साल 2015-16 की एशिया रिपोर्ट पर एक नजर डालें, तो पायेंगे कि भारत ने मात्र 1423 आइटम पेटेंट करवा पाये जबकि. कोरिया ने 14600, चाइना ने 29800 और जापान ने 44200 से ज्यादा पेटेंट करवा कर एशिया के अंदर स्टार्टअप में सबसे आगे निकला है. फोर्ब ने मोस्ट इनोगेटिव लिस्ट ऑफ ए कंपनी की जो सूची तैयार की है, उसके अंदर 25 चोटी के कॉरपोरेट्स जिसके अंदर सबसे ज्यादा इनोवेशन होता है, वहां इंडिया की 25 में से एकमात्र कंपनी एशियन पेंट को जगह मिली है. अगर आप अपने बिजनेस को बड़ा करना चाहते हैं तो ये 5 प्वाइंट आपके लिए मील का पत्थर साबित होंगे.

1- मिसिंग इनोवेशन अराउंड कस्टमर्स मनी मेकिंग (Missing Innovation Around Customer's Money Making Model)

प्रत्येक सफल व्यापारी सर्वप्रथम अपनी मनी मेकिंग मॉडल को कैलकुलेट करते हैं, ये नहीं देखते कि उनके कस्टमर की मनी मेकिंग मॉडल क्या होने वाला है. कस्टमर को वास्तव में लाभ कहां से मिलेगा. उसकी सफलता कैसे होगी, उसकी प्रॉपिटीबेल्टी कैसी होगी, उसकी लिक्वरिटी, उसकी ग्रोथ, उसकी प्रोडक्टिविटी, उसका ग्रॉस मार्जन, उसकी रेवेन्यू, इन्वेंट्री टर्न ओवर, कैश फ्लो, ब्रांड इक्विटी, उसका रेटेंशन और उसकी वेलॉसिटी स्पीड ऑफ ट्रांजेक्शन किस प्रकार अपनी मनी को लेकर ग्रो करते हैं. एम्पलॉयी अपनी नौकरी से क्यों रहते हैं नाखुश, जानें एचआर डिपार्टमेंट किस तरह करते हैं एम्पलॉयी की परेशानियों को दूर.

किस प्रकार कस्टमर का मनी मेकिंग मॉडल और रेकरिंग रेवेन्यू मॉडल ग्रो करता है, जिस दिन उसके दिमाग में यह बात समझ में आ जायेगी, कि कस्टमर की आवश्यकता ही उसकी सफलता साबित हो सकती है.

अगर हम कस्टमर की जरूरत को समझ भी जायें तो भी इंडियन स्टार्टअप ऐसे हैं, जो कॉपी करने में एक्सपर्ट हैं. ऊबर आया तो उसके सामने ओला खड़ा कर दिया. एयर बीएनबी आया तो उसके समक्ष ओयो ले आये, एमेजॉन के खिलाफ फ्लिप कार्ड, तैयार कर दिया.

समस्या यह है कि अगर कोई व्यापारी कस्टमर की जरूरत को समझने की कोशिश कर भी रहा होगा तो वह भी अमेरिकन स्टार्टअप को इंडिया में सीधा-सीधा कॉपी करता है. इसीलिए अभी तक भारत एक भी ऐसा प्रोडक्ट तैयार नहीं कर सका है, जिसकी पूरी दुनिया में तूती बोलती हो.

2-निगेटिव कैश फ्लो निगेटिव वर्किंग कैपिटल (Negative Cash Flow Nigative Working Capital)

यह एक बहुत बड़ा कारण होता है, जिसकी वजह से स्टार्टअप में सूखे जैसी स्थिति होती है. प्रॉफिट के साथ-साथ कैश भी महत्वपूर्ण है. दोनों अलग-अलग चीजें हैं. आपके बुक्स ऑफ अकाउंट में हो सकता है प्रॉफिट आ रहा हो, लेकिन आपकी कैश की पेमेंट निरंतर डिले होती जा रही है.

कस्टमर से मार्केट से पैसा रिकवरी नहीं हो रही है, या रिकवरी बहुत स्लो हो गई है, इसके कहते हैं निगेटिव कैश फ्लो. हो सकता है बुक्स ऑफ एकाउंट में, आपके इनवायसेस में मार्जिन हो, लेकिन किसी भी व्यवसाय में कैश रनिंग बिजनेस के लिए वर्किंग कैपिटल चाहिए होता है.

इसके बाद आप बार बार फंडिंग व एजेंसियों की चक्कर काटने लगते हैं. अकसर फंडिंग एजेंसी आपको पहली बार फंड देने के बाद अगला फंड देना बंद कर देता है.

कुछ इंडियन स्टार्टअप जो पिछले दिनों बंद हुए, उनमें प्रमुख हैं, आस्क मी डॉट कॉम, आटो राजा, टैलेंट पैड, एलेंट फैसियोनारा, फ्रैंकली मी, इत्यादि. इसलिए पॉजिटिव कैश फ्लो बनाकर रखिये. जो माल बेच रहे हैं, कोशिश करिये कि पेमेंट एडवांस में या कैश में लें.

3- एक्सपेंसन विद निगेटिव मारजिन (Expansion with Nigative Margin)

पिछला मुद्दा कैश ऑन फ्लो के बारे में था. यहां मुद्दा मार्जिन का है. अगर ग्रोथ मार्जिन है ही नहीं, बहुत से स्टार्टअप ने सोचना शुरु कर दिया है कि मार्केट पर अक्वायर करो, लास्ट लीजिंग स्ट्रेटजी पकड़ो, पूरे मार्केट को एक्वायर करने के लिए सस्ते में माल बेचना शुरु कर दें, यह सोच कर कि बाद में बाहर से फंड लेकर इसे बढ़ा लेंगे.

ध्यान रखिये अगर शुरु से आप स्पष्ट नहीं हैं कि आपका प्रॉफिट कहां से आयेगा, निश्चित रूप से आप मरेंगे. ध्यान दीजिये कि पहले से ही प्लान बनाकर चलिये कि कब और कैसे अपने मार्जिन को कवर करना है. प्रोडक्ट को सस्ते में बेचकर मार्केट पर कब्जा करने की कोशिश करने से पहले खुद को प्रिपेयर करके चलें, वरना पूरी जिंदगी रिपेयर करते रह जायेंगे.

4- लैक ऑफ टैलेंटेड मैन पॉवर (Lack of Talented Manpower)

अकबर की टीम विदेश से भारत आई थी, और अपने नवरत्नों की मदद से पूरे देश पर कब्जा कर लिया. क्या आपके पास टैलेंट, हाई प्रोफेशन हाई परफॉर्मेस, हाई स्किल, हाई विल है? क्या आपने उच्च क्षमतावान लोगों की मैन पॉवर तैयार की है? क्या आपने उनकी कंपटीशन मैपिंग, कॉम्पिटेंसी एसेस्मेंट, देख रहे हैं.

आपके पास ऐसे लोग हैं जो आपके विजन को एक्जीक्यूट कर जायें? क्या आपके पास ऐसे लोग हैं, जो आपके आइडियेशन को एक्जीक्यूशन में कनवर्ट कर दें. किसी भी व्यवसाय को विस्तार देने के लिए ये बहुत महत्वपूर्ण चीज हैं.

सर्वप्रथम उनके एज को पहचानिये, और उनके एज को एनर्जाइज करके उन्हें इंगेज कर दीजिये. अगर बढ़िया मैन पॉवर नहीं है तो सबकुछ अच्छा होने के बाद भी आप अकेले कुछ नहीं कर सकते.

5-स्केलेबिलिटी विद रिकरिंग रेवेन्यू (Scalability with recurring Revenue)

स्केलेबिलिटी और रिकरिंग रेवेन्यू दो अलग-अलग चीजें हैं. स्केलेबिलिटी का आशय बिजनेस में बड़ा होने के मॉडल क्या आप ढूढ सकें? क्या आप समझ सके कि आपका बिजनेस कहां से बड़ा होगा? कई स्टार्टअप बहुत फायदेमंद होते हैं. कई स्टार्टअप से मार्जिन अच्छा होता है, कई स्टार्टअप अपने रिजन के अंदर अच्छा काम कर जाते हैं. लेकिन किसी व्यवसाय को बड़ा कैसे किया जाये कि पूरी दुनिया में फैल सके.

दूसरी चीज बड़ा होने के चक्कर में जो आपके कस्टमर हैं क्या वे आपके रेग्युलर कस्टमर बन पा रहे हैं? क्या आप अपने कस्टमर को रिटेन कर पा रहे हैं? क्या आपके कस्टमर आपको रिकरिंग रेवेन्यू दे पा रहे हैं? यहां बहुत जरूरी है कि आपका बिजनेस बड़ा होना चाहिए, दूसरा बिजनेस में कुछ सस्टेन रिटेन कस्टमर के लिए रिकरिंग रेवेन्यू यानी रेग्युलर इनकम वाले मेथेड को तैयार करें.

अगर आप ऐसा कर सकें तो नये कस्टमर के पीछे भागने की जरूरत नहीं रहेगी. हांलाकि अधिकांश नये व्यापारी ऐसा ही करते हैं कि वे नये-नये कस्टमर के पीछे भागते रहते हैं, पुराने वाले पीछे छूटते रहते हैं. ऐसा करने से बचें.