MSME और छोटे कारोबारियों पर 1% कैश जीएसटी भुगतान नियम का नहीं पड़ेगा प्रभाव
नई दिल्ली: नए साल के आगमन के साथ माल एवं सेवा कर (जीएसटी) से जुड़ा एक अहम नियम लागू हुआ. जीएसटी से जुड़े फर्जीवाड़े पर अंकुश लगाने के मकसद से नियम और सख्त किये गए है. इसके तहत 50 लाख रुपये से अधिक के मासिक कारोबार वाली इकाइयों को कम से कम एक प्रतिशत जीएसटी देनदारी का भुगतान कैश में करना अनिवार्य हुआ. वित्त मंत्रालय ने यह कदम फर्जी इन्वॉयस के जरिये टैक्स चोरी रोकने के लिए उठाया है. हालांकि एमएसएमई और छोटे कारोबारी एक प्रतिशत नकद जीएसटी भुगतान नियम से प्रभावित नहीं होंगे. रिसर्च और इनोवेशन के लिए MSME मंत्रालय लीज पर देगी अपने टेक्नोलॉजी सेंटर्स
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जीएसटी देनदारी का नया सरकारी नियम छोटे कारोबारी और डीलरों को प्रभावित नहीं करेगा. दरअसल यह नियम छह करोड़ रुपये अथवा इससे अधिक के वार्षिक कारोबार पर ही लागू होंगा. हाल ही में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने जीएसटी से बचने के लिए नकली चालान के बड़े पैमाने पर इस्तेमाल के मामले सामने आने के बाद नियमों में संशोधन किया था.
रिपोर्ट्स के मुताबिक जीएसटी का यह नियम कुल 1.2 करोड़ जीएसटी करदाताओं में से सिर्फ 45,000 करदाताओं पर ही लागू होते हैं. इसकी वजह से ईमानदार डीलरों और व्यवसायों को कोई दिक्कत नहीं होगी. दरअसल बीते कुछ समय से देश में जीएसटी के जाली बिलों की धोखाधड़ी के मामले बढ़ते जा रहे थे. जिससे सरकार का राजस्व बुरी तरह से प्रभावित हो रहा था. नए नियम से फर्जी चालान के इस्तेमाल को रोका जा सकता है. अब जालसाज नकली चालान के सहारे इनपुट लागत पर कर रिफंड नहीं पा सकेंगे. ऐसे लोग भारी टर्नओवर दिखाते हैं, जबकि उनकी कोई वित्तीय विश्वसनीयता नहीं होती है.
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