भैरो सिंह राठौड़ Motivational Story: ये हैं फिल्म बॉर्डर के असली भैरो सिंह, अपनी बहादूरी से दुश्मनों को दी थी मात

आप सभी ने फिल्म बॉर्डर तो कभी ना कभी जरुर देखी होगी। यह फिल्म भारत और पाकिस्तान के बीच सन 1971 में हुए युद्ध पर आधारित थी। फिल्म के हर किरदार को दर्शकों ने खूब पंसद किया था। फिल्म में निभाया गया हर किरदार असल जिंदगी के हीरों से प्रेरित था। फिल्म बॉर्डर में अभिनेता सुनील शेट्टी द्वारा निभाया गया भैरो सिंह का किरदार आज भी लोगों की जुंबान पर याद है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि फिल्म के भैरो सिंह असल जिंदगी में भी जीवित है। उन्हें आज भी 1971 में लड़ी गई लड़ाई याद है। भैरों सिंह राठौड़ भारत के सच्चे सिपाही है जिन्होंने अपनी जान पर खेलकर भारत की विजय में सहयोग दिया था। आइए जानते हैं भैरों सिंह के जीवन से जुड़ी प्रेरक कहानी (Inspirational Story):-

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 की लड़ाई में भारतीय सैनिकों ने दुश्मनों को धूल चटा दी थी। सेना ने जबरदस्त पराक्रम दिखाया था। इस युद्ध में भारतीय सेना (Indian Army) के 120 जवानों ने पश्चिमी राजस्थान में थार के धोरों में स्थित जैसलमेर के लोंगेवाला (Longewala) में पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी। इस जीत को दिलाने में भैरों सिंह ने भी अहम भूमिका निभाई थी।

बीएसएफ की 14 बटालियन में 1971 में जैसलमेर के लोंगेवाला पोस्ट तैनात भैरों सिंह ने एमएफजी से करीब 30 पाकिस्तानी दुश्मनों को अकेले ढेर कर दिया था। उन्होंने लोंगेवाला पोस्ट पर मेजर कुलदीप सिंह की 120 सैनिकों की कंपनी के साथ डटकर सामना करते हुए पाक के टैंक ध्वस्त कर दुश्मन सैनिकों को मार गिराया था। भैरों सिंह के पास जब हाईकमान से आदेश आया तो वह लोंगेवाला के पास तैनात होने पहुंचे थे। इस युद्ध में रातभर फायरिंग चली थी। भैरो सिंह को उनके शौर्य के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री बरकतुल्लह खान ने सेना मेडल से सम्मानित किया था।

भैरो सिंह मूल रुप से राजस्थान के जोधपुर के शेरगढ़ स्थित एक गांव रहते हैं। 1971 जब भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ चुका था। उस समय बीएसएफ की 14 बटालियन की डी कंपनी को तीसरे नंबर की प्लाटून लोंगेवाला पर तैनात थी। आर्मी की 23 पंजाब की एक कंपनी ने मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी के नेतृत्व में लोंगेवाला का जिम्मा संभाल लिया था। बॉर्डर पोस्ट से करीब 16 किमी दूरी पर था। बीएसएफ की कम्पनी को दूसरी पोस्ट पर भेज दिया गया। सेना को पैट्रोलिंग के दौरान इलाका दिखाया गया। आधी रात को संदेश मिला कि पाकिस्तानी सैनिक बड़ी संख्या में टैंक लिए हुए पोस्ट की ओर बढ़ रहे हैं। भारतीय थल सेना ने एयरफोर्स से हवाई हमले के लिए मदद मांगी थी, लेकिन रात होने के कारण उन्हें मदद नहीं मिल सकी। लेकिन सेना ने अपना साहस नहीं खोया।

रात के करीब 2 बजे पाक सेना ने टैंक से गोले बरसाने शुरू कर दिए। दोनों देशों की सेनाओं के बीच घमासान लड़ाई छिड़ चुकी थी। इस बीच एलएमजी से गोलियां दाग रहा एक सैनिक घायल हो गया। भैरों सिंह ने बिना समय गवाएं एलएमजी संभाल ली और लगातार 7 घंटे तक फायरिंग करते रहे। जैसे ही सुबह हुई, वायुसेना के विमान भी आ गए। विमानों से भयंकर बमबारी की जिसमें पाक को भारी नुकसान हुआ। अंत में पाकिस्तानी सेना को पीछे हटना पड़ा। उन्होंने 2 दर्जन से अधिक पाक सैनिकों को मार गिराया था।

1972 में अदम्य साहस और शौर्य के लिए भैरों सिंह राठौड़ को सेना मेडल से सम्मानित किया गया था। सन् 1963 में बीएसएफ में भर्ती होकर राठौड़ 1987 में सेवानिवृत्त हुए थे। भैरों सिंह के किरदार को वर्ष 1997 में रिलीज हुई जेपी दत्ता की बॉर्डर फिल्म में अभिनेता सुनील शेट्टी ने निभाया था।  भैरों सिंह कहते हैं कि लोंगेवाला की लड़ाई में उन्हें ऐतिहासिक जीत मिली थी। यह दुनिया की पहली ऐसी जंग थी जो सिर्फ 13 दिन तक ही लड़ी गई। 16 दिसंबर 1971 के दिन 92000 सैनिकों के साथ पाकिस्तान ने अपने आपको भारत के आगे सरेंडर कर दिया था। भारत में इस दिन को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। भैरों सिंह के जज्बे को आज पूरा देश सलाम करता है। भैरों सिंह की कहानी सभी के रगों में जोश भरने का काम करती है। उनकी सफलता और साहस की यह कहानी (Success Story) सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत (Inspiration) है।

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