जब हम किसी समस्या का सामना कर रहे होते हैं, हमें ऐसे मार्गदर्शन की ज़रूरत होती है जो समस्या का सीधा समाधान दे सके। श्रीमद्भगवद्गीता एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें जीवन की समस्याओं से लेकर बिजनेस की समस्याओं तक का हल छुपा हुआ है।

बिजनेस में अक्सर लीडर्स को चिंता रहती है कि उनकी टीम या फॉलोवर्स उनकी बात नहीं मानते।

श्रीमद्भगवद्गीता के तीसरे अध्याय के 21वें श्लोक में भगवान श्री कृष्ण ने इस तरह की समस्याओं के समाधान के बारे में बात की है:

यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरा जन: ।

स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते ।।3-21।।

इस श्लोक का अर्थ है कि:

महापुरुष जो आचरण दिखाते हैं, दूसरे लोग भी उसका अनुकरण करते हैं; वे जो प्रमाण देते हैं, लोग उसका अनुसरण भी करते हैं।

“जैसा-जैसा लीडर करेगा, वैसा-वैसा फॉलोवर करेगा।

लेकिन जैसा-जैसा लीडर कहेगा, वैसा-वैसा फॉलोवर नहीं करेगा।”

भगवान श्री कृष्ण यहाँ समझाते हैं कि लीडर जो करता है, वही उसके फॉलोवर्स अपनाते हैं, न कि जो लीडर कहता है। उदाहरण के लिए, यदि आप चाहते हैं कि आपके एंप्लॉयस रोज़ समय पर ऑफिस आएं, तो आपको खुद भी समय से पहले ऑफिस आना होगा।

महाराजा अग्रसेन का एक निर्णय जिसने बदल दी पशुबली की प्रथा:

एक लीडर के सही फैसले का प्रभाव फॉलोवर्स पर कितना बड़ा हो सकता है, इसे महाराजा अग्रसेन की कहानी से समझा जा सकता है। प्राचीन समय में यज्ञों में पशुबली दी जाती थी। महाराजा अग्रसेन ने इस प्रथा को बदलने के लिए नारियल की बलि देने की प्रथा शुरू की। उनकी प्रजा ने इस नई प्रथा को अपनाया और आज भी वही प्रथा चल रही है।

श्रीमद्भगवद्गीता के इस तीसरे अध्याय के 21वें श्लोक में यही सिखाया गया है कि अपनी टीम और फॉलोवर्स से बेहतर काम कराने और उन्हें प्रेरित करने के लिए लीडर को पहले खुद से बेहतर काम करके दिखाना होगा।


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