कोरोना (Covid 19) ने पूरी दुनिया के साथ ही भारत की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) को भी काफी गहरा नुकसान पहुंचाया है. इस हानि से उभरने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना तीसरा बज़ट पेश करने वाली है.अब क्योंकि बज़ट का असर सीधे तौर देश के हर व्यक्ति की जेब पर पड़ता है, तो सबकी नज़रें वित्त मंत्री के द्वारा पेश किए जाने वाले बज़ट पर टिकी हैं. हर कोई जानना चाहता है कि आने वाला बज़ट उनके लिए कैसे ख़ास होगा. तो चलिए आपको बताते हैं कि आर्थिक सर्वे (Economic Survey) क्या कहता है और आने वाले बज़ट से किस तरह की उम्मीदें लगायी जा सकती हैं.
क्या कहता है आर्थिक सर्वे: सबसे पहले बात करते हैं आर्थिक सर्वे की जो बताता है कि आखिर आर्थिक सर्वे ऐसी कौन-सी जरूरतों को दर्शाता है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को गति दी जा सकती है.
फसल उत्पादन और डिस्ट्रीब्युशन: आर्थिक सर्वे में बताया गया है कि किसानों के फसल उत्पादन और उसके डिस्ट्रीब्युशन के लिए सही उपाय सोचने होंगे. जिससे की किसानों की इनकम में बढ़ोतरी की जा सके. उदाहरण के तौर पर ग्रामीण स्तर पर फसलों के उत्पादन से लेकर उसकी खरीद-फरोख्त में जरूरी नियमावली को तय करना होगा, क्योंकि यहीं से किसानों की इनकम में बढ़ोतरी की जा सकती है. अगर इन बिंदुओं पर बज़ट में ध्यान दिया जाता है तो किसानों की इनकम को दोगुना किया जा सकता है.
इंफ्रास्ट्रक्चर में गति: इकॉनामिक सर्वे एक और जरूरी बात पर जोर ड़ालता है और वह है इंफ्रास्ट्रक्चर में गति. सर्वे कहता है कि अर्थव्यवस्था और इंफ्रास्ट्रक्चर (Infrastructure in India Economy) आपस में जुड़े हुए हैं. इसलिए अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी तेजी से काम करना होगा. बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर में इनवेस्टमेंट को बढ़ाना होगा तभी अर्थव्यवस्था अपनी रफ्तार पकड़ेगी. इस सेक्टर में बिना निवेश को बढ़ाए इकॉनामी को आगे बढ़ावा थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है. लेकिन अब देखने वाली बात होगी कि एक फरवरी को पेश किए जाने वाले बज़ट में इस सेक्टर के लिए क्या खास होगा.
कैसा हो सकता है बज़ट: इस बार के बज़ट में कई बातें ऐसी हैं जिन पर ज्यादा ध्यान दिया जा सकता है. वित्त मंत्रालय ने पहले भी इस बात पर जोर दिया था कि इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए जरूरी काम किए जाएगे. अब आर्थिक सर्वे में भी इसी बात पर ज्यादा जोर दिया गया है.इसलिए ऐसी उम्मीद है कि इस सेक्टर के लिए बज़ट में शायद कुछ खास हो.
इसके अलावा टैक्स दरों में छूट की गुंजाइश भी आगामी बज़ट से लगायी जा रही है. कोरोना की वजह से बीमा सेक्टर में बदलावों के कारण बीमा कंपनियां पहले ही कुछ जरूरी बदलावों की मांग कर चुकी हैं अब देखने वाली बात होगी कि इस सेक्टर के लिए भी इस बार के बज़ट में क्या खास दिया जा सकता है.
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