हिन्दू मान्यताओं के अनुसार श्रीमद भगवद गीता (Bhagavad Gita) में जिंदगी की सभी परेशानियों का हल बताया गया है, जैसे मन में कोई दुविधा, कोई निर्णय लेने में तकलीफ या फिर बिजनेस मैनेजमेंट (Business Management) ही क्यों न हो. हालांकि यह पौराणिक किताब सैकड़ों साल पुरानी है, लेकिन आज भी इससे जिंदगी में कामयाब बनने का अचूक ज्ञान लिया जा रहा है.
भगवद गीता हिन्दुओं में सर्वोच्च माना जाता है, इस में हर उस समस्या का समाधान मिल जाएगा, जो हर दूसरे दिन लोगों के सामने खड़ी हो जाती है. ऐसे में अगर आप भगवद गीता में लिखे गए श्लोकों (Bhagavad Gita Quotes) का अध्ययन करेंगे तो, आपकी हरेक परेशानी का हल मिल जायेगा. इसके साथ ही गीता से आप कारोबार (Business) को सफल बनाने का मंत्र भी प्राप्त कर सकते है. तो आइए जानते है भगवद गीता में कही गई ऐसी बातें, जिन पर अमल कर आप सफलता की ऊंचाइयों को छू सकते है.
जीवन में हमें काम कैसे चुनना चाहिए?
जिंदगी में हरेक व्यक्ति को अपने स्वभाव के अनुसार काम का चयन करना चाहिए ना की किसी दूसरे के काम को देखकर. जिस काम को करने में आपको खुशी मिलती हो उसी काम को करें. ठीक उसी तरह किसी भी कारोबार (Business Startup) को शुरू करने से पहले यह जरूर ध्यान में रखें की क्या आपकी उस प्रोडक्ट में दिलचस्पी है. क्योंकि जब तक आपका उस काम में मन नहीं लगेगा तब तक आप अपने कारोबार में सफल नहीं हो पाएंगे. इसलिए किसी भी कारोबार को शुरू करने से पहले अच्छे से सोच-विचार कर लें.
फल की इच्छा न करें-
भगवद गीता में लिखा हुआ है कि मनुष्य जैसा कर्म करता है उसे उसके अनुरूप ही फल की प्राप्ति होती है. वर्तमान में लोग किसी भी काम को शुरू करने से पहले ही उसके रिजल्ट के बारे में सोचने लगते है. ठीक ऐसे ही किसी कारोबार को शुरू करने से पहले अगर उससे होने वाले मुनाफे की चिंता की जायें तो सफलता दूर हो सकती है. इसलिए जरूरी है कि प्रॉफिट के बारे में ना सोचकर अपने बिजनेस को बढ़ाने पर ध्यान दें.
जिंदगी में कभी लालच ना करें:
अक्सर देखा जाता है कि लोग लालच के चक्कर में अपनों के साथ धोखा कर बैठते हैं, जिसका पछतावा उन्हें बाद में होता है. श्रीमद भगवद गीता में लिखा हुआ है कि जिस भी व्यक्ति ने लालच पर नियंत्रण पा लिया उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता. अगर आप खुद का बिजनेस कर रहे है तो, भूलकर भी लालच ना करें, क्योंकि अधिक लालच की वजह से आप गलत रास्ते पर चल सकते है. ऐसे में कारोबार पूरी तरह से तहस-नहस हो सकता है. इसलिए ईमानदारी के साथ ही अपने बिजनेस को आगे बढ़ने की कोशिश करें.
खुद पर संयम रखें-
पवित्र ग्रंथ में लिखा हुआ है कि- ‘क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है. जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाते हैं. जब तर्क नष्ट होते हैं तो व्यक्ति का पतन शुरू हो जाता है.’ यानी किसी भी परिस्थिति में अपने आप पर काबू रखे. गुस्से में आकर कोई कदम नहीं उठाये, न ही कुछ बोले. गुस्से में बात बनने की जगह बिगड़ जाती है, इसलिए कारोबार करते समय भी अपने गुस्से पर सयम बना कर रखें, ताकि आपके ग्राहक हमेशा आपसे खुश रहे. क्योंकि कारोबार में ग्राहक ही सबकुछ होता है.
अगर आपको अपने कारोबार में सफल होना है, तो श्रीमद भगवद गीता में लिखी हुई बातों पर जरूर अमल करें, ताकि आप अपनी मंज़िल तक पहुंच सके.