कोरोना वायरस महामारी से भले ही भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा हो, लेकिन इस संकट काल में भारत में स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा मिला है. वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार, 3 जून 2021 तक उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार (डीपीआईआईटी) द्वारा 50 हजार स्टार्टअप को मान्यता दी गई है, जिनमें से 19,896 स्टार्टअप को 1 अप्रैल 2020 के बाद मान्यता मिली है. डीपीआईआईटी स्टार्टअप पहल के लिए नोडल विभाग के रूप में कार्य करता है. MSME Scheme For Startup Business: स्टार्टअप बिज़नेस में सरकार की इन चार एमएसएमई स्कीम का उठाया जा सकता है लाभ

स्टार्टअप इंडिया योजना के शुभारंभ के साथ, मान्यता प्राप्त स्टार्टअप का विस्तार अब 623 जिलों तक हो गया हैं. इस समय प्रत्येक राज्य और संघ राज्य क्षेत्र में कम से कम एक स्टार्टअप है. 30 राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों ने स्टार्टअप को समर्थन देने के लिए विशिष्ट स्टार्टअप नीतियों की घोषणा की है. महाराष्ट्र, कर्नाटक, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और गुजरात में स्टार्टअप्स की संख्या सबसे ज्यादा है.

उल्लेखनीय है कि स्टार्टअप इंडिया 16 जनवरी 2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई भारत सरकार की एक प्रमुख योजना है. इसका उद्देश्य स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा देना और भारत में इन्नोवेशन और उद्यमिता के लिए एक मजबूत और समावेशी पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है.

विशेष रूप से अहम बात यह है कि पिछले 10,000 स्टार्टअप को जोड़ने में केवल 180 दिन लगे. जबकि योजना जब शुरू हुई थी, उस वक्त 808 दिन में 10,000 स्टार्टअप जुड़ पाए थे. योजना के पहले वर्ष 2016-2017 में 743 स्टार्टअप्स को मान्यता दी गई थी. वहीं वर्ष 2020-2021 में अकेले 16,000 से अधिक स्टार्टअप्स को मान्यता प्राप्त हुई है जो कि स्टार्टअप की तेजी को दर्शाता है.

उद्यमियों के पास अब कानून, विनियमों, वित्तीय और इंफ्रास्ट्रक्चर सहयोग की श्रृंखला में लाभ प्राप्त करने के बेहतर विकल्प हैं, जिससे स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के विकास में तेजी आई है.

मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स ने रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिसमें प्रति स्टार्टअप औसतन 11 कर्मचारियों के साथ 48,093 स्टार्टअप्स द्वारा 5,49,842 नौकरियों के अवसर पैदा करने की उन्होंने जानकारी दी है. अकेले वर्ष 2020-2021 की अवधि में मान्यता प्राप्त स्टार्टअप द्वारा लगभग 1.7 लाख नौकरियां पैदा की गई हैं.

सबसे ज्यादा 'खाद्य प्रसंस्करण', 'उत्पाद विकास', 'एप्लीकेशन डेवलपमेंट', 'आईटी परामर्श' और 'व्यावसायिक सहायता सेवाएं' क्षेत्र में स्टार्टअप का पंजीकरण हुआ है. अहम बात यह है कि 45% स्टार्टअप ऐसे हैं जिनके नेतृत्व टीम में एक महिला उद्यमी है. यह प्रवृति ज्यादा से ज्यादा महिला उद्यमियों को अपने आइडिया को स्टार्टअप में परविर्तित करने के लिए प्रेरित करेगी.

डीपीआईआईटी के जरिए स्टार्टअप इंडिया ने हमारी स्टार्टअप अर्थव्यवस्था के लिए पहचाने गए प्रमुख क्षेत्रों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. 10,000 करोड़ रुपये के फंड ऑफ फंड्स स्कीम और 945 करोड़ रुपये के स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (एसआईएसएफएस) के जरिए स्टार्टअप्स के लिए पूंजी जुटाने के अवसर बढ़े हैं.

डीपीआईआईटी द्वारा तैयार की गई और उसके द्वारा क्रियान्वित कई कार्यक्रम जैसे राष्ट्रीय स्टार्टअप पुरस्कार, राज्य रैंकिंग फ्रेमवर्क, वैश्विक वीसी शिखर सम्मेलन, प्रारंभ: स्टार्टअप इंडिया अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन ने स्टार्टअप के पारिस्थितिकी तंत्र में कई भागीदारों के साथ जुड़ने, उनके योगदान के लिए मान्यता देने और उस कार्य को प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान किया है.

डीपीआईआईटी पारिस्थितिकी तंत्र में विकास के अवसरों और चुनौतियों का समाधान करने के लिए हितधारकों के साथ जुड़ना जारी रखेगा, जिससे भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को ऊंचाइयों तक पहुंचने में मदद मिलेगी.