आज के समय में हर कोई महंगाई के कारण इतना परेशान है कि वो दिन-रात यही सोचता है कि कैसे अपना और अपने परिवार का पेट पाले। ऐसे में किसी दूसरे को खाना खिलाने के बारे में कोई जल्दी विचार भी नहीं करता। लेकिन दुनिया की इस सोच से परे एक ऐसा शख्स भी है जो ना केवल 5 रुपये में लोगों का पेट भर रहा है बल्कि 10 रुपय में उनके तन को ढंकने के लिए कपड़े भी उपलब्ध करवा रहा है। वो शख्स है दादी की रसोई के संस्थापक अनूप खन्ना।

अनूप खन्ना नोएडा में दादी की रसोई के नाम से सामाजिक कार्य करते हैं। वो आम जनता को कम पैसों में अच्छा भोजन उपलब्ध करवा रहे हैं। उनके इस कार्य की हर ओर प्रशंसा हो रही है यहां तक ऱाष्ट्रपति भवन और कौन बनेगा करोड़पति से भी उन्हें बुलावा आ चुका है। अनूप गरीब लोगो को उच्च गुणवत्ता का खाना खिलाने का शौक रखते हैं। इसी उद्देश्य से उन्होंने दादी की रसोई की शुरूआत की थी।

अनूप खन्ना 25 साल से नोएडा में रह रहे हैं। वो एक समाजसेवी के रूप में काम कर रहे हैं। 62 वर्षीय अनूप खन्ना ने 21 अगस्त 2015 को अपनी मां के नाम से दादी की रसोई (Dadi ki rasoi) खोली थी। उनका मकसद जरूरतमंद लोगों को मात्र 5 रुपये में लंच करवाना था। अनूप खन्ना रोजाना दोपहर 12 बजे अपनी दुकान के सामने दो टेबल पर खाना रखकर लगाते हैं और वह हर दिन 500 लोगों को खाना खिलाते हैं। उनके यहां खाने में हर दिन खिचड़ी बनाई जाती है। जिसमें अलग अलग दाल उपयोग की जाती है जैसे चना दाल, अरहर दाल आदि  जिसमे हरी ताज़ी सब्जिया भी डाली जाती है। साथ में एक मिठाई और एक मौसमी फल भी दिया जाता है।

अगस्त 2015 में अनूप खन्ना ने दादी की रसोई की शुरुआत की थी। यह सब उनकी मां के कारण ही हो सका, जिन्होंने उनसे अपने हिस्से का खाना जरूरतमंदों में बांटने को कहा था। अनूप खन्ना की मां का खाना धीरे-धीरे खाना कम हो रहा था क्योंकि उनके सारे दांत निकल चुके थे। ऐसे में उन्होंने अपने घरवालों से कहा कि मैं दांत ना होने के कारण ज्यादा नहीं खा पाती तो मेरे हिस्से का खाना किसी जरूरतमंद को दे दिया करो। ताकि उसका पेट भर जाए।

अनूप कहते हैं कि पहले हमने मां की बात सुनी तो हम हैरान हो गए। हमने उन्हें कहा कि वह खाना ही कितना खाती हैं लेकिन उनकी मां अपनी बात पर अड़ी रहीं कि दूसरों को खाना खिलाओं। जिसके बाद अनूप ने इस पहल को शुरू करने का मन बना लिया। अनूप का लक्ष्य गरीबों का खाली पेट भरना नहीं है बल्कि वो उन्हें सेहतमंद खाना खिलाने चाहते हैं। जिसे ध्यान में ऱखकर वो शुद्ध घी में बनी खिचड़ी बनाकर दादी की रसोई के नाम से वितरित करते हैं। यह एक ऐसी रसोई है जहां रोज ताजा खाना बनता है और गुणवत्ता के मामले में किसी भी तरह का कोई समझौता नहीं किया जाता। दादी की रसोई में केवल खाना ही नहीं बल्कि गरीब लोगो को कपडे भी दिए जाते हैं वो भी सिर्फ 10 रुपये की कीमत में।

अनूप खन्ना अपने इस काम के बारे में बताते हुए कहते हैं कि आपके घर से कोई पुराना कपडा निकलता है तो आप उन्हें किसी गरीब को दे देते है और वह आदमी आपसे बिना कोई सवाल पूछे वो कपडा रख लेता है। लेकिन मैं यहाँ उन्हें चॉइस प्रोवाइड करता हूँ। इसके अलावा मैं एक ओर सामाजिक कार्य करता हूँ और वो है जेनेरिक दवाइया। जो की प्रधानमंत्री जन औषधि योजना के अंतर्गत आती है। जिसमे बाहर दूसरे मेडिकल स्टोर पर मिलने वाली महँगी दवाइया बहुत ही सस्ते दाम पर दी जाती है।

अनूप खन्ना सिर्फ दादी की रसोई के जरिए ही नहीं बल्कि अन्य माध्यमों से भी समाजिक कार्य करते हैं। साल 2017 में जब बिहार में बाढ़ आई तब उन्होंने प्रभावित लोगों की मदद करने का विचार किया। कुछ ही दिनों में करीब पांच लाख तक का चंदा इकट्ठा हो गया, इससे कई क्विंटल अनाज खरीदा गया ताकि इसे बिहार के लोगों तक पहुंचाया जा सके

लोगों के मन में ऐसे कामों को लेकर शंका पैदा होना लाजमी है। इसलिए अनूप काम का विडियो बनाकर उसे लोगों तक पहुंचाते हैं ताकि लोगों को किसी तरह की शंका ना रहें। इससे उन्हें भी पता चल जाता है कि उनके जरिए दी गई सामग्री और पैसों का गलत इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। अनूप ने अपनी नेक सोच औऱ हौसले के दम लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई है। अनूप खन्ना सभी लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं। उनकी सफलता की कहानी सभी को मोटिवेट करती है।

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