नई दिल्ली: वर्तमान में पूरी दुनिया कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी को खत्म करने के लिए संघर्ष कर रही है. इस घातक वायरस के कारण लाखों जिंदगियां असामयिक मौत की भेंट चढ़ गई, जबकि अर्थव्यवस्था (Economy) को तगड़ा नुकसान पहुंचा है. महामारी से सबसे जादा प्रभावित होने वाला सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को कोविड-19 महामारी के प्रभाव से बाहर निकलने में करीब आठ महीने का समय लगने की उम्मीद है. एमएसएमई क्षेत्र का देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 29 प्रतिशत योगदान है.
डन एंड ब्रॉडस्ट्रीट के वैश्विक मुख्य अर्थशास्त्री अरूण सिंह के मुताबिक एमएसएमई सेक्टर में हालात सामान्य होने में कई महीने लगने वाले है. जबकि इस पुनरूद्धार की दर इस बात पर निर्भर करेगी कि डिजिटलीकरण की दर क्या है और वे किस क्षेत्र में काम कर रहे हैं. डिजिटल खंड से जुड़े ऑनलाइन गेमिंग, दूरसंचार और ई-शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले उद्यमों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है और उन्हें आगे बढ़ने का अवसर मिला है.
इसके विपरीत कोरोना ने खाद्य, औषधि, आईटी संबद्ध सेवाएं, बैंक, खुदरा, वाहन, रीयल एस्टेट और आभूषण जैसे परंपरागत क्षेत्रों की कमर तोड़ दी है. इन क्षेत्रों में महामारी का मध्यम से उच्च प्रभाव नजर आ रहा है. डन एंड ब्रॉडस्ट्रीट के मुख्य अर्थशास्त्री ने अनुमान जताया कि इन क्षेत्रों में सुधार आने में छह महीने से एक साल तक का समय लग सकता है.
उन्होंने कहा कि लॉजिस्टिक और गोदाम, मीडिया और मनोरंजन उद्योग को फरवरी, 2020 के स्तर पर आने में एक साल तक का समय लग सकता है. जबकि, एमएसएमई को पटरी पर लौटने में औसतन कम-से-कम 7-8 महीने का वक्त लगेगा.