सुहास गोपीनाथ, 14 साल की उम्र में कंपनी बनाने वाले सबसे कम उम्र के सीईओ की प्रेरणात्मक कहानी

Struggle to success story of Suhas Gopinath who became the youngest CEO.

कहते हैं कि पूत के पाँव पालने में ही दिख जाते हैं, ऐसी ही कहानी है बैंगलोर के सुहास गोपीनाथ की।

सुहास को अपने स्कूल टाइम से ही कंप्यूटर में रूचि जगी। कंप्यूटर ना होने की वजह से वे कंप्यूटर नहीं सीख पा रहे थे, तब उन्होंने इसका भी रास्ता निकाल लिया और कंप्यूटर सीख गए। जब वे 13 साल के हुए, तो अपनी कंपनी स्टार्ट करना चाहते थे, लेकिन वे 18 साल के नहीं हुए थे, इसलिए भारत का कानून उन्हें कंपनी शुरू करने की इजाजत नहीं दे रहा था, तब उन्होंने अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया में ग्लोबल इनकॉर्पोरेशन की स्थापना की और वे सबसे कम उम्र के सीईओ बन गए।

जानिये सुहास गोपीनाथ की संघर्ष से सफलता तक की कहानी

नाम: सुहास गोपीनाथ
जन्म: 4 नवंबर 1986, बैंगलोर
पिता: एमआर गोपीनाथ, रक्षा वैज्ञानिक
माता: कला गोपीनाथ
शिक्षा: रमैया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बैंगलोर से इंजीनियरिंग
कंपनी: ग्लोबल इनकॉर्पोरेशन
स्थापित: 1 अगस्त 2000, कैलिफोर्निया

कौन है सुहास गोपीनाथ?

सुहास का जन्म 4 नवंबर 1986 को बैंगलोर में हुआ था। उनके पिता एमआर गोपीनाथ भारतीय सेना में रक्षा वैज्ञानिक हैं और उनकी माता कला गोपीनाथ एक गृहिणी हैं। सुहास की स्कूली शिक्षा बैंगलोर के वायु सेना स्कूल से हुई। उन्हें बचपन में जीव जंतु और वेटरनरी साइंस में इंटरेस्ट था। उस समय भारत में कंप्यूटर का चलन शुरू ही हुआ था। स्कूल में सुहास के दोस्त कंप्यूटर की बात किया करते थे, तब उनके मन में कंप्यूटर को लेकर जिज्ञासा उत्पन्न हुई। उनके घर पर कंप्यूटर नहीं था, तब उन्होंने कैफ़े जाकर कंप्यूटर सीखा।

ऐसे हुई कंपनी की स्थापना

जब वे कैफ़े पर जाने लगे, तो उनके पास इसके लिए पैसे नहीं थे, तब उन्होंने कैफ़े से एक डील की। उन्होंने कंप्यूटर सीखने के बदले रोज़ाना 1 बजे से 4 बजे तक कैफ़े खोलने और चलाने की जिम्मेदारी ली। अब सुहास कैफ़े पर मन लगाकर कंप्यूटर और वेबसाइट बनाना सीखने लगे, वे धीरे-धीरे कामयाब भी होने लगे। उन्होंने वेब डिज़ाइनर के रूप में अपना रजिस्ट्रेशन करवाया। जब वे वेबसाइट बनाना सीख गए, तब उनके पास कोई रेफरन्स नहीं था इसलिए उन्होंने क्लाइंट के लिए पहली वेबसाइट फ्री में बनाई।

उसके बाद उनके पास और भी क्लाइंट्स की वेबसाइट्स बनाने का काम आने लगा, जिससे उनके पास 100 डॉलर जमा हो गए। जब वे नौवीं कक्षा में थे, तब उन्होंने अपनी कमाई से कंप्यूटर और इंटरनेट कनेक्शन लिया। जल्द ही उनके काम की तारीफ सब जगह होने लगी। वर्ष 2000 में जब वे 13 साल के थे, तब उन्होंने खुद की कंपनी स्थापित करने का फैसला लिया। क्योंकि उनकी उम्र 18 साल से कम थी, इसलिए वे भारत में कम्पनी स्थापित नहीं कर सकते थे। तब उन्होंने अगस्त 2000 में अमेरिका के कलिफोर्निया में अपने एक अमेरिकी दोस्त के साथ मिलकर ग्लोबल इनकॉर्पोरेशन की स्थापना की।

कैसा रहा ग्लोबल इनकॉर्पोरेशन का सफर?

अमेरिका में कंपनी रजिस्ट्रेशन के लिए मात्र 15 मिनट लगते हैं और वहां उम्र का कोई बंधन नहीं है इसलिए सुहास ने अमेरिका में ग्लोबल इनकॉर्पोरेशन को रजिस्टर किया। इसी के साथ वे सबसे कम उम्र के सीईओ बन गए। इनकी कंपनी वेब और मोबाइल सॉल्यूशन और उससे जुड़ी रिसर्च करके डाटा उपलब्ध करवाती है। पहले साल में कंपनी का टर्नओवर 1 लाख और दूसरे साल में 5 लाख का रहा। 2005 में जब सुहास 18 साल के हो गए, तब उन्होंने दिसंबर 2005 में बैंगलोर में कंपनी का रजिस्ट्रेशन करवाया। आज इस कंपनी की ब्रांचेस ब्रिटेन, स्पेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया जैसे कई देशों में हैं और सुहास के नेतृत्व में यह कंपनी एक मल्टी नेशनल कंपनी बन गयी है।

पुरस्कार और पद

2007 में सुहास को यूरोपियन पार्लियामेंट ने यंग अचीवर अवार्ड से सम्मानित किया। 2008 में जब वे अपनी इंजीनियरिंग के पांचवे सेमेस्टर में थे, तब उन्हें वर्ल्ड बैंक ने अपनी बोर्ड मीटिंग में आमंत्रित किया था। 2008-09 में ही वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने सुहास को यंग ग्लोबल लीडर पुरस्कार से सम्मानित किया।

सुहास ने अपनी कड़ी मेहनत से ना सिर्फ वेब डिजाइनिंग जैसी नई स्किल को सीखा, बल्कि इसमें अपनी मल्टी नेशनल कंपनी भी स्थापित की। आज सुहास हर उस युवा के लिए प्रेरणा बन चुके हैं जो अपना खुद का बिज़नेस शुरू करना चाहते हैं। ऐसे युवाओं को सुहास से सीखना चाहिए कि हमारे मन में यदि कुछ बड़ा करने का सपना हो तो हम किसी भी परेशानी को अपने अवसर में बदल सकते हैं।

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