भगवान Shiv और श्रीराम के बीच अनोखा रिश्ता

भगवान Shiv और श्रीराम का रिश्ता अनोखा था। शिवजी रामकथा सुनने के लिए कैलाश से कुंभज ऋषि के आश्रम तक गए। वापस लौटते समय, जब उन्होंने श्रीराम का दर्शन किया, तो सच्चिदानंद कहते हुए पृथ्वी को स्पर्श किया। लेकिन माता सती को यह ठीक नहीं लगा। उनके मन में संदेह उत्पन्न हुआ कि क्या श्रीराम वास्तव में ईश्वर हैं?

Shiv जी ने समझाया कि श्रीराम साधारण मनुष्य नहीं हैं, बल्कि स्वयं भगवान हैं। लेकिन सती का संदेह खत्म नहीं हुआ। ठीक वैसे ही जैसे कुछ लोग बार-बार कंपनी की बैलेंस शीट, इनकम प्रूफ या बैंक स्टेटमेंट देखने की मांग करते हैं, भले ही उनके पास पर्याप्त प्रमाण हों।

Shiv जी ने सती को परीक्षा लेने की अनुमति दे दी। सती ने सीता का रूप धारण कर श्रीराम की परीक्षा लेने का निश्चय किया, यह देखने के लिए कि यदि वे साधारण मनुष्य हुए तो उन्हें पहचान नहीं पाएंगे। लेकिन श्रीराम ने तुरंत पहचान लिया और उनसे पूछा, "हे देवी, आप वन में अकेले क्यों भटक रही हैं? मेरे पिता शिवजी कहां हैं?"

सती की परीक्षा असफल रही, और उन्होंने शिवजी से झूठ बोल दिया कि उन्होंने कोई परीक्षा नहीं ली। यह दिखाता है कि संदेह एक गलती को छिपाने के लिए और भी बड़ी गलतियां करवाता है।

संशय के कारण शिवजी ने सती का त्याग किया

शिवजी ने ध्यान कर सारी सच्चाई जान ली और यह निश्चय किया कि इस जन्म में सती के साथ गृहस्थ जीवन संभव नहीं है। उन्होंने उन्हें त्याग दिया और कैलाश पर्वत लौटकर अखंड समाधि में चले गए।

सती को अपने किए का पछतावा हुआ, लेकिन संशय का परिणाम भयंकर था। वे अपने पिता दक्ष के यज्ञ में गईं, जहां भगवान शिव का अपमान हुआ। इस तिरस्कार को सहन न कर सती ने यज्ञ कुण्ड में कूदकर प्राण त्याग दिए।

शिवजी को जब इसका पता चला, तो उन्होंने क्रोध में वीरभद्र को उत्पन्न किया, जिसने दक्ष के यज्ञ को विध्वंस कर दिया।

संशय का विनाशकारी प्रभाव

यह कहानी हमें सिखाती है कि संदेह व्यक्ति के जीवन को भी समाप्त कर सकता है। नेटवर्क मार्केटिंग या किसी भी व्यवसाय में, यदि आपने निर्णय ले लिया है, तो उस पर विश्वास बनाए रखें। संशय न केवल आपके मनोबल को गिराता है, बल्कि आपकी सफलता के मार्ग को भी बाधित करता है।

सीख:

  • विश्वास बनाए रखें, संदेह से बचें।
  • सही निर्णय लेने के बाद उस पर दृढ़ रहें।
  • हर बात की बार-बार परीक्षा लेने से बचें।
  • यदि संशय को खत्म नहीं किया गया, तो यह आपकी सफलता के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा बन सकता है।

निष्कर्ष

नेटवर्क मार्केटिंग में सफलता के लिए आत्मविश्वास और धैर्य आवश्यक है। संदेह सिर्फ आपको पीछे धकेलता है, इसलिए यदि आप सही निर्णय ले चुके हैं, तो उस पर टिके रहें। अन्यथा, यह संदेह आपके पूरे व्यवसाय को बर्बाद कर सकता है।