अर्श शाह दिलबागी Success Story: मात्र 16 साल की उम्र में सांसों से बोलने वाली मशीन का आविष्कार कर इस शख्स ने लिखी सफलता की कहानी

जिंदगी कब किसे फर्श से उठा कर अर्श पर ले आए इसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता।  जिस तरह प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होती, उसी तरह आज के  समय में किसी की उम्र से उसकी काबिलियत को तौलना गलत होगा। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने केवल 22 साल की आयु में रोबोटिक्स के क्षेत्र में कई उपलब्धियां हासिल की हैं और दुनियाभर में भारत का नाम रोशन किया। वो शख्स है अर्श शाह दिलाबागी जिन्होंने मात्र 16 साल की उम्र में सांसों से बोलने वाली मशीन का अविष्कार कर सभी को आंचभित कर दिया है।

अर्श शाह केवल 16 साल के थे जब उन्होने इस मशीन को बनाया। वो हरियाणा के पानीपत के रहने वाले अर्श शाह अभी प्रिंसटन यूनिवर्सिटी, यूएस में ऑपरेशन रिसर्च और फाइनेंशियल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन कर रहे हैं। अर्श शाह ने लकवाग्रसत मरीजों के लिए एक ऐसा डिवाइस तैयार किया है जिसकी मदद से बोल न पाने वाले लकवाग्रस्‍त मरीजों आसानी से अपनी बात कह सकते हैं। इस डिवाइस की मदद से सांस से लकवाग्रस्त पीड़ितों को बोलने में मदद मिलेगी। इस डिवाइस को सांस की ऊपर-नीची गति से सर्किट अल्फाबेट्स एक दूसरे से जोड़ेगा और कुछ ही सेकंडों में दूसरे व्यक्ति को वह सुनाई देने लगेगा, जो व्यक्ति बोलना चाहता था। अर्श की इस डिवाइस का नाम 'टॉक' है। अर्श के द्वारा बनाए गए डिवाइस को इस्तेमाल करते समय नाक या मुंह के पास सेंसर लगाना होता है। हर अल्फाबेट सांस से निर्धारित होगा। जैसे - जैसे अल्फाबेट्स सांस की गति से जुड़ते जाएंगे वैसे ही शब्द पूरा होने पर डिवाइस से आवाज आएगी।

अर्श शाह ने इस डिवाईस को बना कर जहां लकवाग्रस्त मरीजों की मदद की है वहीं वो कहते हैं कि वो इसे कम पैसों में उपलब्ध कराएगें ताकि 'टॉक' की मदद से बोल न पाने वाले लकवाग्रस्‍त मरीज़ों की मदद हो सके। अर्श शाह के इस काम की हर किसी ने सराहना की है। गूगल ने  भी अर्श को साइंस फेयर के लिए 2014 में टॉप-15 प्रतिभागियों के लिया चुना था। अर्श  भारत ही नहीं बल्कि एशिया में एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिसके प्रोजेक्ट को सिलेक्ट किया था। अर्श का कहना है कि वो साइंस की माध्यम से दुनिया को कुछ अलग और कुछ नया देना चाहते है।  यह डिवाइस दो मोड़ में काम करता है, कम्युनिकेशन और कमांड मोड़। कमांड मोड़ के जरिये लोग यूज़र डब्लू - वाटर जैसे पूर्वनिर्धारित कमांड को बोल सकता है, वहीं दूसरी तरफ कम्युनिकेशन मोड़ में लोग आम बोलचाल के वाक्यांश को एनकोड करने और बोलने में मदद करता है।

अर्श ने 12वीं क्लास में पढ़ते हुए इस गैजेट को बनाया था, जिसकी मदद से पैरालिसिस पीड़ित अपनी बात कह सकते हैं। इस गैजेट पर गूगल ने कैलिफोर्निया में बुलाकर सम्मानित किया था। अर्श ने अपनी मेहनत औऱ लगन के दम पर अपनी सफलता की कहानी (Success Story) लिखी है। उनकी यह कहानी सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत (Inspiration)  है। यदि आप भी अर्श शाह की तरह एक अलग पहचान बनाना चाहते हैं एवं अपने करियर में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, तो आप हमारी लाईफ टाईम मेंबरशिप कों ज्वॉइन कर सकते हैं। यहां आपको बिज़नेस से जुड़ी हर जानकारी दी जाएगी। अधिक जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट https://www.badabusiness.com/life-time-membership?ref_code=ArticlesLeads पर Visit  करें।

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