पिता का सपना बेटे ने किया पूरा, इंदौर के शिखर मुले बने INS मोरमुगाओ में असिस्टेंट मिसाइल इंचार्ज
जब हम अपना लक्ष्य निर्धारित कर उसको पाने के लिए कठिन परिश्रम करते हैं, तो उसका फल हमें अवश्य मिलता है। ये साबित किया है, इंदौर के लेफ्टिनेंट कमांडर शिखर मुले ने, जिन्होंने हाल ही में नौसेना को समर्पित INS मोरमुगाओ में असिस्टेंट मिसाइल इंचार्ज का पदभार ग्रहण किया है।
शिखर के पिता विनोद मुले एक रिटायर्ड बैंक अधिकारी हैं। अपनी युवावस्था में शिखर के पिता भी भारतीय सेना में शामिल होना चाहते थे, लेकिन उनका वो सपना पूरा नहीं हो पाया। लेकिन उनके बेटे शिखर ने न सिर्फ वह सपना पूरा किया, बल्कि वे अब INS मोरमुगाओ में लेफ्टिनेंट कमांडर भी बने हैं।
पिता नहीं कर पाए थे सपना पूरा
जब शिखर के पिता विनोद अपनी युवावस्था में थे, तब NCC की नेवल विंग जॉइन की थी। NCC में ट्रेनिंग के दौरान गन उठाकर भी प्रैक्टिस करवाई जाती है। यह ट्रेनिंग करते समय उन्हें अहसास हुआ कि उनकी फिटनेस डिफेन्स के हिसाब से नहीं है। इसी के फलस्वरूप उन्होंने बचपन से ही शिखर को फिजिकली और मेंटली फिट रखने का निश्चय किया।
पिता ने दी उनको ट्रेनिंग
जब शिखर 11 साल के थे, तब उनके पिता उन्हें ट्रैकिंग पर श्री हेमकुंड साहेब ले गए थे, जिसकी ऊंचाई 14 हजार फ़ीट है। बाद में शिखर ने ट्रैकिंग और फिसिकल ट्रेनिंग पर हमेशा ध्यान दिया, जिससे उनकी फिजिकल फिटनेस बनने लगी।
जब बच्चा बोर्ड की एग्जाम दे रहा होता है, तब माता पिता उन्हें अच्छे नंबर लाने पर कोई मनपसंद चीज दिलाने का वादा करते हैं। शिखर के पिता श्री विनोद ने इसके लिए एक अनोखा तरीका अपनाया। उन्होंने एक ब्लैंक चेक साइन कर शिखर की टेबल पर चिपका दिया और कहा कि वो इससे अपनी अपनी पसंद की कोई भी चीज खरीद ले।
इस प्रकार उनके पिता ने उन्हें बचपन से ही फिजिकल और मेन्टल रूप से तैयार किया।
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एसएसबी इंटरव्यू में किया अच्छा प्रदर्शन
शिखर का एसएसबी इंटरव्यू भोपाल में हुआ था,जहाँ उन्हें 5-5 दिनों के मेन्टल और फिजिकल टेस्ट हुए। बचपन से पिता के द्वारा करवाई गयी ट्रेनिंग कारण उन्होंने सरलता से सभी टेस्ट क्लियर कर लिए और उनका सिलेक्शन इंडियन नेवी के लिए हो गया।
बहन की शादी में नहीं हो पाए शामिल
सिलेक्शन के बाद शिखर बीटेक के लिए इंडियन नेवी की तरफ से लोनावला गए। इसी दौरान उनकी बहन की शादी भी तय हुई। छुट्टी ना मिलने के कारण वे बहन की शादी में शामिल नहीं हो पाए। शादी में परिजनों को शिखर की कमी बहुत खली, लेकिन उनके पिता का कहना है कि देश सेवा से बढ़कर कुछ भी नहीं है।
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कमांडर का एग्जाम भी किया पास
शिखर की पहली पोस्टिंग INS विराट पर हुई थी, उसके बाद उनका ट्रांसफर अंडमान - निकोबार में हुआ। उसी दौरान उन्होंने कमांडर का एग्जाम ही क्लियर कर लिया था, अब वे 2024 में कमांडर भी बन जाएंगे।
हमारे देश में कई युवा भारतीय सेना, जल सेना और वायु सेना में जाने का प्रयास कर रहे हैं। शिखर एक उदाहरण है कि किसी भी काम को करने के लिए हमें अपने लक्ष्य को निर्धारित करके उस पर जल्दी से जल्दी काम शुरू कर देना चाहिए। ऐसा करने से हमें निश्चित सफलता मिलती है।
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