क्या आपके जहन में अपना व्यापार करने का ख्याल आता है लेकिन मार्केटिंग के भारी भरकम बजट को देखकर आप अपना विचार बदल देते हैं? आपको डर है कि आप मार्केट में अपने प्रोडक्ट को जगह नहीं दिला पाएंगे और आपका बिज़नेस फेल हो जाएगा? आपको चिंता होती होगी कि प्रोडक्ट को ज्यादा लोगों को बेचने के लिए आपको काफी पापड़ बेलने होंगे. वैसे इस तरह का ख्याल मन में लाने वाले आप अकेले व्यक्ति नहीं हैं. हर व्यापारी अपने प्रोडक्ट की सेल बढ़ाने के लिए कई तरह की तरक़ीबों को आज़माता है. लेकिन क्या हो अगर बाजार में आपका प्रोडक्ट नया होते हुए भी लोगों के बीच काफी पहचान पा ले और आपकी सेल कई गुना बढ़ जाए? वैसे यह कोई लुभावनी बात नहीं है. वाईट लेबल मार्केटिंग की मदद से आप अपने नए प्रोडक्ट की सेल कई गुना बढ़ाकर शुरुआती बिज़नेस में ही काफी तरक्की पा सकते हैं. चलिए आज आपको इस आर्टिकल के माध्यम से हम वाईट लेबल मार्केटिंग के बारे में विस्तार से बताते हैं.
क्या है White Label Marketing: वैसे तो मार्केटिंग की काफी सारी तकनीकें कई व्यापारियों के लिए काफी उलझी हुई साबित होती हैं लेकिन वाईट लेबल मार्केटिंग कई हद तक सभी व्यापारियों की राह बेहद आसान बना देती है. अब क्योंकि एक व्यापारी को वाईट लेबलिंग काफी स्मार्ट व्यापारी बनाती है तो यह तरक़ीब उसे काफी रास आती है. किसी भी प्रोडक्ट की खरीदारी के लिए आज कल हर दूसरा व्यक्ति ई-कॉमर्स साइट पर काफी विश्वास दिखाता है, क्योंकि ई-कॉमर्स साइट कस्टमर के लिए काफी सुविधाजनक प्लेटफॉर्म साबित हुआ है. इसलिए फ्लिप्कार्ट (Flipkart), अमेजॉन (Amazon), मिंत्रा (Myntra) और नायका (Nykaa) जैसे कई बड़े-बड़े ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म (E-Commerce Platforms) लोगों में अपना विश्वास कायम कर पाए हैं. लेकिन यहां एक सबसे बड़ी बात होती है. इस सभी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर मौजूद हर तरह के प्रोडक्ट्स का निर्माण यह कंपनियां खुद नहीं करती हैं. कई दूसरी कंपनियां इन प्रोडक्ट्स का निर्माण करती हैं और बिना किसी नाम या लेबल के बड़े ब्रांड्स को बेच देती हैं. अब प्रोडक्ट्स को प्राप्त करने वाली कंपनी अपने नाम और लेबल से उस प्रोडक्ट को बाजार में बेच देती है. इसे ही वाईट लेबलिंग कहते हैं.
वाईट लेबलिंग में कंपनी सिर्फ प्रोडक्ट का निर्माण करके किसी बड़े ब्रांड को सौप देती हैं और वह ब्रांड अपने नाम और लेबल के साथ उस प्रोडक्ट को बाजार में उतार कर बेच देती है. यह मार्केटिंग का सबसे अच्छा तरीका माना जाता है क्योंकि यह प्रोडक्ट के निर्माता की सेल को तो प्रभावित करता ही है साथ ही ब्रांड को भी काफी मुनाफा कमाने में मदद करता है. साथ ही कोई भी छोटी कंपनी या छोटा व्यापारी अपने प्रोडक्ट को बिना किसी परेशानी के बाजार में बेच सकता है.
वाईट लेबलिंग के फायदेः-
वाईट लेबलिंग मार्केटिंग का सबसे ज्यादा फायदेमंद टूल है. यह प्रोडक्ट की सेल बढ़ाने में सबसे ज्यादा मददगार साबित होती है. इस के अवाला भी इसके बहुत फायदे हैं.
- अगर आप नए व्यापारी हैं तो जाहिर सी बात है प्रतिस्पर्धा वाले इस युग में आपको अपने प्रोडक्ट्स को बाजार में पहचान दिलाने में काफी दिक्कतों का सामना पड़ता है लेकिन वाईट लेबलिंग के ज़रिए आपके प्रोडक्ट को एक बड़े ब्रांड का नाम मिल जाता है और वह बाजार में अपनी जगह बनाने में सफलता पा लेता है.
- वाईट लेबलिंग के ज़रिए जब आपको बाजार में जगह मिल जाती है तो आपको प्रोडक्ट की मार्केटिंग पर पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं होती है. आपको किसी तरह के प्रोमोशन की आवश्यकता नहीं होती है और आपका पैसा बचता है, जिसे आप प्रोडक्ट के निर्माण कार्य में लगा सकते हैं.
- वाईट लेबलिंग के ज़रिए आपके प्रोडक्ट को बाजार में जल्दी ही पहचान भी मिल जाती है, क्योंकि बड़ा ब्रांड, मार्केट में पहले से ही स्थापित होता है, उसके पास पहले से ही बड़ी संख्या में कस्टमर्स मौजूद होते हैं, बाजार में उस ब्रांड की वैल्यू होती है. इसलिए आपके प्रोडक्ट को बाजार में ज्यादा संघर्ष करने की जरूरत नहीं पड़ती है.
- बाजार में बड़े ब्रांड पर कस्टमर ज्यादा भरोसा करता है, ऐसे में जब आपके प्रोडक्ट को बड़े ब्रांड का नाम या लेबल मिलता है तो आपके प्रोडक्ट को भी कस्टमर का वही भरोसा मिल जाता है.
ये वाईट लेबलिंग के वह फायदे हैं, जिनका प्रभाव प्रोडक्ट की सेल पर सीधे तौर पर पड़ता है और मार्केटिंग की इस रणनीति से आपके प्रोडक्ट की सेल कई गुना बढ़ जाती है. अगर आप बिज़नेस करते हैं और आपको बिज़नेस में किसी भी तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तो आप हमारे Problem Solving Courses को अपना कर उन परेशानियों का समाधान पा सकते हैं. इसके अलावा आपको हमारा यह आर्टिकल कैसा लगा और आगे किस तरह की जानकारी आप हमसे पाना चाहते हैं इसके बारे में आप हमें कमेंट सेक्शन में कमेंट करके बता सकते हैं.