बिज़नेस में हर किसी का एक ही उद्देश्य होता है ज्यादा से ज्यादा रेवेन्यू कमाना। जिसे पूरा करने में लीड टाइम (Lead Time) की अहम भूमिका होती है।
लीड टाइम का मतलब किसी भी बिज़नेस में ऑर्डर करने से लेकर उसे ग्राहक को डिलीवर करने तक के दौरान लगने वाले समय से है।
Lead time refers to the time a company takes "from the time an order is placed to the time it is delivered to the customer."
किसी भी बिज़नेस में लीड टाइम के ज्यादा होने का मतलब अक्षमता और संसाधनों का सही उपयोग ना करना होता है। वहीं लीड टाइम कम करने से प्रोडक्टिविटी में सुधार होता है, जिसके परिणामस्वरूप अच्छा रेवेन्यू और प्रोफिट होता है।
आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि लीड टाईम कम कर के कैसे आप बिज़नेस में अच्छी ग्रोथ कर सकते हैं।
लीड टाइम को कम करने से पहले यह जानना ज़रूरी है कि लीड टाइम के कंपोनेंट्स क्या है। इससे लीड टाइम को समझने में काफी आसानी हो जाएगी।
लीड टाइम के कंपोनेंट्स में मुख्य रूप से प्रीप्रोसेसिंग टाइम, प्रोसेसिंग टाइम, वेटिंग टाइम, स्टोरेज टाइम और परिवहन टाइम है। इन्हें समझ कर हम लीड टाइम को आसानी से समझ सकते हैं।
- प्रोसेसिंग टाइम: प्रोसेसिंग टाइम वस्तु की खरीद या उत्पादन के लिए ऑर्डर करने के बाद लगने वाला समय है।
- वेटिंग टाइम: यह वह समय है जो आवश्यक वस्तुओं की खरीद से लेकर उत्पादन प्रक्रिया में लगने वाले समय से है।
- स्टोरेज टाइम: जब आइटम गोदाम या कारखाने में डिलीवरी की प्रतीक्षा में रहता है उसे स्टोरेज टाइम कहा जाता है यानि कि कितने समय सामान गोदाम या कारखाने में रहा।
- परिवहन टाइम: परिवहन समय वह समय है जो उत्पादित वस्तु को गोदाम/कारखाने से ग्राहक तक ले जाने में लगता है।
- निरीक्षण का समय: निरीक्षण का समय ग्राहक द्वारा उत्पाद की जाँच करने में लगने वाला समय है, यह देखने के लिए कि क्या यह निर्देशों को पूरा करता है। यह आदेश अनुरोध के साथ किसी भी गैर-अनुरूपता से निपटने के लिए आवश्यक समय को भी बताता है।
लीड टाइम के अलग अलग कंपोनेंट को जानने के बाद अब जानते हैं उन गलतियों को जिन्हें अक्सर बिज़नेस में हम इग्नोर कर देते हैं। जिन्हें ध्यान में रखकर लीड टाइम को कम किया जा सकता है।
लीड टाइम को कम करने के लिए:
नॉन वेल्यु एक्टिविटीज़ को करें कम
लीड टाइम को कम करने के लिए किसी भी कंपनी को नॉन वेल्यु एक्टिविटीज़ की पहचान करने के लिए वैल्यू स्ट्रीम मैपिंग करन चाहिए जो लीड समय को बढ़ाते हैं। इन गतिविधियों की एक सूची तैयार करें और उन गतिविधियों को समाप्त करें जिनके बिना कंपनी काम कर सकती है, और उन गतिविधियों को बनाए रखें जो प्रोडक्ट की गुणवत्ता पर सकारात्मक प्रभाव प्रदान करती हैं।
शिपिंग के तरीके बदलें
आज बदलते हुए समय में हर क्षेत्र में तकनीक के कारण बदलाव आया है। लेकिन कुछ कंपनियां आप भी पारंपरिक तौर तरीकों को ही अपना रही हैं। जिसके कारण वो इस रेस में पिछड़ जाते हैं। और प्रोडक्ट सही समय तक ग्राहक तक ना पहुंचने के कारण उनका मोह भंग हो जाता है। वहीं आज मार्केट में कई ऐसे तरीके है जिसकी मदद से शिपिंग काफी आसान हो गयी है। आज वो पारंपरिक तरीकों की तुलना में काफी तेज है या लगातार डिलीवरी की पेशकश कर रही हैं। लीड टाइम को कम करने के लिए आपको भी ज़रूरत है कि शिपिंग के तरीकों को बदलते हुए तेजी से डिलीवरी वाले तरीकों को ही अपनाएं।
स्थानीय सोर्स
यदि कंपनी द्वारा आयातित कच्चा माल स्थानीय रूप से उपलब्ध है, तो कंपनी स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं को बदल सकती है। लेकिन ध्यान रहे कि इससे उत्पादों की गुणवत्ता से समझौता ना हो। अगर एक जैसी गुणवत्ता वाला माल आपके आस पास ही मौजूद है तो उसे प्राथमिकता देने में ही भलाई है। इसी तरह बड़े स्केल पर देखें तो अंतरराष्ट्रीय आपूर्तिकर्ताओं से सोर्सिंग के विपरीत स्थानीय स्तर पर उत्पाद खरीदना, लीड टाइम को कम करता है क्योंकि माल कम दूरी पर ले जाया जाता है।
आप इन तरीकों की मदद से लीड टाइम को कम कर सकते हैं और बिज़नेस में प्रोडक्टिविटी बढ़ा सकते हैं। इससे न केवल आपकी प्रोडक्टिविटी बढ़ेगी बल्कि कंपनी की ग्रोथ, रेवेन्यू एवं प्रोफिट में भी बहुत फायदा होगा।
लेख के बारे में आप अपनी टिप्पणी को कमेंट सेक्शन में कमेंट करके दर्ज करा सकते हैं। इसके अलावा आप अगर एक व्यापारी हैं और अपने व्यापार में कठिन और मुश्किल परेशानियों का सामना कर रहे हैं और चाहते हैं कि स्टार्टअप बिज़नेस को आगे बढ़ाने में आपको एक पर्सनल बिज़नेस कोच का अच्छा मार्गदर्शन मिले तो आपको PSC (Problem Solving Course) का चुनाव ज़रूर करना चाहिए जिससे आप अपने बिज़नेस में एक अच्छी हैंडहोल्डिंग पा सकते हैं और अपने बिज़नेस को चार गुना बढ़ा सकते हैं ।