गिर कर उठना और सफलता के शिखर को छूना ही एक कर्मयोगी की पहचान होती है. जी हां, गलतियां किससे नहीं होती, लेकिन उन्ही गलतियों से सबक लेकर फिर उठ खड़ा होना ही इंसान को ग्रेट बनाता है. दुनिया के दस महान व्यवसायियों ने भी स्वीकारा है कि उनसे भी बड़ी-बड़ी गलतियां हुई हैं, लेकिन उन्होंने समय रहते उन गलतियों को सुधार लिया और आज दुनियाभर में अलग पहचान बना ली हैं. यहां हम दस ऐसी ही गलतियों का जिक्र करने जा रहे हैं, जो हर किसी से हो सकता है. अगर आप कोई व्यवसाय शुरु करने जा रहे हैं अथवा कर रहे हैं, तो इन दस बड़ी गल्तियों से बचें.
1- एंकरिंग ट्रैप
व्यवसाय की दुनिया में इस तरह की गलतियां होती रहती हैं. दरअसल हम सबसे पहले सुनते हैं, उसी को आधार मानकर बाकी बातों को भी उसी अंदाज में सुनने लग जाते हैं. हम उसे जरूरत से ज्यादा महत्व देने लग जाते हैं. उदाहरण के लिए मान लें कि हम एक सेकंड हैंड कार खरीदने जा रहे हैं, हम विक्रेता से पहला सवाल यही करते हैं कि किस साल का मॉडल है? -2015 की है.. हम पूछते हैं, अच्छा कितने किमी चली है? -करीब एक लाख... आप मान लेते हैं, बेकार गाड़ी होगी. आप यह मिस कर जाते हैं कि उसका इंजन, उसके ट्रांसमिशन की क्वालिटी कैसी है? क्योंकि आपका एंकरिंग ट्रैप हो गया है.
2- स्टेटस कुओ ट्रैप (Statue Cuo Trap)
यानी जो चल रहा है अच्छा है. मौजूदा हालात को बनाकर रखो. इस चक्कर में आपका अन्य विकल्प की तरफ ध्यान ही नहीं जाता है, जो आपको और बेहतर दे सकता है. जैसे आप किसी नाई से बाल कटवाते हैं, आप जिससे कटवाते हैं, उसी से हेयर कट करवायेंगे. उसके लिए आप इंतजार करेंगे, अगले दिन दुबारा आयेंगे. आप एक तय स्टेटस को पकड़ लेते हैं. बदलाव से घबराते हैं. यह एक गलत धारणा है. क्योंकि आप अपना स्टेटस नहीं बदलना चाहते, जिससे नया हासिल करने से चूक जाते है.
3- संक कॉस्ट ट्रैप (Sunk Cost Trap)
इसका आशय इस उदाहरण से समझिये. किसी बिजनेस में आपका पैसा डूब गया है, तो आप उसे ही सुधारने में उलझ जाते हैं. विशाल टायटेनिक डूब गया था, क्या उसे ठीक किया जा सकता था? काफी पहले ऐसी ही एक गलती कोडक ने की थी. उसने अरबों रुपये फिल्म कैमरा में इन्वेस्ट कर दिया था. 1975 तक यह इन्वेस्टमेंट एक मीलियन डॉलर हो गया. अब वह डिजिटल कैमरा में मूव नहीं कर पा रहा था, क्योंकि उसे संक कॉस्ट ट्रैप हो गया था. आपको उसका विकल्प देखना होगा, थोड़ा इन्वेस्ट बढ़ा लीजिये, वह आपके फ्यूचर में काम आयेगा ही. रियल स्टेट में यह एक आम बात है. 80 लाख की प्रॉपर्टी खरीदी, रेट गिर गया, मगर उन्होंने संक कॉस्ट में उलझकर उसे 60 लाख में बेचकर उसे निकालने के बजाय उसकी कीमत बढ़ने का इंतजार करते हैं. लेकिन अगर उसी फ्लैट को 60 लाख में बेचकर पैसा कहीं और इन्वेस्ट किया जाएं तो भविष्य में अधिक मुनाफे की उम्मीद बन जाती है.
4- कन्फॉर्मिंग एविडेंस ट्रैप (Confirming Evidence Trap)
यानी आपको एक बार कोई चीज पसंद आ जाती है, आप उसी का एविडेंस ढूंढते रहते हैं. कहीं किसी से कोई गलती हो गयी तो आप कहेंगे, देखा मैंने कहा था ना. जैसे आपने अपनी पत्नी को कोई काम दिया, आपकी चेतावनी के बाद भी उससे थोड़ी गलती हो जाती है. आप तुरंत कहेंगे, देखा मैंने कहा था ना. इस चक्कर में आप कई अन्य एविडेंस को इग्नोर कर जाते हैं. क्योंकि आप उसे ही ढूंढते रह जाते हैं. आप उसी एम्प्लॉई को प्रोमोट करते हैं, जो आपको पसंद है.
5- फ्रेमिंग ट्रैप (Framing Trap)
इसका आशय यह है कि आप किसी सच्चाई की अधूरे तरीके से व्याख्या करते हैं और उसी पर विश्वास करने लगते हैं. आप अप्रत्यक्ष रूप से पूरी सच्चाई को नजरअंदाज करने लगते हैं. मसलन आज जब आप के प्रॉपर्टी का व्यवसाय बहुत स्लो हो गया है. लेकिन डीलर नहीं मानेंगे, वह यही कहेंगे कि मार्केट में उछाल आया है, कस्टमर पैसे लेकर घूम रहे है, जबकि सच इसके विपरीत है, जो सबको पता भी है.
6- ओवर कॉन्फिडेंट ट्रैप (Over confident trap)
जब आप किसी बात या चीज पर बहुत ज्यादा मोहित हो जाते हैं, तो उसकी सारी कमियों को नजरअंदाज करने लगते हैं. इसे कहते हैं आईकेबी सिंड्रोम (IKB Sindrome). इसका आशय यह है कि मुझे सब मालूम है. आप हमेशा खुद को बेस्ट जताने की कोशिश करते हैं. आप वहीं जाते हैं, जहां सभी आपको पसंद करते हैं. आप अपने काम और उससे हासिल मुकाम का जिक्र अधिक करते है. यह सब ओवर कॉन्फिडेंट के चलते होता है. कोई आपको फीडबैक देता है तो आप उसकी ही आलोचना करने लगते हैं. इससे आपकी पिछली सफलता आपकी आने वाली सफलता की दु्श्मन बन जाती है.
7- रिसेंट इवेंट ट्रैप (Recent Event Trap)
यानी पिछले दिनों कोई ऐसी दुर्घटना हुई है, इसके बाद आप हर चीज को उसी नजरिये से देखने लगते हैं. जैसे आपका कहीं सड़क एक्सीडेंट हुआ है तो अब आप सड़क पार करते समय बड़े अजीबोगरीब ढंग से खुद की केयर करने लग जाते है. या आपके यहां किसी की कैंसर से मृत्यु हो गयी है तो कैंसर होने का डर आपको सपने में भी सताने लगेगा. कामयाबी के लिए इसे नजरंदाज करना ही होगा.
8- डू इट आल ट्रैप (Do It All Trap)
यानी हम कुछ भी कर सकते हैं, हम बहुत एक्सपर्ट हैं. हम सब कुछ जीत लेंगे. हम सारे प्रोडक्ट ले आयेंगे, सारे कस्टमर हासिल कर लेंगे. आप समझ नहीं पाते कि असल में फोकस कहां करना है. आप सब कुछ नहीं कर सकते. वास्तव में आपको रियल वैल्यू को चुनना है, जहां बड़ी सफलता मिलेगी. याद रखिये सारे काम में सफलता नहीं मिलती है. वही करिये जिसमें बड़ी ग्रोथ मिल सकती है.
9- सेंट्रल स्टेज ट्रैप (Central Stage Trap)
कुछ लोगों को हर समय माला पहनने की आदत है. सरपंच पीएम का चुनाव लड़ने की सोचता है, गांव का सरपंच पीएम को हराने की बात करता है. इसे कहते हैं सेंट्रल स्टेज ट्रैप. शुरु-शुरु में चाणक्य से चंद्रगुप्त मौर्य को लेकर यह गलती हुई थी, वो घनानंद के साम्राज्य पर छोटी सी टुकड़़ी लेकर भिड़ने चले गये. बाद में उन्होंने ही कहा कि खिचड़ी को परिधि से धीरे-धीरे खाना चाहिए. सीधे पीएम से मुकाबला से पहले अपनी पार्टी को मजबूत बनाओ. इसे वाटर लू ट्रैप भी कहते हैं. पहले खुद को मजबूत बनाओ, सीधा सेंट्रल ट्रैप पर आने की कोशिश करना नुकसान पहुंचाता है.
10- सरवाइवरशिप बायस ट्रैप (Survivorship Bias Trap)
मार्क जुकरबर्ग और बिल गेट्स दोनों ने कॉलेज छोड़ दिया था. अगर आप भी उन जैसा बनने के लिए कॉलेज छोड़ देते है तो, यह सही नहीं है. अगर कॉलेज छोड़ने से कोई अरबपति बन जाता, तो आज सारे कॉलेज बंद हो जाते. इसे कहते हैं सरवाइवरशिप बायस ट्रैप. उन्होंने सरवाइव किया है. लाखों लोगों ने कॉलेज छोड़ा होगा, मगर अरबपति दो ही बन पाये है. आप कॉलेज मत छोड़िये. अच्छी से अच्छी शिक्षा लीजिये. बढ़िया मैनेजमेंट कोर्स कीजिये, सीखिये. जितने सफल लोग हैं, निरंतर कुछ न कुछ सीखते रहते हैं. मार्केट में एक को देखकर पीछे कई कंपनियां आती है, लेकिन सफलता एक को ही मिलती है, जबकि सर्वाइव सभी करते हैं.