नई दिल्ली: हाल ही में केंद्र सरकार ने केंद्रीय योजना “खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआईएसएफपीआई)” को मंजूरी दे दी है. इस योजना में 10,900 करोड़ रुपए का प्रावधान है और इसका उद्देश्य देश को वैश्विक स्तर पर खाद्य विनिर्माण क्षेत्र में अग्रणी स्थान पर लाना है तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय खाद्य उत्पादों के ब्रांडों को बढ़ावा देना है. जबकि आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) 1.0 और 2.0 की अवधि 30 जून 2021 तक बढ़ाई गई है.
योजना का उद्देश्य
- इस योजना का उद्देश्य खाद्य विनिर्माण से जुड़ी इकाइयों को निर्धारित न्यूनतम बिक्री और प्रसंस्करण क्षमता में बढ़ोतरी के लिए न्यूनतम निर्धारित निवेश के लिए समर्थन करना है तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय उत्पादों के लिए एक बेहतर बाजार बनाना और उनकी ब्रांडिंग शामिल है.
- वैश्विक स्तर पर खाद्य क्षेत्र से जुड़ी भारतीय इकाइयों को अग्रणी बनाना.
- वैश्विक स्तर पर चुनिंदा भारतीय खाद्य उत्पादों को बढ़ावा देना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इनकी व्यापक स्वीकार्यता बनाना.
- कृषि क्षेत्र से इतर रोजगार के अवसरों में वृद्धि करना.
- कृषि उपज के लिए उपयुक्त लाभकारी मूल्य और किसानों के लिए उच्च आय सुनिश्चित करना.
मुख्य विशेषताएं
- इसके पहले घटक में चार बड़े खाद्य उत्पादों के विनिर्माण को प्रोत्साहन देना है जिनमें पकाने के लिए तैयार/ खाने के लिए तैयार (रेडी टू कुक/ रेडी टू ईट) भोजन, प्रसंस्कृत फल एवं सब्जियां, समुद्री उत्पाद और मोजरेला चीज़ शामिल है.
- लघु एवं मध्यम उद्योगों के नवोन्मेषी/ऑर्गेनिक उत्पादन जिनमें अंडे, पोल्ट्री मांस, अंडे उत्पाद भी ऊपरी घटक में शामिल हैं.
- चयनित उद्यमियों (एप्लिकेंट्स) को पहले दो वर्षों 2021-21 और 2022-23 में उनके आवेदन पत्र (न्यूनतम निर्धारित) में वर्णित संयंत्र एवं मशीनरी में निवेश करना होगा.
- निर्धारित निवेश पूरा करने के लिए 2020-21 में किए गए निवेश की भी गणना की जाएगी.
- नवाचारी/जैविक उत्पाद बनाने वाली चयनित कंपनियों के मामले में निर्धारित न्यूनतम बिक्री तथा निवेश की शर्तें लागू नहीं होंगी.
- दूसरा घटक ब्रांडिंग तथा विदेशों में मार्केंटिंग से संबंधित है ताकि मजबूत भारतीय ब्रांडों को उभरने के लिए प्रोत्साहन दिया जा सके.
- भारतीय ब्रांड को विदेश में प्रोत्साहित करने के लिए योजना में आवेदक कंपनियों को अनुदान की व्यवस्था है. यह व्यवस्था स्टोर ब्रांडिंग, शेल्फ स्पेस रेंटिंग तथा मार्केटिंग के लिए है.
- योजना 2021-22 से 2026-27 तक छह वर्षों की अवधि के लिए लागू की जाएगी.
रोजगार सृजन क्षमता सहित प्रभाव
- योजना के लागू होने से प्रसंस्करण क्षमता बढ़ाने में भी मदद मिलेगी ताकि 33,494 करोड़ रुपए का प्रसंस्कृत खाद्य तैयार हो सके.
- वर्ष 2026-27 तक लगभग 2.5 लाख व्यक्तियों के लिए रोजगार सृजन होगा.
क्रियान्वयन रणनीति तथा लक्ष्य
- यह योजना अखिल भारतीय आधार पर लागू की जाएगी.
- यह योजना परियोजना प्रबंधन एजेंसी (पीएमए) के माध्यम से लागू की जाएगी.
- पीएमए आवेदनों/ प्रस्तावों के मूल्यांकन, समर्थन के लिए पात्रता के सत्यापन, प्रोत्साहन वितरण के लिए पात्र दावों की जांच के लिए उत्तरदायी होगी.
- योजना के अंतर्गत 2026-27 में समाप्त होने वाले छह वर्षों के लिए प्रोत्साहन का भुगतान किया जाएगा. वर्ष विशेष के लिए देय योग्य प्रोत्साहन अगले वर्ष में भुगतान के लिए देय रहेगा. योजना की अवधि 2021-22 से 2026-27 तक छह वर्ष के लिए होगी.
- योजना ‘फंड लिमिटेड’ हैयानी लागत स्वीकृत राशि तक प्रतिबंधित है. लाभार्थी को भुगतान योग्य अधिकतम प्रोत्साहन का निर्धारण उस लाभार्थी की स्वीकृति के समय अग्रिम रूप में होगा. उपलब्धि/कार्य प्रदर्शन कुछ भी हो यह अधिकतम सीमा बढ़ायी नहीं जाएगी.
- योजना के क्रियान्वयन से प्रसंस्करण क्षमता का विस्तार होगा और 33,494 करोड़ रुपए का प्रसंस्कृत खाद्य तैयार होगा और वर्ष 2026-27 तक लगभग 2.5 लाख व्यक्तियों के लिए रोजगार सृजन होगा.
योजना क्रियान्वयन
- योजना की निगरानी, केंद्र में मंत्रिमंडल सचिव की अध्यक्षता वाले सचिवों के अधिकार संपन्न समूह द्वारा की जाएगी.
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय योजना के अंतर्गत कवरेज के लिए आवेदकों के चयन को स्वीकृति देगा, प्रोत्साहन रूप में धन स्वीकृत और जारी करेगा.
- योजना क्रियान्वयन के लिए विभिन्न गतिविधियों को कवर करते हुए मंत्रालय वार्षिक कार्य योजना तैयार करेगा.
- कार्यक्रम में तीसरे पक्ष द्वारा मूल्यांकन और बीच की अवधि में समीक्षा का प्रावधान है.
राष्ट्रीय पोर्टल एवं सूचना प्रणाली प्रबंधन
- एक राष्ट्रीय पोर्टल की स्थापना की जाएगी, जहां आवेदक उद्यमी इस योजना में हिस्सा लेने के लिए आवदेन कर सकता है.
- योजना संबंधी सभी गतिविधियां राष्ट्रीय पोर्टल पर भी की जाएंगी.
समायोजन ढांचा
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की ओर से क्रियान्वित की जा रही प्रधानमंत्री कृषि संपदा योजना (पीएमकेएसवाई) में लघु एवं मध्यम खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों की आपूर्ति श्रृंखला आधारभूत ढांचे को मजबूत करने, प्रसंस्करण क्षमता का विस्तार करने, औद्योगिक प्लॉट्स की उपलब्धता को बढ़ाना, कौशल विकास में सहायता करना, शोध एवं विकास और परीक्षण सुविधाओं की उपलब्धता में सहायता प्रदान करना शामिल है.
- अन्य विभागों/मंत्रालयों-कृषि सहयोग एवं कृषक कल्याण, पशु पालन और डेयरी, मत्स्य, उद्योग एवं आंतरिक व्यापार, वाणिज्य संवर्धन विभागों की ओर से क्रियान्वित की गई अनेक योजनाओं का खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष प्रभाव है.
- प्रस्तावित योजना के दायरे में आने वाले आवेदकों को अन्य दूसरी योजनाओं (जहां व्यवहार्य हो) अन्य सेवाओं की अनुमति भी प्रदान की जाएगी. इस संबंध में यह विचार किया गया है कि प्रोत्साहन संबंधी योजना के दायरे में आने वाले आवेदकों की उपयुक्तता अन्य दूसरी योजनाओं या इसके विपरीत प्रभावित नहीं होगी.
उल्लेखनीय है कि भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में लघु एवं बड़े उद्यमों से जुड़े क्षेत्रों के विनिर्माण उपक्रम शामिल हैं. संसाधनों की प्रचुरता, विशाल घरेलू बाजार और मूल्य संवर्धित उत्पादों को देखते हुए भारत के पास प्रति-स्पर्धात्मक स्थान है. इस क्षेत्र की पूर्ण क्षमताओं को हासिल करने के लिए भारतीय कंपनियों को प्रतिस्पर्धी आधार पर अपने आपको मजबूत करना होगा, अर्थात वैश्विक स्तर पर जो बड़ी कंपनियां हैं उनकी उत्पादन क्षमता, उत्पादकता, मूल्य संवर्धन और वैश्विक श्रृंखला के साथ जुड़ने जैसी बातों पर ध्यान देना होगा. खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना देश में विनिर्माण क्षमताओं और निर्यात को बढ़ावा देने के ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत नीति आयोग की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना के आधार पर बनाई गई है.