रानी रामपाल Success Story: कभी पिता चलाते थे तांगा लेकिन बेटी बनी भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान
किसी ने सच ही कहा है किसी आसमान को वही छू सकता है जिसके हौसलों में जान होती है। सपना तो हर कोई देखता है लेकिन उन्हें वही पूरा कर पाता है जो सच में उन सपनों को जीना चाहता हो। जब भी बात खेल की आती है तो क्रिकेट के खिलाड़ियों का ही नाम सर्वप्रथम लिया जाता है लेकिन आज भारतीय महिला हॉकी की टीम में एक ऐसी खिलाड़ी है जो ना केवल महिला हॉकी टीम की कप्तान है बल्कि सभी के लिए एक प्रेरणास्त्रोत (Inspiration) भी है। रानी ने अपनी सफलता की कहानी (Success Story) काफी संघर्ष के साथ लिखी है।
रानी रामपाल का जन्म हरियाणा के शाहबाद मारकंडा में 1994 में हुआ। रानी अपने भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं। रानी रामपाल की आर्थिक स्थिति सही नहीं थी। उनके पिता घर के हालातों के कारण तांगा चलाते हैं। वहीं दो बड़े भाई किसी दुकान में काम करते हैं। पिता की कमाई से घर की आम जरूरतें भी पूरी नही हो पाती थी। परिवार की इन विपरीत परिस्थितियों के बावजूद रानी ने हार नही मानी। यदि कोई और लड़की होती तो घर परिवार की उलझनों में उलझ कर रह जाती। लेकिन रानी ने खेल को चुना। रानी ने 6 साल की उम्र में ही हॉकी खेलना शुरु कर दिया था। हॉकी के प्रति इतना जुनून था की उनके शानदार खेल की वजह से उन्हें महज 14 साल की उम्र में भारतीय महिला सीनियर उन्हें हॉकी टीम में शामिल कर लिया गया। जिसके बाद रानी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। एक हॉकी टीम का सदस्य बनने से लेकर रानी ने अपनी काबिलियत की बदौलत टीम की कप्तानी भी पाई है। जिस देश में क्रिकेट के अलावा किसी और खेल को इतनी प्राथमिकता नहीं दी जाती ऐसे में रानी रामपाल ने ना केवल हॉकी खेला बल्कि अपनी टीम की कप्तान भी बनी।
रानी कहती हैं कि उन्होंने हॉकी की प्रैक्टिस नंगे पैर भी की है। भारतीय हॉकी टीम के लिए चयन होना इनता आसान नही था। लेकिन मैने अपनी मेहनत पर विश्वास रखा और दिन रात एक करते हुए हॉकी की ट्रेनिंग करती रही। रानी कोच बलदेव सिंह का आभार व्यक्त करती हैं जिन्होंने उन्हें ट्रेनिंग दी।
रानी की कप्तानी में कमजोर समझी जाने वाली भारतीय महिला हॉकी ने स्पेन आयरलैंड जैसी मजबूत टीमों को भी हराया है। यही नहीं भारतीय महिला हॉकी टीम ने रानी के नेतृत्व में 2016 समर ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई किया था।
रानी को अपने इस अद्भुत प्रदर्शन के लिए खई खेलों से भी सम्मानित किया गया है। उन्हें “ चैपियन चैलेंज टूर्नामेंट” में “ यंग प्लेयर ऑफ टूर्नामेंट " का अवार्ड मिला। साल 2010 में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलो में एफआईएच की “यंग वुमन प्लेयर ऑफ द इयर” का अवार्ड भी दिया गया था।
आज रानी की सफलता कने पूरी दुनिया में रानी का लोहा मनवाया है, जो समाज कभी ताने मारते थे आज उसी समाज को अपनी बेटी पर गर्व हैं। रानी की कहानी सभी के लिए एक प्रेरणास्त्रोत (Inspirational story) है। यदि आप भी रानी की तरह अपनी पहचान बनाना चाहते हैं एवं अपने करियर में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, तो आप हमारी लाईफ टाईम मेंबरशिप कों ज्वॉइन कर सकते हैं। यहां आपको करियर और बिज़नेस से जुड़ी हर जानकारी दी जाएगी। अधिक जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट https://www.badabusiness.com/life-time-membership?ref_code=ArticlesLeads पर Visit करें।