केंद्र सरकार ने लिस्टेड होने के समय एक लाख करोड रुपये से अधिक बाजार पूंजीकरण रखने वाली कंपनियों के लिये लिस्टिंग नियमों को सरल बनाया है. ताजा संशोधन के अनुसार, ऐसी कंपनियां अब केवल अपने शेयरों का पांच प्रतिशत बाजार में बेच सकेंगी. दरअसल ऐसी चिंताएं थीं कि भविष्य में बहुत बड़े आकार वाले आईपीओ (प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गमों) में 10 प्रतिशत शेयरों की बिक्री पेशकश करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है. इसलिए नियमों में ढील देने का फैसला सरकार ने किया. फूड बिजनेस में कदम रखने के लिए FSSAI लाइसेंस है बेहद जरुरी, जानिए पूरा नियम
वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले आर्थिक मामलों के विभाग ने प्रतिभूति अनुबंध (विनियमन) नियमों में संशोधन किया है. इस कदम से भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के प्रस्तावित आईपीओ के दौरान सरकार को फायदा मिलेगा. इस तरह की इकाइयों को दो वर्षों में अपने सार्वजनिक शेयरधारिता को बढ़ाकर 10 प्रतिशत करना होगा और पांच वर्षों में इसे कम से कम 25 प्रतिशत तक बढ़ाना होगा.
कानूनी सेवा प्रदाता कंपनी साइरिल अमरचंद मंगलदास में पार्टनर और प्रमुख (पूंजी बाजार) यश अशर ने कहा कि लिस्टेड होने के समय एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा के बाजार पूंजीकरण वाली कंपनियां अपने आईपीओ को पांच प्रतिशत तक सीमित रख (10 प्रतिशत की तुलना में) सकेंगी और इससे उनको सुविधा होगी. यह ताजा संशोधन से संभव हो सकेगा. भारत में 180 दिन में लिस्ट हुए 10000 स्टार्टअप्स, कुल मान्यता प्राप्त स्टार्टअप की संख्या हुई 50 हजार
नियमों में संशोधन की अधिसूचना 18 जून को जारी की गयी थी. हालांकि, इस संशोधन से भारत में ज्यादातर निर्गमों पर कोई असर नहीं पड़ेगा. यह एक प्रगतिशील संशोधन है, जिसे इस बात को ध्यान में रखकर किया गया है कि भारत की कंपनियां पूर्व की तुलना में अब ज्यादा बड़ी हैं.
बीते महीने ही भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने स्टार्टअप्स कंपनियों को बाजार में शेयर सूचीबद्ध करने को प्रोत्साहित करने के किए नियमों में कुछ ढील दी थी. इसमें शेयर निर्गम से पहले की पूंजी को पास में बनाए रखने की अवधि कम किए जाने तथा कंपनी को इस बाजार मंच के पात्र निवेशकों को स्व-विवेक से 60 प्रतिशत तक शेयर आवंटन करने की छूट शामिल है. नए नियम पांच मई से लागू हो गए है.