गुलाबो सपेरा Motivational Story: एक ऐसी महिला जिसने मौत को हराकर डांस की दुनिया में अपने नाम का परचम लहराया
किसी ने सच ही कहा है जाको राखे साइयां मार सके ना कोई, बाल न बांका कर सकै जो जग बैरी होय। यानी कि जिसकी रक्षा खुद भगवान कर रहे हों उसे कोई नहीं मार सकता। इस कहावत को सच कर दिखाया है राजस्थान की फेमस कालबेलिया डांसर गुलाबो सपेरा ने। जिन्होंने अपने डांस के जरिए ना केवल देश में बल्कि विदेशों में भी पहचान बनाई है। बहुत कम लोग ही जानते हैं कि गुलाबो सपेरा ने मौत को मात देकर पूरी दुनिया में अपने नाम का परचम लहराया है।
गुलाबो सपेरा का जन्म राजस्थान के अजमेर में सपेरा समुदाय में हुआ था। राजस्थान के एक हिस्से में जहां सदियों से बेटी होने पर उन्हें मार दिया जाता था। उस समाज में गुलाबो के पैदा होते ही उन्हें दफना दिया गया। उनके पिता पुजारी होने के साथ घर खर्च चलाने के लिए सापों का खेल भी दिखाते थे। जब गुलाबो का जन्म हुआ तो पूरा गांव उन्हें मारने के लिए पीछे पड़ गया। लेकिन भगवान जिसे जिंदा रखना चाहते हो उसे भला समाज कैसे मार सकता था। गुलाबो की मौसी ने हिम्मत करके रात में उन्हें जमीन से खोदकर निकाल एक नया जीवन दिया।
गुलाबो का बचपन बहुत गरीबी में गुजरा। गुलाबो ने बड़े होते ही राजस्थान के लोकनृत्य कालबेलिया डांस को करना शुरु कर दिया था। उन्होंने जब इस नृत्य की शुरुआत की तो लोगों को इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। गुलाबो के नृत्य करने पर भी समाज के लोग उन्हें ताने मारते थे। उन्हें धमकियां दी जाती थी, लेकिन उनके पिता ने उनका साथ कभी नहीं छोड़ा। गुलाबों ने अजमेर छोड़ दिया और वो भाई के साथ जयपुर आ गई। यहां उन्होंने कई प्रस्तुतियां दी। लगभग 10 साल की आयु में जब गुलाबो पुष्कर मेला में डांस कर रही थी, तब वहां पर राजस्थान सरकार के अधिकारी तृप्ति पांडेय और हिम्मत सिंह ने उनके डांस को देखा और उनके हुनर को पहचाना। जिसके बाद उन्हें मंच पर नृत्य करने के लिए आमंत्रित किया गया। उन्होंने दिल्ली में आयोजित एक प्रोग्राम में पहली बार मंच पर अपनी कला का प्रदर्शन किया। उनकी मेहनत धीरे-धीरे रंग लाने लगी। लोग उनके कार्यक्रम को देखने लगे। सरकार ने भी उनकी मदद की। जिसका नतीजा यह है कि आज गुलाबो की पहचान देश-विदेश में है।
राजस्थान के एक समुदाय का नाम कालबेलिया के नाम पर कालबेलिया नृत्य का नाम पड़ा। गुलाबो इसी नृत्य को करती थी। कालबेलिया डांस सिर्फ महिलाएं करती हैं और इसमें वह सांप की तरह लहराती और बलखाती हैं। गुलाबो का असली नाम धनवंतरी था। वो सबसे छोटी संतान थी। उनके गालों का रंग गुलाबी था, जिसे देख उनके पिता उन्हें गुलाबो कहने लगे।
गुलाबो की प्रसिद्धि धीरे-धीरे विदेशों में भी बढ़ने लगी। 1986 में फेस्टिवल ऑफ इंडिया नाम के एक कार्यक्रम का आयोजन वाशिंगटन में किया गया था। लेकिन हर सफलता का मूल्य भी चुकाना पड़ता है। इसी शो के समय उनके पिता का निधन हो गया। जिसे सुनकर गुलाबो टूट गई। लेकिन उन्होंने खुद को संभाला और अपनी प्रस्तुति से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।
गुलाबो की प्रसिद्धि इतनी ज्यादा थी कि उन्हें बिग बॉस के सीज़न 5 में बुलाया गया था। जिसमें उन्होंने टीवी जगत की मशहूर हस्तियों के साथ हिस्सा लिया। गुलाबो ने गुलामी और बंटवारा जैसी हिट फिल्मों में भी अपने नृत्य का लोहा मनवाया। जिसके बाद लोग कालबेलिया नृत्य के मुरीद हो गए थे। गुलाबो को कालबेलिया डांस को नई पहचान दिलाने के लिए साल 2016 में पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया था। गुलाबो ने अपने हुनर और लगन के बल पर देश के साथ विदेश में भी अपने समाज और देश का नाम रोशन किया है। उन्होंने अपनी मेहनत के दम पर अपनी सफलता की कहानी (Success Story) लिखी है। गुलाबो की कहानी सभी के लिए एक प्रेरणास्त्रोत (Inspiration) है।
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