श्रीमद्भगवद्गीता (Srimad Bhagavad Gita) में जीवन की हर एक समस्या का समाधान छुपा है ये तो हम सभी जानते हैं। जीवन में अक्सर हमारे सामने ऐसे कई हालात पैदा हो जाते हैं जहां समझना मुश्किल होता है कि क्या फैसला लिया जाए।
श्रीमद्भगवद्गीता के बारे में ये बात समस्त संसार जानता है कि जब भी कोई दुविधा मन में आए तो आंख बंद करके गीता के किसी भी एक पन्ने को खोलें, तो उस पन्ने पर आपको अपनी समस्या का समाधान ज़रूर मिलता है। लेकिन खास बात ये है कि गीता में सिर्फ अपनी समस्याओं का समाधान और आध्यात्म का ज्ञान ही नहीं मिलता बल्कि बिजनेस की समस्याओं का समाधान भी बड़ी आसानी से मिल जाता है। गीता से इन कुछ खास गुणों को सीखकर बिजनेस के क्षेत्र में बड़ी सफलता को हासिल किया जा सकता है।
सही फैसला लेने की क्षमता
श्रीमद्भगवद्गीता व्यक्ति को सही फैसला लेने की क्षमता प्रदान करती है। गलत फैसला लेने का क्या नतीजा होता है ये महाभारत के समय में भी देखने को मिला था जब भाई भतीजावाद के चलते धृतराष्ट्र अपने पुत्र दुर्योधन को ही राज्य की बागडोर सौंपना चाहते थे, जिसके चलते वो अधर्म का साथ देते चले गए और सब कुछ बरबाद हो गया। ऐसा ही कुछ बैद्यनाथ कंपनी के साथ भी हुआ। पांच भाई जो साथ मिलकर कम्पनी नहीं चला पाए और कंपनी के पांच हिस्से कर लिए, जिसकी वजह से वो आज अपनी ही कंपनी का विज्ञापन या मार्केटिंग नहीं कर पाते हैं क्योंकि एक भाई द्वारा किए गए विज्ञापन का फायदा बाकी चारों भाइयों को भी मिलेगा। गीता हमें सिखाती है कि अपने फैसलें हमेशा बिना किसी स्वार्थ के लेना चाहिए। जिससे ना सिर्फ अपना बल्कि दूसरों का भी फायदा होगा।
प्रतिद्वंदी को ध्यान में रखकर प्लान बनाएं
महाभारत के दौरान दुर्योधन हमेशा अपनी सेना के सेनापति गुरु द्रोणाचार्य को इस बात के लिए दोष देता रहा कि उनके दिए ज्ञान के कारण पांडवों के सेनापति दृस्टिद्युम को हरा पाना कौरवों के लिए मुश्किल हो गया। जबकि दुर्योधन के पास मौका था कि वो खुद गुरु द्रोणाचार्य से दृस्टिद्युम की कमियां और खूबियां बड़ी आसानी से पता करके अपनी रणनीति तैयार कर सकता था। ये बात हमें ये सिखाती है कि बिजनेस में हमेशा अपने प्रतिद्वंदी से जुड़ी जानकारियां जुटाकर, उनकी खूबियां और खामियां दोनों समझकर ही अपने बिजनेस के प्लान को तैयार करना चाहिए।
समय के साथ चलें
श्रीमद्भगवद्गीता की एक बड़ी सीख ये भी है कि समय के साथ चलना जरूरी है क्योंकि जो समय के साथ नही चलता वो अक्सर मुसीबतों का सामना करता है। जैसे एक वक़्त था जब कैमरे का मतलब सिर्फ Kodak कैमरा ही होता था, सालों तक इस कम्पनी ने मार्केट पर राज किया लेकिन समय रहते इसने अपनी टेक्नोलॉजी में बदलाव नहीं किये। नतीजा ये हुआ कि आज ये कम्पनी मार्केट से गायब हो चुकी है। अगर समय रहते ही उन्होंने अपने बिजनेस मॉडल में बदलाव किए होते तो आज भी वो मार्केट की शान होते।
तो ये कुछ सीख हैं जिन्हें अपनाकर आप अपने बिजनेस और जीवन दोनों की ही समस्याओं को ना सिर्फ सुलझा सकते हैं बल्कि उसे आगे बढ़ाने में भी हमेशा मदद करती हैं।