जलवायु परिवर्तन अब भविष्य की नहीं, वर्तमान की चुनौती बन चुका है। लेकिन भारत के युवाओं ने इस चुनौती को अवसर में बदल दिया है। 2025 में, ग्रीन स्टार्टअप्स केवल पर्यावरण बचाने का जरिया नहीं, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था का नया स्तंभ बन गए हैं। ये स्टार्टअप्स मुनाफ़े और मिशन को एक साथ लेकर चल रहे हैं — जहाँ हर उत्पाद या सेवा धरती के प्रति एक सकारात्मक बदलाव का संकेत है।

Green Startup का अर्थ क्या है?

  • Green Startup वे व्यवसाय हैं जो पर्यावरण के अनुकूल तकनीकों, संसाधनों और तरीकों से काम करते हैं। ये ऐसे समाधान प्रस्तुत करते हैं जो प्रदूषण को कम करें, संसाधनों की बर्बादी रोकें, और पुनः उपयोग या नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा दें।
  • जैसे कि कुछ स्टार्टअप्स इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग सॉल्यूशंस पर काम कर रहे हैं, तो कुछ जैविक खेती में टेक्नोलॉजी ला रहे हैं।
  • वहीं कुछ कंपनियाँ बायोडिग्रेडेबल पैकेजिंग, सोलर एनर्जी प्रोडक्ट्स, और वेस्ट मैनेजमेंट के ज़रिए पर्यावरण की रक्षा कर रही हैं।

 बढ़ती लोकप्रियता

ऊपर दिए गए ग्राफ से साफ़ देखा जा सकता है कि 2020 में जहाँ ग्रीन स्टार्टअप्स की संख्या केवल 800 थी, वहीं 2025तक यह आंकड़ा 6800 के पार पहुँच चुका है।

यानी पिछले पाँच वर्षों में लगभग आठ गुना वृद्धि हुई है। यह केवल आंकड़ों की बात नहीं, यह एक पीढ़ी के सोच में आए परिवर्तन का संकेत है — एक ऐसी सोच जो धरती को बचाते हुए आर्थिक अवसर भी पैदा कर रही है।

क्यों Green Startup को मिल रहा है समर्थन?

  • भारत सरकार ने कई योजनाएं और नीतियाँ शुरू की हैं जो ग्रीन इनोवेशन को बढ़ावा देती हैं।
  • इनमें FAME II जैसे इलेक्ट्रिक वाहन प्रोत्साहन कार्यक्रम, स्टार्टअप इंडिया ग्रीन फंड, और उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) जैसी योजनाएं शामिल हैं।
  • इसके अलावा GIFT City जैसे इनोवेशन हब्स को क्लाइमेट फंडिंग सेंटर के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिससे ग्रीन स्टार्टअप्स को फाइनेंस और नेटवर्किंग दोनों में सहायता मिल रही है।
  • इन्वेस्टर्स का भी ग्रीन सेक्टर की ओर झुकाव बढ़ा है। पारंपरिक मुनाफ़ा आधारित निवेश के साथ अब "Planet + Profit" यानी पर्यावरण और लाभ दोनों को ध्यान में रखते हुए निवेश किया जा रहा है।
  • Impact Funds, ESG-आधारित वेंचर कैपिटल्स और Carbon Credit आधारित निवेश विकल्पों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

वहीं दूसरी तरफ उपभोक्ताओं के व्यवहार में भी बड़ा बदलाव देखने को मिला है। 2025 में ग्राहक अधिक जागरूक हैं और वे Zero Waste, Eco-Friendly और Sustainable प्रोडक्ट्स को प्राथमिकता दे रहे हैं। इससे ग्रीन स्टार्टअप्स को न केवल बाजार मिल रहा है, बल्कि एक वफादार उपभोक्ता वर्ग भी तैयार हो रहा है।

कौन-कौन से सेक्टर में हैं ज़बरदस्त अवसर?

  • आज ग्रीन स्टार्टअप्स सिर्फ एक या दो क्षेत्रों तक सीमित नहीं हैं। इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर, जैसे कि छोटे शहरों में बैटरी स्वैपिंग नेटवर्क, एक बड़ा अवसर बन चुका है।
  • सस्टेनेबल फैशन की दिशा में भी रीसायकल्ड कपड़े और plant-based फैब्रिक की मांग तेजी से बढ़ रही है।
  • इसके अलावा ग्रीन कंस्ट्रक्शन में Fly Ash Bricks और Solar Tiles जैसी टेक्नोलॉजी का चलन बढ़ा है।
  • ऑर्गेनिक फार्मिंग, स्मार्ट एग्रीटेक, बायोडिग्रेडेबल प्रोडक्ट्स और ग्रीन डिजाइन सर्विसेज भी तेजी से उभरते क्षेत्र हैं।
  • इन स्टार्टअप्स की खासियत है कि ये सिर्फ पर्यावरण की रक्षा नहीं कर रहे, बल्कि रोजगार, स्केलेबिलिटी और निर्यात जैसे अवसर भी बना रहे हैं।

यह केवल पर्यावरण की नहीं, बल्कि भारत की नई अर्थव्यवस्था की भी क्रांति है

  • ग्रीन स्टार्टअप्स ने यह सिद्ध किया है कि एक देश आर्थिक रूप से आगे बढ़ सकता है और साथ ही पर्यावरण की रक्षा भी कर सकता है।
  • भारत में ग्रीन इनोवेशन अब रोज़गार सृजन, मेक इन इंडिया, लोकल से ग्लोबल जैसे अभियानों का हिस्सा बन चुका है।
  • अगर आपका आइडिया धरती को बचा सकता है, तो उसे ‘Bada Business’ क्यों न बनाएं?

जब सरकार, निवेशक और उपभोक्ता — तीनों ग्रीन इनोवेशन को स्वीकार कर चुके हैं, तो फिर आपके पास अगर कोई पर्यावरण हितैषी बिज़नेस आइडिया है, तो उसे ठोस योजना में बदलने का समय आ गया है।

Bada Business आपको देगा वह हर सपोर्ट जिसकी एक ग्रीन एंटरप्रेन्योर को ज़रूरत होती है। यह प्लेटफ़ॉर्म न केवल गाइडेंस देता है, बल्कि स्टार्टअप की शुरुआती योजना से लेकर स्केलेबल बिज़नेस मॉडल और IPO तक की पूरी जर्नी में हैंडहोल्डिंग सपोर्ट करता है।

तो आइए, 2025 में सिर्फ पर्यावरण की रक्षा का प्रण न लें, बल्कि एक ऐसा ‘Bada Business’ बनाएं जो धरती की सेवा के साथ-साथ भारत की अर्थव्यवस्था को भी हरा-भरा बनाए।