रद्दी के कबाड़ से जुगाड़ कर बनाई 800 करोड़ की कंपनी। जानिये पूनम गुप्ता की सफलता की कहानी

Punam Gupta founder PG Papers

आपने अक्सर एक लाइन सुनी होगी "एक आईडिया जो आपकी जिंदगी बदल दे", ऐसे ही एक आईडिया ने पूनम गुप्ता की ज़िन्दगी बदल दी। पूनम गुप्ता अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद जॉब के लिए भटक रही थी। तभी उनकी शादी स्कॉटलैंड के रहने वाले एक एनआरआई से हो गयी थी। शादी के बाद वे स्कॉटलैंड चली गयीं और वहां भी जॉब के लिए कम्पनियों में भटक रही थी।

कम्पनियों में भटकते भटकते उन्हें जॉब तो नहीं मिली, लेकिन वहां उन्हें एक बिज़नेस आईडिया आ गया और उसी आईडिया पर काम करते हुए उन्होंने खुद की कंपनी शुरू कर दी।

आज के इस आर्टिकल में जानिए PG Papers कंपनी लिमिटेड की संस्थापक पूनम गुप्ता की सफलता की कहानी –

जन्म: 17 अगस्त 1976, नई दिल्ली
शिक्षा: लेडी श्रीराम कॉलेज से इकोनॉमिक्स में ऑनर्स

एमबीए

पद: PG Papers कंपनी लिमिटेड की संस्थापक
टर्नओवर: आठ सौ करोड़ रुपये

कौन है पूनम गुप्ता?

47 वर्षीय पूनम गुप्ता का जन्म 17 अगस्त 1976 को नई दिल्ली में हुआ था। पूनम की स्कूली शिक्षा दिल्ली में ही हुई, वे बचपन से ही पढ़ने में तेज थी, इसीलिए उन्हें उनकी मेरिट के आधार पर दिल्ली पब्लिक स्कूल में दाखिला मिला था। इसके बाद पूनम ने दिल्ली एक लेडी श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से इकोनॉमिक्स में ऑनर्स की डिग्री प्राप्त की और फिर एमबीए की डिग्री पूरी की।

शुरू हुआ नौकरी ढूंढने का संघर्ष

पूनम अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अपनी पहली जॉब पाने के लिए संघर्ष कर रही थी। वे जहाँ भी अप्लाई करती, एक्सपीरियंस ना होने के कारण उनकी एप्लीकेशन रिजेक्ट कर दी जाती। इसी दौरान उनकी शादी पुनीत गुप्ता से हो गयी, जो कि स्कॉटलैंड में  इंडियन ओरिजिन के फार्मासिस्ट थे और अच्छी खासी जॉब करते थे। पुनीत के साथ पूनम भी स्कॉटलैंड पहुँच गयी, वहां पर वे अपने लिए जॉब सर्च करने लगी। लेकिन किस्मत यहाँ भी उनका साथ नहीं दे रही थी, यहाँ भी उनके सारे एप्लीकेशन रिजेक्ट हो रहे थे।

रद्दी से आया बिज़नेस का आईडिया

वे स्कॉटलैंड में लगता जॉब के लिए अलग अलग कंपनियों के चक्कर लगा रही, लेकिन एक्सपीरियंस ना होने की वजह से लगातार उनकी ऍप्लिकेशन्स रिजेक्ट हो रही थी। जब वे इन अलग अलग ऑफिसेस के चक्कर लगा रही थी, तो उन्होंने देखा कि हर ऑफिस में रद्दी का ढेर लगा हुआ था। रद्दी के इस ढेर को देखकर उन्हें एक आईडिया आया कि क्यों ना इस रद्दी को रीसायकल करके फ्रेस पेपर बनाये जाएं। पूनम ने इस आईडिया पर और रिसर्च किया, इसी दौरान उन्हें स्कॉटलैंड की सरकार की एक योजना के तहत एक लाख रुपये की फंडिंग भी मिल गयी।

इसके बाद 2003 में उन्होंने PG Papers कंपनी लिमिटेड के नाम से अपनी कंपनी शुरू की, जिसके अंतर्गत रद्दी पेपर को रीसायकल कर बेहतर क्वालिटी के नए पेपर बनाए जाते हैं। आज पूनम का कारोबार स्कॉटलैंड, यूरोप, अमेरिका और भारत सहित 60 देशों में फैला हुआ है और उनकी कंपनी का टर्नओवर आज आठ सौ करोड़ पहुँच चुका है। एक समय जहाँ पूनम जॉब पाने के लिए दफ्तर दफ्तर भटक रही थी, आज वही पूनम कई बड़ी कम्पनियों से कॉन्ट्रैक्ट करके बिज़नेस कर रही है।


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