बिना मार्गदर्शन के जीवन ही नहीं किसी व्यापार को भी सही ढंग से नहीं चलाया जा सकता है. जिस तरह से जीवन में संयम, व्यवस्था, सही-गलत का ज्ञान होना बेहद जरूरी है, ठीक उसी तरह से व्यापार को अच्छी तरह से चलाने और एक मुकाम पर पहुँचाने के लिए अच्छे मार्गदर्शन का होना बेहद जरूरी है. दोनों ही परिदृश्य के लिए एक ग्रंथ सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है, जिसे अगर पढ़ लिया जाए तो चाहे जीवन की परेशानी हो या फिर व्यापार की समस्या हो, दोनों को ही बेहद सरलता के साथ दूर किया जा सकता है. बात की जा रही है श्रीमद्भगवतगीता (Bhagavad Gita) की, जो किसी भी व्यापारी का मार्गदर्शन कर सकती है. चलिए आज हम आपको बताते हैं कि भगवतगीता किस तरह से एक व्यापारी के लिए एक बेहतरीन मेंटर की तरह काम करती है और आप भगवतगीता की मदद से कैसे अपने बिज़नेस को ग्रोथ (How to Grow Your Business) दिला सकते हैं.
बस यह बड़ा गुण सीख लो जिंदगी आसान लगेगी (Listen and Understand very Carefully & then See the Magic)
श्रीमद्भगवतगीता का पहला अध्याय ही जीवन की बड़ी सीख दे जाता है. गीता के 18 अध्यायों में से पहले अध्याय में ही अर्जुन और भगवान श्री कृष्ण के बीच का वार्तालाप बड़ी लर्निंग देने का काम करता है. पहले अध्याय में ही जब अर्जुन भगवान कृष्ण को अपनी व्यथा सुनाते हैं तो भगवान कृष्ण बड़े धैर्य के साथ अर्जुन की व्यथा को सुनते हैं. अर्जुन बारी-बारी अपनी बात कहते हैं और कृष्ण संयम के साथ उसे सुनते हैं. अर्जुन के बिना रोक-टोक के कही जाने वाली सभी बातों से ही अर्जुन कनेक्ट कर पाते हैं. इसी तरह बिज़नेस में भी कनेक्ट यानि कनेक्शन बेहद जरूरी है. आपको अपनी टार्गेट ऑडियंस, क्लाइंट, सेल्स टीम, इम्पलॉयी के साथ कनेक्ट रहना होगा. जब आप उनके साथ कनेक्ट रहते हैं, उनकी सभी परेशानियों और समस्याओं को धैर्य के साथ सुनते और समझते हैं तो ही आप उन परेशानियाँ का एक बेहतरीन समाधान निकाल पाते हैं. अपने बिज़नेस आइडियाज़ (Business Ideas) पर आप तभी अच्छी तरह से काम कर पाते हैं जब आपमें सुनने और समझने का गुण शामिल होता है. आपका यही गुण आपको एक बेहतर व्यवसायी बनाने की दिशा में सबसे ज्यादा काम आता है.
क्रोध पर नियंत्रण ही बनाता है बेहतर निर्णायक (Control on Your Anger and Be a Good Decision Maker)
कई बार गुस्से में व्यक्ति उन निर्णयों को ले लेता है जो उसे नहीं लेने चाहिए. जो उस व्यक्ति के पूरे जीवन को प्रभावित कर सकते हैं. ठीक उसी तरह से व्यापारिक जीवन में अगर आप बिना किसी सोच-विचार के गुस्से में कोई निर्णय लेते हैं तो वह आपके बिज़नेस के भविष्य को प्रभावित करता है और आपके एक अच्छे निर्णायक नहीं होने का सबूत भी होता है. भगवतगीता के एक अध्याय में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को क्रोध में किसी भी तरह का निर्णय लेने से बचने की सलाह देते हैं. क्रोध में कई बार ऐसे निर्णय ले लिये जाते हैं, जिन्हें न तो सुधारा जा सकता है और न ही वापस लिया जा सकता है. गुस्सा आपकी समझ, धैर्य और शांति का हरण कर लेता है, इसलिए गुस्से से बचना चाहिए और किसी भी तरह के निर्णय गुस्से में नहीं लेने चाहिए.
ध्यान क्रेंदित करने की कला बेहतरीन व्यक्तित्व का निर्माण करती है (Focus with Lead You in the Right Direction)
श्रीमद्भवतगीता के अध्याय दो में जब भगवान श्री कृष्ण अर्जुन के सभी सवालों को का उत्तर देते हैं और उसके मन में उत्पन्न हुई दुविधाओं को दूर करते हैं तो श्री कृष्ण अर्जुन को फोकस का महत्व समझाते हैं. भगवान कृष्ण कहते हैं कि सही मार्ग को पहचान कर उस पर ध्यान क्रेंद्रित करके अगर चला जाए तो अपने लक्ष्य को जरूर पाया जा सकता है. हर लक्ष्य की प्राप्ति के लिए फोकस होना सबसे ज्यादा जरूरी है. यहाँ जरूरी यह भी है कि आपने दिशा का चयन भी सही किया हो. व्यवसाय में भी यही बात पूरी तरह से लागू होती है. आपको पहले सही बिज़नेस योजना का चुनाव करना होगा और पूरी आत्मशक्ति और फोकस के साथ ही उस पर काम भी करना होगा. फोकस के साथ किया गया काम हमेशा ही बेहतर परिणाम देता है. यहाँ श्री कृष्ण एक और महत्वपूर्ण बात का जिक्र करते हुए कहते हैं कि सफलता उनही लोगों को मिलती है, जिनका केवल एक ही दिशा में फोकस होता है. कई दिशाओं की ओर भागते व्यक्ति से सफलता कोसो दूर रहती है.
श्रीमद्भतगीता में शामिल सभी महत्वपूर्ण बातों को अपने जीवन और व्यवसायिक जिंदगी में अगर शुमार कर लिया जाता है तो इससे निश्चित ही आपको सफलता मिलेगी और आप एक बेहतर निर्णायक और बेहतरीन व्यक्तित्व को हासिल कर देंगे. आपको श्रीमद्भगवतगीता को जरूर पढ़ना चाहिए और उसमें लिखी बातों पर अमल भी करना चाहिए.
अगर आप एक व्यापारी है और बिज़नेस में तरक्की पाने के लिए काम कर रहे हैं तो आपको 20 जून 2021 को आयोजित होने वाले वेबिनार ‘बिज़नेस योगा फ्रॉम भगवतगीता’ (Business Yoga from Bhagavad Gita) में हिस्सा जरूर लेना चाहिए.
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