Van Dhan Yojana/Van Dhan Scheme: वन धन योजना जनजातीय कार्य मंत्रालय के द ट्राइबल कोऑपरेटिव मार्केटिंग डवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (ट्राइफेड) की एक पहल है. वनधन योजना से ग्रामीण महिलाओं के जीवन में बड़ा बदलाव आ रहा है. महिलाएं स्थानीय उत्पादों की बिक्री कर मोटी कमाई कर रहीं है. जबकि जनजातीय महिलाओं की भी नेतृत्वकारी भूमिका नजर आ रही है. वन धन विकास योजना वन आधारित जनजातियों के लिए स्थायी आजीविका को सुगम बनाने के लिए वन धन केंद्रों की स्थापना करके लघु वन उत्पादों के मूल्य वर्धन, ब्रांडिंग और मार्केटिंग के लिए एक कार्यक्रम है. जनजातीय आबादीके बीच रोजगार और आय सृजन बढ़ाने में योगदान देने वाली एक प्रमुख योजना वनधन जनजातीय स्टार्ट-अप कार्यक्रम है, जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के माध्यम से लघु वनोपज (एमएफपी) के मार्केटिंग के लिए तंत्र और लघु वनोपज (एमएफपी) योजना के लिए मूल्य श्रृंखला के विकास का एक घटक है. Business Motivation: उद्यमशीलता की इस अनोखी दास्तान से आपको मिलेगी आगे बढ़ने की प्रेरणा
यह सरकारी स्कीम जनजातीय लोगों के लिए आजीविका उत्पादन को लक्षित करती है और उन्हें उद्यमी बनने के लिए प्रेरित करती है. इस योजना के पीछे का मकसद जनजातीय समुदाय के स्वामित्व वाली वन धन विकास केंद्रों की आदिवासी बहुल जिलों में स्थापना करना है. आदिवासी लोगों की आजीविका और सशक्तीकरण के लिए शीर्ष राष्ट्रीय संगठन के रूप में ट्राइफेड योजना के कार्यान्वयन के लिए नोडल एजेंसी है. यह योजना जनजातीय लोगों को कुछ बुनियादी सहायता प्रदान करने में एक शानदार सफलता हासिल कर रही है और उनके जीवन को बेहतर बनाने में मदद कर रही है. 1,126 वंदना केंद्र देश भर में जनजातीय स्टार्ट-अप के रूप में स्थापित किए गए हैं जिससे 3.6 लाख से अधिक लोग लाभ ले रहे हैं.
अठारह महीने से भी कम समय में, 37259 वनधन विकास केंद्रों (वीडीवीके) को 2224 वनधन विकास केंद्र समूहों (वीडीवीकेसी) में शामिल किया गया. प्रत्येक समूह में 333 वनवासी हैं. ट्राइफेड अब तक इतने समूहों को स्वीकृति दे चुका है. एक वनधन विकास केंद्र में आमतौर से 20 जनजातीय सदस्य होते हैं. ऐसे 15 वनधन विकास केंद्रों को मिलाकर एक वनधन विकास केंद्र समूह बनता है.
वनधन विकास केंद्र समूह वनधन केंद्र विकास केंद्रों को आर्थिक, आजीविका सम्बंधी और बाजार से जुड़ने में मदद करेगा. साथ ही 23 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के 6.67 लाख जंगलों के उत्पाद जमा करने वाली जनजातियों को उद्यम अवसर भी प्रदान करेगा. ट्राइफेड के अनुसार, अब तक वनधन स्टार्ट-अप कार्यक्रमों से 50 लाख जनजाति के लोग लाभान्वित हुये हैं.
उम्मीद की जा रही है कि वनधन योजना पहल के बल पर आने वाले दिनों में कामयाबी की ज्यादा से ज्यादा दास्तानें सुनने को मिलेंगी. इससे आत्मनिर्भर भारत की भावना को ताकत मिलेगी तथा जनजातीय लोगों की आजीविका, आय और जीवन में सुधार आयेगा.