नई दिल्ली: बच्चों में एंटरप्रेन्योर बनने की इच्छा जगाने के लिए दिल्ली में अनोखी पहल शुरू की गयी है. वर्तमान शिक्षाप्रणाली में एक ही मापदंड है कि पढ़-लिखकर नौकरी करना है. लेकिन दिल्ली की सरकार ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए इस एकांगी नजरियों को बदलने की ठानी है. उद्यमिता पाठ्यक्रम के जरिये दिल्ली सरकार की कोशिश है कि बच्चों को शिक्षा के उपयोग का तरीका सिखाया जायें.
दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि उद्यमिता पाठ्यक्रम के जरिए नवीं से बारहवीं तक के बच्चों के भीतर एक नई समझ पैदा करने की कोशिश की जा रही है. दिल्ली के सरकारी स्कूलों में एंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट कुरिकुलम के तहत बच्चों से बातचीत करते हुए सिसोदिया ने प्रसिद्ध फिल्म ‘थ्री इडियट’ का भी जिक्र किया. उन्होंने इस फिल्म का उदाहरण देकर शिक्षा के प्रति दृष्टिकोण के फर्क पर छात्रों से चर्चा की. उन्होंने कहा कि आमिर खान ने रैंचो के रूप में शिक्षा के उपयोग का एक अलग रूप प्रस्तुत किया. जबकि चतुर नामक छात्र भी काफी प्रतिभावान होने के बावजूद एक दायरे में सीमित रह गया.
दिल्ली सरकार का मानना है कि सरकारी स्कूलों में उद्यमिता पाठ्यक्रम के पीछे दूरगामी सोच काम कर रही है. अब तक शिक्षा प्रणाली में महज नौकरी की मानसिकता पैदा की जाती थी. शिक्षा का मापदंड यह था कि इस पढ़ाई से अच्छी नौकरी हासिल हो जाएगी. लेकिन आज के युग में यह कोशिश है कि बच्चे नौकरी के लिए भी तैयार हों और साथ ही साथ बिजनेस शुरू करने में भी सक्षम बन जाएं.