्यवस्थित तरह से लागू करे. एम्पलॉयी अपनी सैलरी, ऑफिस टाइमिंग और वर्ककल्चर से संतुष्ट हो, इसकी देख-रेख एचआर डिपार्टमेंट को ही बखूबी करनी होती है. एम्पलॉयी संतुष्टी से ही ऑर्गेनाइजेशन की अच्छी रेप्यूटेशन का भी निर्माण होता है.
2. ट्रेनिंग और डेवेलेप्मेंट में डिपार्टमेंट निभाता है खास भूमिका (Training & Development)
ऑर्गेनाइजेश्नल गोल को पूरा करने के लिए सबसे पहली शर्त होती है कि कंपनी में काम करने वाले एम्पलॉयी स्किल्ड हों. उनमें वो सभी दक्षता और कौशल होने चाहिए, जिनकी जरूरत कंपनी के काम को पूरा करने के लिए होती है. ऐसे एम्पलॉयी को तलाश कर लाना और कंपनी का हिस्सा बनाना भी एचआर डिपार्टमेंट का ही जिम्मा होता है. एम्पलॉयी केवल अर्निंग के रूप में ही फायदा न पाए बल्कि उसकी लर्निंग भी बनी रहे, इस बात का ध्यान एचआर टीम को हमेशा रहता है. समय और जरूरत के हिसाब से ट्रेनिंग और एम्पलॉयी डेवेलेप्मेंट की कार्यशैली का आयोजन कराना इस डिपार्टमेंट की अहम ड्यूटी होती है. ट्रेनिंग और डेवेलेप्मेंट प्रोग्राम्स एम्पलॉयी और कंपनी, दोनों के लिए ही फायदेमंद साबित होते हैं.
3. दो कंपनियों के बीच पार्टनरशिप या अधिग्रहण (Mergers & Acquisitions between two Companies)
दो कंपनियों के बीच पार्टनरर्शिप या फिर अधिग्रहण के बाद सबसे जरूरी और सबसे बड़ी जिम्मेदारी एचआर डिपार्टमेंट के हिस्से नई पॉलिसियों और रणनीतियों का निर्माण करने की होती है. इसके लिए एचआर डिपार्टमेंट को दोनों ही कंपनियों के मुख्य सदस्यों से मिलकर पुरानी रणनीतियों के बारे में विस्तार से चर्चा करने के बाद नए नियमों और कानूनों का निर्माण करना होता है. अब बनाएं गए नियमों की सभी एम्पलॉयी को जानकारी देना भी इस डिपार्टमेंट की जिम्मेदारियों में से एक होती हैं.
ऑर्गेनाइजेशन को चलाने और उसे सफल बनाने में सबसे बड़ा दायित्व एचआर डिपार्टमेंट का होता है. कंपनी के उद्देश्यों को समझने और उन्हें पूरा करने के लिए राइट कैंडिडेट की खोज से लेकर एम्पलॉयी संतुष्टी, पॉलिसी निर्माण और जरूरी डॉक्यूमेंटेशन वर्क करने के लिए यही डिपार्टमेंट सबसे पहले काम पर लगता है. एचआर डिपार्टमेंट की यही खूबियाँ इस डिपार्टमेंट को ऑर्गेनाइजेशन का अहम हिस्सा बनाती हैं.
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