कोरोना वायरस महामारी के बीच केंद्र सरकार ने उद्योग जगत से उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना सहित सरकारी योजनाओं का लाभ उठा कर निवेश में विस्तार की अपील की है. केंद्रीय फूड प्रोसेसिंग उद्योग मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित उत्तरी क्षेत्र फूड प्रोसेसिंग शिखर सम्मेलन के तीसरे संस्करण को संबोधित करते हुए यह बात कही. Food Processing Business: फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के तहत यूपी में मिल रही सब्सिडी
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा "सरकार फूड प्रोसेसिंग सेक्टर के विकास के लिए प्रतिबद्ध है. सरकार ने देश की खाद्य और बागवानी क्षमता का दोहन करने के लिए कई पहल की हैं." उन्होंने कहा कि सरकार ने फूड प्रोसेसिंग उद्योग के लिए पीएलआई योजना शुरू की है, जिसके तहत 11,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.
असंगठित क्षेत्र के सूक्ष्म उद्यमों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत एक अन्य योजना प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों (पीएमएफएमई) शुरू की गयी है. उन्होंने कहा कि यह योजना कृषि-खाद्य प्रसंस्करण में लगे सहायक समूहों जैसे किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) और उत्पादक सहकारी समितियों पर केंद्रित है.
मंत्री ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) को देश में उपलब्ध खाद्यान्न और बागवानी संसाधनों पर उनके प्रसंस्करण स्तर के साथ एक तुलनात्मक अध्ययन करने के लिए भी कहा ताकि अंतराल भरने की क रणनीति तैयार की जा सके.
फूड प्रोसेसिंग उद्योग के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना क्या है?
फूड प्रोसेसिंग उद्योग के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना को इसी साल 31 मार्च को 2021-22 से 2026-27 के दौरान कार्यान्वयन के लिए 10,900 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ मंजूर किया गया था. यह योजना अनिवार्य रूप से भारतीय कंपनियों और भारत में निर्मित खाद्य उत्पादों की न्यूनतम बिक्री के साथ भारत में कार्यरत बहुराष्ट्रीय कंपनियों की सहायक कंपनियों के लिए है.
यह योजना चार खाद्य क्षेत्रों में निवेश को प्रोत्साहित करेगी. बाजरा आधारित खाद्य पदार्थ, प्रसंस्कृत फल और सब्जियां, समुद्री उत्पाद, मोज़ेरेला चीज़ सहित पकी हुई / रेडी टू ईट (आरटीसी / आरटीई). योजना का उद्देश्य- वैश्विक खाद्य विनिर्माण चैंपियन के निर्माण का समर्थन करना है, अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में मूल्यवर्धित खाद्य उत्पादों के भारतीय ब्रांडों का समर्थन करना, खेती के बाहर नौकरियों के लिए रोजगार के अवसरों को बढ़ाना और किसानों को कृषि उपज और उच्च आय के पारिश्रमिक मूल्य सुनिश्चित करना है. इस योजना का नेस्ले, आईटीसी, ब्रिटानिया, केवेंटर एग्रो, और अमूल सहित उद्योग द्वारा स्वागत किया गया है.