लोकप्रिय मोटिवेशनल स्पीकर, लीडरशिप कंसल्टेंट और बिजनेस कोच डॉ विवेक बिंद्रा आज 1500 से अधिक कॉरपोरेट्स के बिजनेस सलाहकार हैं, जो विभिन्न हाई-प्रोफाइल व्यवसायियों एवं शीर्षस्थ व्यावसायिक संस्थाओं के पथदर्शी भी हैं. डॉ बिंद्रा देश के शीर्ष सीईओ तक को अनमोल सीख दे चुके हैं. अब वें आईबीसी (इंडिपेंडेंट बिजनेस कंसल्टेंट) से जोड़कर लोगों को सोलोप्रेन्योर बनने के फंडे बता रहे हैं. Business Success Tips: बिजनेस में सफलता चाहिए, तो जरूर फॉलो करें ये टिप्स

कहते हैं, ‘जहां तक रास्ता दिखता है, वहां तक चलो, उसके आगे का रास्ता वहां पहुंचते ही दिख जायेगा.’ यहां बात करेंगे सोलोप्रेन्योर (Solopreneur) की. सोलोप्रेन्योर का आशय जो अकेले दम पर बिजनेस करता है. डॉ विवेक बिंद्रा बताते हैं, कोरोना काल में जब सबका व्यापार और व्यवहार डिप्रेशन में जा चुका था, तब हमारे आईबीसी (Independent Business Consultant) लाखों रुपये कमा रहे थे. इसका सीधा फंडा है, ‘अपनी मर्जी का समय, अपनी मर्जी की जगह, अपनी मर्जी का काम, अपनी मर्जी का दाम’, बहुत सिंपल तरीका है, जो मुझे भाता है (Excitement), जो मुझे आता है (Skill) जो बाजार चाहता है (Consumer Demand) जब इसका कॉम्बीनेशन बन जाता है तो पैसा अपने आप जेब में आता है. इसे फ्रीलांसिंग (Independent Business Consultant) कहते हैं. इसके तहत लोग एक लाख से पांच लाख रुपये तक कमा सकते हैं.

कोरोना में अकेले ऐसे लाखों कमाएं

कुछ दिनों में ऐसा कमाल हुआ भी है. भुवनेश्वर के अजय कुमार त्रिपाठी ने 23,79000 रुपये, अहमदाबाद के केवल लखलानी ने 22,50,000 रुपये, नागपुर के शुभम गौड़ 21 लाख 58000 रूपये भोपाल के अश्विनी दवे ने 21,15,000 रूपये तो दिल्ली के राहुल कुमार ने 17,31000 का बिजनेस कर लोगों को चौंकाया है. ये लोग अपने दम पर यहां तक पहुंचे. कहते हैं जिसके अंदर हौसला होता है, उनके पीछे काफिला होता है. इनमें किसी की केमिस्ट तो किसी की नाई की दुकान थी, किसी का ट्रांसपोर्ट का काम तो किसी की ट्रैवल एजेंसी का कारोबार था. कोरोना के कारण इनका बिजनेस ठप्प पड़ चुका था. इन्होंने आईबीसी (Independent Business Consultant) से मदद ली. इनकी देखा-देखी और बहुत से लोग आईबीसी से जुड़े और सभी अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं.

ऑनलाइन एजुकेशन की बहार

कुछ सालों में ऑनलाइन एजुकेशन का ट्रेंड बदल चुका है. एक रिपोर्ट के अनुसार, यह मार्केट बड़ी तेजी से आगे बढ़ रहा है. कुछ समय पहले तक इंडिया में करीब एक करोड़ ऑन लाइन पेड यूजर्स थे, लेकिन मार्केट कैब ढाई सौ मिलियन से दो बिलियन डॉलर हो चुकी है. इसका फायदा IBC को हो रहा है. ऑन लाइन एजुकेशन की जो ग्रोथ 2024 में होनी थी, वह 2020 में ही हो गई. इंडिया दुनिया में आज तीसरी सबसे बड़ी मार्केट है. एजुकेशन में एनालिटिक्स (Analytics), कोडिंग (Coding) एवं लर्निंग (Learning) की मार्केट भी पिछले दिनों कई गुना बढ़ी है. इसी दौरान भाषा (Language), लर्निंग (Learning), और दूसरे स्किल्स (Skills) की भी मार्केट खूब बढ़ी. इस समय बड़ा बिजनेस डॉट कॉम आंत्रप्रेन्योरशिप का प्रोग्राम लेकर आया. इसे अच्छी ग्रोथ मिली. आज मार्केट में यह अकेला खड़ा है. कुछ लोगों ने क़ॉपी करने की कोशिश की, लेकिन असफल रहे.

समावेशी शिक्षा (Inclusive Learning)

समावेशी शिक्षा (Inclusive Learning) का आशय जहां सभी एक साथ पढ़ते हों, जो सस्ता होता है, यानी आज भागलपुर को बोस्टन बनाना आसान हो गया है. पीलीभीत को पेरिस बनाने की कल्पना की जा सकती है. माइक्रो लर्निंग (Micro Learning Tools) की पॉसिबिलिटी आ गयी है, यानी छोटी लर्निंग 10 मिनट, 5 मिनट या 15 मिनट का वीडियो. इसमें गेमीफिकेशन (Gamification) भी आ गया है. गेम के बहाने स्कोर मिलता है, प्वाइंट्स मिलते हैं, तो मजा आता है. वीडियो बेस्ड होने के कारण लोगों को समझ में आता है. क्लास रूम में या किताब से पढ़ना मुश्किल होता है. ये मूल रूप से टाइम बेस लर्निंग (Time Based Learning) है. आप एक घंटे या एक दिन में सीख सकते हैं. इसमें क्राउड बेस्ड टीचिंग (Crown Based Teaching) होती है. यानी एक टीचर कई लोगों को सिखा पाता है. कई बार अर्निंग से संबंधित लर्निंग (Learn to Earn) होती है. जैसे आईबीसी आते हैं और ट्रेनिंग लेते हैं. इसमें कंटेस्ट टू लर्निंग (Contextualized Learning) बहुत है.

क्या है इंडिपेंडेंट बिजनेस कंसल्टेंट (IBC)?

इंडिपेंडेंट बिजनेस कंसल्टेंट (Independent Business Consultant), पूरी तरह स्वतंत्र ऑर्गेनाइजेशन है, अपनी मर्जी और अपने समय से काम करता है. आईबीसी से जुड़ने वालों के साथ बड़ा बिजनेस से लीगल कॉन्ट्रेक्ट (Legal Contract) होते हैं. उसके बाद उसे ऑथोराइज्ड रिप्रेजेंटेटिव (Authorised Representative) और एक ब्रांच (Branch) दिया जाता है. अगर ब्रांच नहीं हुई तो हेड ऑफिस का वर्चुअल ब्रांच मिलता हैं. साथ ही एक रीजनल आईबीसी मैनेजर भी दिया जाता है. इससे आईबीसी के सेल्स के सारे इश्यू सॉल्व हो जाते है.

आईबीसी ज्वाइन करने के बाद पहले दिन ट्रेनिंग में ऑर्गेनाइजेशन स्ट्रक्चर समझाया जाता है. बड़ा बिजनेस का विजन एवं मिशन के साथ सेल्स एवं प्रोडक्ट समझाया जाता है. इसमें प्रॉब्लम साल्विंग कोर्सेस हैं, लाइफ टाइम मेंबरशिप है. आईबीसी का क्या पोटेंशियल है, क्या रूल है सब बताये जाते है. इसके बाद सेल्स की ट्रेनिंग दी जायेगी, कि आपको लीड कैसे जनरेट करनी है, आपको डिजिटल मार्केटिंग कैसे करना है, रेफरेंस सेल कैसे करना है, प्रिंट मार्केटिंग कैसे करना है, प्रोबिंग कैसे करना है, उसकी नीड एवं गोल सेटिंग कैसे करना है, सब कुछ बताया जाता है. आईबीसी की प्लानिंग टेक्निक क्या होगी, करना है, ट्रेनर आईबीसी को पूरा शोकेस करके दिखाएगा. टेक्नालॉजी की जानकारी दी जाती है. ट्रेनिंग का प्लेटफार्म चाहिए, सीआरएम चाहिए, टिकटिंग सिस्टम चाहिए. यहां हर प्रॉब्लम पर आईबीसी को रीजनल आईबीसी मैनेजर या ऑन बोर्डिंग मैनेजर तुरंत फोन करके सपोर्ट करता है.


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