प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत और वोकल फार लोकल का स्पष्ट नजारा देशभर में देखने को मिलता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत बनाने के आह्वान का समर्थन करते हुए, भारतीय तकनीकी स्टार्टअप्स ने अब चीनी निवेश से किनारा कर लिया है और भारतीय कॉर्पोरेट और धनी व्यक्ति अन्य देशों के निवेशकों के साथ देसी कंपनियों को पहले से कहीं अधिक फंड कर रहे हैं.
2019 में चीनी निवेशकों ने भारत में 3.9 अरब डॉलर का निवेश किया था, जिसमें 2018 के 2 अरब डॉलर के निवेश से काफी वृद्धि देखी गई थी. हालांकि यह निवेश परिदृश्य अब बदल गया है. खासतौर पर पिछले साल मई से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास पूर्वी लद्दाख में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़पों के बीच इसमें एक बदलाव आया है.
भारत ने पिछले साल अवसरवादी अधिग्रहण को रोकने के लिए एक नई नीति शुरू की, जिसके तहत पड़ोसी देशों से सभी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को लेकर सरकार द्वारा सीधे अनुमोदन की जरूरत है. परिणामस्वरूप, भारतीय कंपनियों में चीन का निवेश 2020 की पहली छमाही में 15 सौदों के दौरान 26.3 करोड़ डॉलर तक गिर गया.
नैसकॉम-जिनोव की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय टेक स्टार्टअप बेस में 1,600 से अधिक टेक स्टार्टअप्स के साथ 8-10 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) के पैमाने पर स्थिर वृद्धि देखी गई है और 2020 में 12 अतिरिक्त यूनिकॉर्न की रिकॉर्ड संख्या दर्ज की गई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि एक कैलेंडर वर्ष में यह संख्या अभी तक अधिकतम रही है.
माहौल को भांपते हुए, देश के भीतर निवेश के लिए स्वदेशी तकनीकी स्टार्टअप्स ने अपनी तलाश शुरू कर दी है और वह इसमें काफी हद तक सफल भी हुए हैं.