रिटायरमेंट की उम्र में नौकरी छोड़ शुरू किया खुद का बिजनेस, अब कमाते हैं करोड़ों जानिए भाऊसाहेब नवले की प्रेरक कहानी

Quit the job at the age of retirement and started own business, now earning crores. Know the inspiring story of Bhausaheb Navale.

अंग्रेजी में एक कहावत है "Age is just a number", जिस उम्र में अधिकतर लोग अपने रिटायरमेंट की योजना बनाते हैं, उस उम्र में महाराष्ट्र के पुणे में एक व्यक्ति ने विदेश में अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़कर खुद का व्यवसाय करने की ठानी।

उनका नाम भाऊ साहेब नवले है, जिन्होंने अपने जीवन के 25 साल तक काम किया। इसमें 10 साल तक विदेशों में गुलाब के फूलों के उत्पादन के बारे में जानकारी ली। इसके बाद भाऊ ने भारत आकर अपनी नर्सरी शुरू की।

आज उनका सालाना टर्नओवर करोड़ों रुपए है। जानिए कोरोना काल की आपदा को अवसर में बदलकर भाऊ साहब कैसे चला रहे हैं अपना बिजनेस

कौन है भाऊ साहेब

जन्म: 1973, पुणे, महाराष्ट्र
शिक्षा: BSc एग्रीकल्चर
व्यवसाय: ग्रीन एंड ब्लूम्स नर्सरी
टर्नओवर: 2 करोड़ रुपये वार्षिक

भाऊ साहेब का जन्म 1973 में पुणे जिले में हुआ था। भाऊ ने एग्रीकल्चर में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद 1995 से 2020 तक उन्होंने जॉब की। इसी बीच 10 सालों तक उन्होंने इथियोपिया में गुलाब के उत्पादन का काम सीखा।

उस दौरान उनका वेतन ढाई लाख रुपये महीना था। जब वे 46 साल के हुए, तब पूरी दुनिया में कोरोना फैल गया था। ऐसे में भाऊ को भी इथियोपिया छोड़कर अपने घर वापस लौटना पड़ा।



ऐसे शुरू किया खुद का बिज़नेस

कोरोनाकाल में जब सभी बिज़नेस बंद हो रहे थे, तब भाऊ ने खुद का बिज़नेस शुरू करने का निर्णय लिया। भाऊ ने एग्रीकल्चर में ग्रेजुएशन किया था। इसके अलावा उन्हें 10 सालों का गुलाब उत्पादन का भी उत्पादन किया।

यही कारण था कि उन्होंने आधे एकड़ की जगह में इंडोर पॉट-प्लांट नर्सरी शुरू की और उसका नाम रखा ग्रीन एंड ब्लूम्स नर्सरी। यहाँ पर भाऊ गमले में 100 तरह के पौधों की खेती करते हैं।

धीरे-धीरे भाऊ की नर्सरी प्रसिद्धि की राह पर आगे बढ़ने लगी। आधे एकड़ की जगह में शुरू हुई नर्सरी जल्द ही एक एकड़ में फैल गयी। भाऊ की नर्सरी में आज 15 से ज्यादा लोग काम कर रहे हैं और पूरे देश में छोटी-बड़ी 300 नर्सरियां इनसे पौधे खरीदती हैं और भाऊ का सालाना का 2 करोड़ रुपये टर्नओवर हो रहा है। अपने रिटायरमेंट की उम्र में आकर खुद का एक नया व्यवसाय सफलतापूर्वक चलाने वाले भाऊ आज कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन चुके हैं।


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