आज के समय में हर कोई अपना खुद का बॉस बनना चाहता है जिसके लिए ज्यादातर लोग अपनी जॉब छोड़कर बिज़नेस शुरू करना चाह रहे है. लोग स्टार्टअप तो शुरू कर देते हैं लेकिन उन्हें पता ही नहीं होता कि स्टार्टअप के लिए फंडिंग कहां से आएगी. स्टार्टअप शुरु करने के बाद ज्यादातर स्टार्टअप सिर्फ फंडिंग के अभाव में ही बंद हो जाते हैं. ऐसे में आप समझ सकते हैं कि किसी भी स्टार्टअप बिज़नेस के लिए फंडिंग को होना कितना जरूरी है. कोई भी बिज़नेस तीन प्रोसेस में बंटा होता है. मेन्युफैक्चरिंग, ट्रेड और सर्विस. इसी के आधार पर आंत्रप्रेन्योर्स अपने स्टार्टअप के लिए फंडिंग करते हैं. कोई भी कंपनी इन्हीं तीन पैरामीटर को देखकर आपको फंडिंग देने, न देने का फैसला करती हैं. किसी भी स्टार्टअप के लिए शुरूआत में पैसे जुटाना काफी चुनौतीपूर्ण होता है.

किसी भी स्टार्टअप के लिए फंडिंग जमा करने से पहले उसे 5 स्टेज पर से होकर गुजरना पड़ता है. लॉन्च स्टेज, ग्रोथ स्टेज, शेक-आउट स्टेज, मैच्योरिटी स्टेज और डिकलाइन स्टेज. लॉन्च स्टेज तब आती है जब कोई कंपनी बिज़नेस शुरू करने के लिए सभी कानूनी औपचारिकता पूरी कर लेता है. इस स्टेज में कंपनी के प्रोमोटर शुरूआत में इतना पैसा लगाते है कि कंपनी अपने पैरों पर खड़ी हो जाए या संचालन शुरू कर सके. शेक-आउट स्टेज तब आती है जब कोई बिज़नेस विकास के कई स्तरों को पार कर लेता है. मैच्योरिटी स्टेज तब आती है जब सेल्स, रेवेन्यू और प्रोफिट धीरे-धीरे एक निर्धारित अनुपात में मिलने लगता है और वो स्टार्टअप अपनी दूसरी ब्रांच खोलने और नयी टेक्नोलॉजी में निवेश करने लगता है. डिकलाइन स्टेज में, बिज़नेस की बिक्री और रेवेन्यू कम होने लगता है. इस स्टेज से बिज़नेस का निकलना बहुत ही मुश्किल होता है. कोई भी आपकी कंपनी में पैसा इन स्टेज को देखकर ही लगाता है. लेकिन आज हम आपको बता रहे है 6 ऐसे ही आसान तरीके जिनके जरिए आप आसानी से अपने स्टार्टअप के लिए फंडिंग कर सकते है. तो आइए जानते हैं फंडिंग के 6 आसान तरीके.

1. एंजल इन्वेस्टमेंट (Angel Investment)

किसी भी स्टार्टअप में फंडिंग लेने का मुख्य स्त्रोत एंजल इन्वेस्टर्स होते हैं. यह ऐसे व्यक्तियों या कंपनियों को कहते हैं, जिनके पास बहुत पैसे हो और वे किसी बिज़नेस या स्टार्टअप में इन्वेस्ट करना चाहते हों. स्टार्टअप बिज़नेस प्लान के लिए आप बिज़नेस कोच (Business Coaches For Entrepreneurs) की भी मदद ले सकते है. एंजल इन्वेस्टर्स, हाई नेटवर्थ या वार्षिक आय वाले व्यक्ति होते हैं और आमतौर पर अकेले काम करते हैं. वे अपने पैसे को निवेश करने के लिए अच्छे विकल्प और स्टार्टअप की तलाश में रहते है. इसके लिए आमतौर पर आंत्रप्रेन्योर को एक प्रेजेंटेशन देना होता है, जिसके बाद बिज़नेस के हर पहलू पर चर्चा होती है. एंजल इन्वेस्टर्स को आकर्षित करने के लिए आपको अपने बिज़नेस की पूरी प्लानिंग उन्हें बतानी होती है और एक शानदार पिच देनी होती है. एक-दूसरे के ऑफर्स से संतुष्ट होने के बाद ही कोई डील साइन की जाती है. इस तरह का इन्वेस्टमेंट बिज़नेस के शुरुआती दौर में ही होता है. भारत में भी हैदराबाद एंजेल्स, इंडियन एंजेल्स नेटवर्क, मुंबई एंजेल्स जैसे इन्वेस्टर्स हैं जो छोटे-बड़े स्टार्टअप को अच्छी फंडिंग देते हैं. छोटे स्टार्टअप के लिए एंजेल इन्वेस्टर्स सबसे अच्छा विकल्प हैं.

2. क्राउड ंडिंग (Crowd Funding)

यह एक ऐसा मंच है जो आम लोगों के सपने पूरे करने में सहायता करता है. यहां आप अपना प्रोजेक्ट लिस्ट करते हैं और आपको कितने पैसों की जरूरत है वह बताना होता है. इसके बाद जिस व्यक्ति को आपका प्रोजेक्ट पसंद आएगा वह आपको पैसे देता है. क्राउडफंडिंग की बदौलत जो लोग आपको पैसा देते है तो कई बार आपको बदले में कुछ देना पड़ता है जैसे की अगर आप फिल्म बना रहे हैं तो आपको पैसा देने वाले को प्रीमियर पर बुला सकते हैं या फिर कुछ प्रोडक्ट डिस्काउंट में दे सकते हैं. क्राउडफंडिंग में प्रोजेक्ट करते वक्त आपको यह बताना होगा कि आप फंड कैसे और कहां इस्तमाल करेंगे इसकी पूरी जानकारी देनी होती है.

3. बैंक लोन (Bank Loan)

फंडिंग लेने की जब भी बात आती है तो सबसे मुख्य नाम लोन का ही आता है. हर कोई सबसे पहले लोन के बारे में विचार करता है. लोन के ज़रिये अपने बिज़नेस की फंडिंग करना फंडिंग के सबसे लोकप्रिय तरीकों में से एक है. ज़्यादातर छोटे स्टार्टअप, लोन से अपने बिज़नेस की फंडिंग के लिए बैंकों और अन्य दूसरे वित्तीय संस्थानों की मदद लेते हैं. अभी भी बहुत से आंत्रप्रेन्योर्स इसी ऑप्शन पर जोर देते हैं क्योंकि बैंक से जुड़कर उन्हें ज्यादा सुरक्षित महसूस होता है. लेकिन बैंक से लोन लेने के लिए आपको कई पेपरवर्क से गुजरना पड़ता है. बैंक बिज़नेस लोन देने से पहले आपकी वित्तीय जरूरतों के बारे में जानकारी लेते हैं. हर बिज़नेस की दो तरह की जरूरतें होती हैं. फिक्स्ड कैपिटल और वर्किंग कैपिटल. जहां फिक्स्ड कैपिटल में प्रोपर्टी या बिल्डिंग का किराया, मशीनरी, इक्विपमेंट्स की लागत और फर्नीचर या इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने का खर्च शामिल किया जाता है. वहीं वर्किंग कैपिटल में रॉ मैटेरियल्स का इंतजाम करने में आने वाला खर्च, कर्मचारियों को दिया जाने वाला वेतन, मशीनरी के मेंटेनेंस का खर्च, विज्ञापन और मार्केटिंग का खर्च, बिजली-पानी का बिल वगैरह शामिल होता है. इस तरह अपनी वित्तीय जरूरतों का आंकलन करके आप बैंक में लोन के लिए आवेदन कर सकते हैं. भारत में लगभग सभी बैंक बिज़नेस के लिए कई तरह के विकल्प और शर्तों वाले बिज़नेस लोन देते हैं. बैंक आपको लोन लौटाने के लिए एक पर्याप्त समय देता है. इसलिए यह फंडिंग के लोकप्रिय तरीकोंमें से एक हैं.

4. सरकारी योजनाएं (Government Schemes)

छोटे स्टार्टअप को आगे बढ़ाने में सरकार भी आपकी मदद कर सकती है. भारत सरकार ने स्टार्टअप और लघु उद्यमों को फंड करने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं. MSME Scheme For Startup Business इन योजनाओं के जरिए बिज़नेसमैन आसानी से अपने स्टार्टअप के लिए फंड जुटा सकते हैं. यही नहीं यहां आपको कई तरह की रियायतें भी दी जाती हैं. जैसे आप अगर आरक्षित वर्ग से हैं, महिलाएं हैं तो आपके लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं. भारत सरकार की दो योजना प्रधानमंत्री मुद्रा योजना और स्टैंडअप इंडिया आज सबसे ज्यादा लोकप्रिय है. मुद्रा योजना के जरिए बिज़नेस को तीन श्रेणियों शिशु, किशोर और तरुण में फंड किया जाता है. शिशु में 50 हजार रुपए तक का लोन दिया जाता है. किशोर में 50 हजार से 5 लाख रुपए तक का लोन और तरुण में 5 लाख से 10 लाख रुपए तक का लोन दिया जाता है. वहीं स्टैंडअप इंडिया के तहत एससी, एसटी और महिला आंत्रप्रेन्योर को आसान ब्याज दरों पर 1 करोड़ रुपए का लोन दिया जाता है. आप सरकारी योजनाओं का भी लाभ उठा कर अपने सपनों को साकार कर सकते हैं.

5. वेंचर कैपिटल (Venture Capital)

वेंचर कैपिटल आंत्रप्रेन्योर के लिए लोन लेने का सबसे पसंदीदा तरीका होता है. वेंचर कैपिटलिस्ट्स इक्विटी यानि हिस्सा लेकर आपके बिज़नेस में पैसा लगाते हैं और आईपीओ जारी होने या एक्विजिशन के बाद ही बिज़नेस से हटते हैं. फंडिंग के इस तरीके में स्टार्टअप शुरू करने वाले व्यक्ति को अपने मुनाफे का कुछ हिस्सा शेयर करना पड़ता है. यह नए बिज़नेसमैन के लिए सबसे कारगार तरीका बन सकता है. वेंचर कैपिटलिस्ट्स समय-समय पर इस बात का आंकलन भी करते हैं कि आपका स्टार्टअप सही दिशा में आगे बढ़ रहा है या नहीं. वे स्केलेबिलिटी और सस्टेनेबेलिटी के नज़रिए से भी बिजनेस का आंकलन करते हैं. आप वेंचर कैपिटल की मदद से अपने स्टार्टअप के लिए फंड जुटा सकते हैं.

6. इन्क्यूबेटर व एक्सेलेरेटर (Incubator and Accelerator)

बिज़नेस के लिए फंड जुटाने के कारगार तरीकों में से एक इन्क्यूबेटर व एक्सेलेरेटर प्रोग्राम भी है. आप इसके जरिए भी फंड एकज्ञ कर सकते हैं. इन प्रोग्राम के जरिए हर साल कई स्टार्टअप को सहायता दी जाती है. फंडिंग के इस तरीके में इन्क्यूबेटर्स आइडिया जनरेशन से लेकर प्रोडक्ट तैयार करने तक में आपकी मदद करते हैं, वहीं एक्सेलेरेटर्स आपके बिज़नेस की स्पीड को बढ़ाने में मदद करते हैं. अक्सर ये प्रोग्राम्स 4-8 महीने तक चलते हैं. एक बिज़नेसमैन को इन प्रोग्राम्स में एक बार शामिल होने के बाद टाइम कमिटमेंट करना होता है. इनकी मदद से आप अपनी फील्ड में आसानी से अच्छे कनेक्शंस बना सकते हैं. फंडिंग के इस तरीके से आप आसानी से अपने स्टार्टअप के लिए फंड जमा कर सकते हैं.

आप इन 6 तरीकों से अपने स्टार्टअप के लिए फंड जमा कर सकते हैं. लेकिन अपने स्टार्टअप के लिए फंड जमा करने से पहले इस बात का ध्यान रखें कि आप इनसे जुड़ी जानकारी को सही से पढ़ें. प्रोजेक्ट लिस्ट करने से पहले इनके नियम व शर्तें पढ़ लें. कई ऐसे प्लैटफॉर्म जो लिस्ट करने के लिए फीस भी लेते है जो स्टार्टअप ऑनलाइन पोर्टल पर प्रोजेक्ट लिस्ट करते हैं. यहां से आप फंड लेकर अपने स्टार्टअप बिज़नेस को सफल बनाने के सपनों को पूरा कर सकते हैं.

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लेख के बारे में आप अपनी टिप्पणी को कमेंट सेक्शन में कमेंट करके दर्ज करा सकते हैं. इसके अलावा आप अगर एक व्यापारी हैं और अपने व्यापार में किसी कठिन और मुश्किल परेशानियों का सामना कर रहे हैं. आप चाहते हैं कि स्टार्टअप बिज़नेस को आगे बढ़ाने में आपको एक पर्सनल बिज़नेस कोच का अच्छा मार्गदर्शन मिले तो आपको BCP Bada Business (Business Coaching Program)  का चुनाव जरूर करना चाहिए. जिससे आप अपने बिज़नेस में एक अच्छी हैंडहोल्डिंग पा सकते हैं और अपने बिज़नेस को चार गुना बढ़ा सकते हैं.