कभी बेचते थे मसाले, आज हैं 23 हजार करोड़ की कंपनी के मालिक। जानिये मालाबार गोल्ड के फाउंडर एमपी अहमद की कहानी

Know the success story of Malabar Gold founder M P Ahmmed.

कहते हैं "मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है।" आज मालाबार गोल्ड एक नामचीन ब्रांड है, इसके फाउंडर एमपी अहमद के भी हौसले बचपन से ही बुलंद थे, इसीलिए 20 साल की उम्र में ही उन्होंने अपना मसालों का बिज़नेस शुरू किया, लेकिन वो उसमें सफल नहीं हो सके।

फिर उन्होंने मार्केट रिसर्च की और तब उन्होंने पाया कि सोने और ज्वेलरी का आगे चलकर बहुत स्कोप हैं। उन्होंने इसी बिज़नेस को चुना और आज उनकी कंपनी मालाबार गोल्ड एक ब्रांड बन चुका है।

जानिये एमपी अहमद की सफलता की कहानी –

जन्म: 1 नवंबर 1957, कोझिकोड, केरल
पिता: मम्माद कुट्टी हाजी
माता: फातिमा
पद: मालाबार ग्रुप ऑफ कम्पनीज के अध्यक्ष

20 साल की उम्र में किया पहला बिज़नेस

एमपी अहमद का जन्म 1 नवंबर 1957 को केरल के कोझिकोड में हुआ था। अहमद के पिता मम्माद कुट्टी हाजी थे और माता का नाम फातिमा था। अहमद का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था, जो छोटा मोटा बिज़नेस करता रहता है। यही कारण था कि अहमद के मन में बचपन से ही बिज़नेस करने की ललक थी। उनकी स्कूली शिक्षा कोझिकोड के सरकारी स्कूल से हुई, उसके बाद उन्होंने कालीकट विश्वविद्यालय से कॉमर्स में ग्रेजुएशन किया।

जब अहमद 20 साल के हुए, तब उन्होंने मसलों का बिज़नेस शुरू किया, वे कोझिकोड में काली मिर्च, धनिया, नारियल आदि बेचा करते थे। उन्हें जल्द ही समझ आ गया कि यह बिज़नेस ज्यादा दिनों तक नहीं चल पायेगा, इसलिए उन्होंने इस बिज़नेस को बंद कर दिया।

इस तरह शुरू किया मालाबार गोल्ड

कोई भी बिज़नेस शुरू करने का एक नियम होता है कि पहले हमें मार्केट रिसर्च कर लेना चाहिए। अहमद इस बारे में अच्छे से जानते थे, इसलिए अगले बिज़नेस को शुरू करने से पहले उन्होंने अपने आसपास मार्केट रिसर्च की। इस दौरान उन्होंने कई बिज़नेस के बारे में विचार किया। मार्केट रिसर्च के दौरान उन्होंने पाया कि मालाबार में कोई त्यौहार हो या किसी को इन्वेस्टमेंट करना हो, तो वहां के लोग सोना खरीदते हैं। तब उन्होंने खुद का ज्वेलरी का बिज़नेस शुरू करने का फैसला लिया और इस तरह से मालाबार गोल्ड का विचार जन्म ले चुका था।

प्रॉपर्टी बेचकर शुरू की पहली शॉप

मालाबार गोल्ड का विचार तो जन्म ले चुका था, लेकिन अब ज़रूरत थी उसे शुरू करने के लिए लगने वाली पूंजी की। इसके लिए अहमद ने अपने कुछ रिश्तेदारों को राजी किया, इसके साथ ही अपनी प्रॉपर्टी बेचकर 50 लाख रुपये जुटाए। इन पैसों से अहमद ने 1993 में कोझिकोड में 400 वर्गफुट की एक शॉप लेकर अपना बिज़नेस शुरू किया। यहाँ पर अहमद सोने की ईंटे खरीदते और अपने कारीगरों की मदद से खुद ज्वेलरी बनाते। उनकी यूनिक डिज़ाइन और वैरायटी के कारण जल्द ही लोगों के बीच में मालाबार गोल्ड फेमस होने लगी।

अहमद का कारोबार दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करने लगा, वे एक के बाद एक स्टोर्स खोलने लगे। 1999 में उन्होंने बीआईएस हॉलमार्क वाली ज्वेलरी बेचने लगे। मालाबार गोल्ड देश ही नहीं, विदेशों में भी अपनी सुनहरी चमक बिखेरने लगा। आज मालाबार गोल्ड के भारत के अलावा यूएई, दुबई, अमेरिका सहित 11 देशों में स्टोर्स हैं और यह कंपनी 27 हजार करोड़  टर्नओवर वाली कंपनी बन गयी है।


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