साहिल बरुआ Motivational Story: जाने कैसे रेस्टोरेंट की लेट डिलिवरी के कारण खड़ी हुई करोड़ो की कंपनी

कहते हैं कि रास्ता कितना भी क्यों ना कठिनाईयों से भरा हो, मगर अपने यूनिक आइडिया से मंजिल तराश लेते हैं। कुछ ऐसा ही एक आइडिया आईआईएम में पढ़ चुके साहिल बरुआ और उनके दोस्तों के दिमाग में रेस्टोरेंट से खाना आर्डर करते समय आया। जिसे उन्होंने एक बिज़नेस में कंवर्ट कर कंपनी का टर्नओवर अरबों में पंहुचा दिया।

 

दिल्ली में पले-बढ़े साहिल ने सेंट जेवियर हाई स्कूल से स्कूली शिक्षा लेने के बाद उन्होंने कर्नाअक के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से मेकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। साहिल ने मेकैनिकल इंजीनियरिंग और आईआईएम की पढ़ाई पूरी की। जिसके बाद उन्होंने बैन एंड कंपनी में एसोसिएट कंसल्टेंट के तौर पर नौकरी करना शुरु किया। लेकिन अपने बेहतरीन परफॉरमेंस की बदौलत एक साल के बाद साहिल को एसोसिएट कंसल्टेंट की जिम्मेदारी मिल गई।

इसी दौरान साहिल की मुलाकात मोहित टंडन और सूरज सहारन के साथ हुई। तीनों दोस्तों की सोच एक जैसी थी। अपना वेंचर शुरु करने का ख्याल तीनों के मन में था जिसकी वजह से इनकी दोस्ती और गहरी हो गई। यूनिक आइडिया की तलाश में तीनों दोस्तों ने नौकरी से 6 महीनों की छुट्‌टी लेने का फैसला लिया। फिर इन्हीं छुटि्टयों में एक रात जब साहिल और सूरज ने गुड़गांव के एक रेस्टोरेंट से ऑनलाइन खाना ऑर्डर किया। मगर खाना टाइम से डिलीवर नहीं हुआ। इस बात को देख वो समझ गए कि भारत में डिलीवरी की सुविधा बहुत ही कम है। इसी बात को देखकर उन्हें अपना बिज़नेस का नया आइडिया आ गया।

 

इसके बाद उन्होंने एक रेस्टोरेंट के मालिक से मुलाकात की और डिलीवरी की समस्या को सुलझाने का आइडिया पेश किया। साहिल ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर डेल्हीवरी की शुरुआत की। उन्होने गुड़गांव में स्थित 250 स्क्वायर फीट के एक कॉर्पोरेट ऑफिस से इसकी शुरुआत की। उन्होंने अपने बिज़नेस को बढ़ाने के लिए सबसे पहले लोकल रेस्टोरेंट के साथ हाथ मिलाना शुरु किया। जिसके बाद जल्दी ही डेल्हीवरी का मॉडल सभी को पंसद आने लगा और उन्हें रोजाना गुड़गांव में ही 100 ऑर्डर मिलने लगे।

डेल्हीवरी ई-कॉमर्स में शामिल होने वाला पहला क्लाइंट बना। इसके बाद साहिल और उनके दोस्तों ने डेल्हीवरी को जनवरी 2011 में पूरी तरह ई-कॉमर्स पर ही फोकस कर दिया। साल के अंत तक एनसीआर में 3 सेंटर्स के साथ 5 ई-कॉमर्स क्लाइंट्स के लिए 500 शिपमेंट्स डिलिवर करने लगे थे। कुछ ही समय बाद उन्होंने फंडिंग के साथ स्टोरेज फैसिल्टिज को बढ़ाना शुरु किया और स्टोरेज सुविधा से अपने इस कारोबार को देश के 31 शहरों में फैलाने में कामयाब हो गई।

 

वहीं इस वक्त करीब 2500 शहरों के साथ मिडल ईस्ट और साउथ-एशिया में कारोबार कर रही है। यही नहीं इस कंपनी ने 1170 करोड़ के टर्नओवर का आंकड़ा पार कर लिया है। साहिल की यह Success Story  हर किसी के लिए motivation से कम नहीं है।

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