5,000 रुपये उधार लिए और आज 14,000 करोड़ रुपये की कंपनी के संस्थापक हैं। जानिए ज्योति लैब्स के संस्थापक एमपी रामचंद्रन की सफलता की कहानी
रशियन लेखक लियो टॉलस्टॉय ने कहा है कि "अगर आप किसी काम में पूर्णता को देखते हैं, तो आप कभी भी संतुष्ट नहीं हो सकते।" जब इंसान के मन में किसी काम को करते समय संतोष का भाव आ जाता है, तो उस काम में और सुधार की सम्भावना नहीं रहती। आज की कहानी भी ऐसी ही है।
हम बात कर रहे हैं ज्योति लैब्स के फाउंडर एमपी रामचंद्रन की। पेशे से अकाउंटेंट रामचंद्रन हमेशा अपने कपड़े खुद धोते थे, लेकिन वो फैब्रिक व्हाइटनर से संतुष्ट नहीं हुए। उन्हें लगता था कि कपड़ों में और भी ज्यादा चमक की ज़रूरत है। बहुत खोज के बाद उन्हें इसका उपाय मिला और उन्होंने ज्योति लैब्स का पहला प्रोडक्ट बनाया।
आज जानिये एमपी रामचंद्रन की सफलता की कहानी –
जन्म: | त्रिशूर, केरल |
शिक्षा: | फाइनेंशियल मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएशन |
पद: | ज्योति लैब्स के फाउंडर |
वर्तमान स्थिति: | 14 हजार करोड़ का टर्नओवर |
एमपी रामचंद्रन कभी थे अकाउंटेंट.
ज्योति लैब्स के फाउंडर एमपी रामचंद्रन का जन्म केरल के त्रिशूर में हुआ था। रामचंद्रन की प्रारंभिक शिक्षा भी त्रिशूर में ही हुई थी। 12वीं की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने त्रिशूर के सेंट थॉमस कॉलेज से कॉमर्स में ग्रेजुएशन किया। उसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वे मुंबई आ गए और वहां से उन्होंने फाइनेंशियल मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। उसके बाद वे अपने लिए एक करियर की तलाश कर रहे थे। कॉमर्स में ग्रेजुएशन और फाइनेंशियल मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएशन होने के कारण उन्हें 1971 में अकाउंटेंट की नौकरी मिल गयी।
ऐसे आया नए बिज़नेस का आईडिया.
रामचंद्रन हमेशा से अपने कपड़े खुद ही धोते थे, कपड़ों की चमक के लिए वे फेब्रिक व्हाइटनर का इस्तेमाल करते थे। उसके बाद भी कपड़ों में चमक ना आने के कारण वे व्हाइटनर से खुश नहीं थे और इसका कोई सोल्यूशन ढूंढ रहे थे। एक दिन केमिकल इंडस्ट्री से जुड़ी मैगज़ीन में उन्होंने एक आर्टिकल पढ़ा, जिसके अनुसार बैंगनी रंग का इस्तेमाल करके कपड़ों की सफेदी और चमक को और ज्यादा बढ़ाया जा सकता है। रामचंद्रन ने बैंगनी रंग के साथ एक साल तक प्रयोग किया और उसके पॉजिटिव परिणाम प्राप्त हुए। इसके बाद उन्होंने इसे ही अपना बिज़नेस बनाने का फैसला लिया।
इस तरह बनाया ब्रांड.
रामचंद्रन अपने आईडिया को बिज़नेस में बदलने के लिए मन बना चुके थे, इसके लिए उन्होंने अपने भाई से 5 हजार रूपए उधार लिए। इस रकम से अपनी पारिवारिक ज़मीन के एक हिस्से में उन्होंने 1983 में एक अस्थायी कारखाना लगाया और इस कंपनी को अपनी बेटी के नाम पर ज्योति लैब्स नाम दिया। लोग अब भी चमकीले और सफेद कपड़ों के लिए जद्दोजहद कर रहे थे। बैंगनी रंग से जुड़े अपने एक साल के अनुभव के आधार पर उन्होंने फेब्रिक व्हाइटनर बनाया और उसे नाम दिया उजाला। इसका विज्ञापन आज भी लोगों के जहन में है और कभी ना कभी आप लोगों ने भी सुना होगा - "चार बूंदों वाला उजाला।"
रामचंद्रन ने इस प्रोडक्ट को बेचने के लिए 6 महिलाओं को हायर किया, जल्द ही यह प्रोडक्ट लोगों के बीच लोकप्रिय हो गया। धीरे धीरे रामचंद्रन की ज्योति लैब्स प्रगति करने लगी। कंपनी ने और भी कई सारे फेमस ब्रांड बनाये जैसे हेंको, मार्गो साबुन, एक्सो डिश वॉशर और मैक्सो मॉस्किटो रिपेलेंट्स। 1997 तक कंपनी के ब्रांड पुरे देश में फेमस हो गए और आज इस कंपनी की कीमत 13 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है।
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