कोविड ने दुनिया को जिस तरह से प्रभावित किया है, उसे भूल पाना किसी भी देश के लिए मुश्किल काम होगा. भारत भी ऐसे देशों की लिस्ट में शामिल हुआ, जहाँ पर कोविड ने अपना गहरा असर दिखाया. भारत की आबादी को ध्यान में रखते हुए देश के लिए यह काफी बड़ी चुनौती थी. लेकिन भारत में एक ऐसी संस्था थी, जिसने कोविशील्ड वैक्सीन (Covishield Vaccine) के रूप में इस वायरस से लड़ने के लिए सबसे बड़ा हथियार उपलब्ध कराया. इस संस्थान के लिए बड़ी संख्या में वैक्सीन का निर्माण कर पाना बेहद मुश्किल तो था लेकिन अंसभव बिल्कुल भी नहीं. आज हम आपको भारत की उस वैक्सीन निर्माता कंपनी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके द्वारा बनायी गई वैक्सीन का उपयोग सिर्फ भारत में ही नहीं हो रहा है. बल्कि उनकी बनायी वैक्सीन को दुनियाभर में 170 से भी ज्यादा देशों में उपयोग किया जा रहा है.
हम आज सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India) के बारे में आपको बताने जा रहे हैं. आप जानेंगे कि कैसे यह कंपनी दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी बन गई और कैसे इतनी बड़ी आबादी के लिए इस कंपनी ने वैक्सीन को उपलब्ध कराने का काम पूरा किया.
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की स्थापना (How Serum Institute of India Started)
दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी की स्थापना विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO – World Health Organization) की सहमति के बाद सन 1966 में हुई थी. इसकी स्थापना करने वाले व्यक्ति सायरस पूनावाला ने दुनिया भर के प्रसिद्ध वैज्ञानिकों की मदद से उस दौर में फैली बीमारियों को दूर करने के लिए कई महत्वपूर्ण वैक्सीन का निर्माण किया.
दरअसल सायरस पूनावाला के पिता सोली पूनावाला ने पहले घोड़ों के कारोबार की शुरुआत की थी. काफी लंबे समय तक घोड़ों के व्यापार को चलाने के बाद जब सायरस पूनावाला ने बिजनेस को ज्वाइन किया तो उन्होंने घोड़ों के व्यापार को ही नया रूप देकर सीरम इंस्टीट्यूट की स्थापना कर ड़ाली. मुंबई में हाफ़किन इंस्टीट्यूट एक ऐसी संस्था थी, जो वैक्सीन बनाने का काम किया करती थी.
वैक्सीन बनाने के लिए घोड़ों से सीरम प्राप्त किया जाता था और घोड़ों के रक्त में मौजूद सीरम से एंटीबॉडी तैयार कर वैक्सीन का तैयार किया जाता था. सीरम के लिए पूनावाला के फॉर्म से ही बूढ़े हो चुके घोड़ों को ले जाया जाता था. सायरस पूनावाला ने इसी तकनीक को अपने खुद के बिजनेस में बदलने का फैसला किया और सीरम इंस्टीट्यूट की शुरुआत की. इसके बाद सीरम इंस्टीट्यूट को हाफ़किन इंस्टीट्यूट के कई रिसर्चर ने भी ज्वाइन कर लिया.
अदार पूनावाला के नेतृत्व में कोविशील्ड का उदय और विस्तार
अदार पूनावाला, सायरस पूनावाला के बेटे हैं और उन्होंने सीरम इंस्टीट्यूट को 2001 में एक इंटर्न के तौर पर ज्वाईन किया था. उस समय वो केवल सेल्स डिपार्टमेंट के ही कामों को देखा करते थे, लेकिन अपने पिता की ही तरह वह भी अपने इस पारिवारिक बिजनेस को आगे बढ़ाना चाहते थे और इसका विस्तार बाकि देशों में भी करना चाहते थे. 2011 में अदार पूनावाला सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ के तौर पर नियुक्त हुए.
अदार पूनावाला की दो मुख्य रणनीतियाँ रही है. पहला तो वैक्सीन का अच्छी संख्या में उत्पादन और दूसरा, वैक्सीन का देश के साथ ही बाकी देशों में आपूर्ति करना. इन दोनों रणनीतियों के माध्यम से ही अदार ने सीरम के विस्तार की बेहतरीन योजना बनायी. अदार पूनावाला ने सीईओ बनने के एक साल बाद ही सरकारी वैक्सीन निर्माता कंपनी डच का अधिग्रहण कर अपने कारोबार को विस्तार दिया. पहले सीरम द्वारा निर्मित वैक्सीन की आपूर्ति कम देशों में ही की जाती थी, लेकिन आज 170 से भी ज्यादा देशों में सीरम द्वारा निर्मित वैक्सीन की आपूर्ति की जाती है. कोविड के इस दौर में दुनियाभर को कोविशील्ड वैक्सीन उपलब्ध कराने वाली सीरम कंपनी को दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी के रूप में अदार पूनावाला ने अनोखी पहचान दिलायी है. यही कारण है कि अदार पूनावाला को फॉर्मेसी का सबसे बड़ा टॉयकून भी कहा जाता है. अदार पूनावाला ने भारत को वैक्सीन कैपिटल के नाम से भी प्रसिद्धि दिलायी है.
कोविशील्ड का विस्तार
अदार पूनावाला हमेशा बड़ा जोख़िम लेने वाले व्यक्ति कहे जाते हैं. जिस समय अदार पूनावाला ने कोविशील्ड का भारी मात्रा में उत्पादन करने का फैसला किया था, उस समय वैक्सीन को लेकर रिसर्च का दौर ही जारी था. इस फैसले के बाद सीरम को बड़े निवेश, बड़ी जगह, कच्चे माल, श्रमिक और तकनीक की जरूरत भी थी. सभी की पूर्ति बड़े निवेश से ही होने वाली थी लेकिन अदार ने फंडिंग के लिए बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की मदद लेने का निर्णय लिया. इसके बाद वैक्सीन के उत्पादन का काम शुरू हुआ. अदार पूनावाला सही साबित हुए और भारत की ज्यादा वैक्सीन की जरूरत को पूरा करने के लिए तैयार भी थे. सीरम इंस्टीट्यूट सितंबर 2020 में ही पांच करोड़ वैक्सीन का निर्माण कर चुका था. जब भारत में टीकाकरण की शुरुआत हुई तो वैक्सीन की मांग को पूरा करने में बड़ी सफलता हाथ लगी.
अदार पूनावाला की दूरदर्शी समझ के चलते ही इतने बड़े स्तर पर वैक्सीन का उत्पादन कर मांग को पूरा किया जाने का काम किया गया. सीरम इंस्टीट्यूट की सफलता और अदार पूनावाला की रणनीतियों के माध्यम से वैक्सीन व्यापार की इस कहानी को आप हमारी इस वीडियो के ज़रिए भी जान सकते हैं.
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